आखिरी मुलाक़ात .

(कुछ सच्ची मुलाकातों पर आधारित )
कभी कभी आपके जीवन में कुछ लोग आते हैं , और फिर चलें जाते हैं . पर एक अच्छी याद बन कर रह जाते हैं न ,उनके साथ बिताये हुए वो कुछ पल ही काफी अच्छी यादों में रह जाते है। तो ऐसे ही कुछ पल की है आज की छोटी सी कहानी मेरे कॉलेज के सफर की।

मोबाईल हाथ में लिए शिवप्रिया एक मैसेज को घूर रही थी , दरअसल उसके कॉलेज की क्लासेस शुरु हो गई थी और वो इसके लिए ही मैसेज था। शिवप्रिया थोड़ा सा परेशान थी क्योंकी जब एक साल अच्छी भली क्लासेस ऑनलाइन निकल गई थी तो अब इस साल उसे कॉलेज क्यों जाना होगा ? पर अब जाना तो था। अगले दिन वो बस स्टॉप पर खड़ी थी,थोड़ी सी घबराई हुई क्योंकी आज कॉलेज में ऑफलाइन उसका पहला दिन था और उसे जाना भी अकेले था इस वजह से वो कुछ सकोंच कर रही थी।फिर बस आ गई और वो उसमें चढ़ गई.

थोड़ी देर बाद वो अपनी बगल में खड़ी एक लड़की को देखती है जो गूगल मैप देख रही थी और वो भी उसी कॉलेज का तो वो उसे देख कर मुस्कुराती है और कहती है .
शिवप्रिया-“हाय आप भी ‘रेड हॉउस कॉलेज’ जा रही हैं ?”
वो लड़की-“हाँ,आप भी ? मेरा नाम नैंसी है।”

शिवप्रिया-“हाँ मैं भी वही जा रही हूं , मेरा नाम शिवप्रिया है”

और वो दोनों हाथ मिलाते हैं

तभी पीछे से एक और हाथ आता हैं और एक आवाज आती है ,” हाय मेरा नाम अविनाश है “
वो दोनों लड़की पीछे देखती है।
वो एक पतला सा और घूँघराले बाल और ठिक ठाक कद का एक लड़का था उसके आँखों में चश्मा लगा था और थोड़ा लापरवाही वाला हुलिया था उसका और वो अभी भी मुसुकुरा रहा था।

वो दोनों लड़की उसे घूर रही थी।
अविनाश-“आ मैं भी सेम कॉलेज जा रहा हूं।”
फिर उन दोनों लड़की ने उससे हाथ मिला लिया ,और बातें शुरु हो गई।
अविनाश-“तो आप दोनों भी लैंग्वेज डिपार्टमेंट से है ,कौन सी लैंग्वेज ? मेरा तो जैपनीज है “
नैंसी-“कोरियन”
शिवप्रिया-“स्पेनिश”
अविनाश-“मैं तो थोड़ा एक्साइटेड हूं,आप लोग भी ?

नैंसी-“कुछ ख़ास नहीं”
शिवप्रिया-“नर्वस ,वैसे ये मेरा सेकंड ईयर है फर्स्ट तो ऑनलाइन गया।”
अविनाश-“अच्छा आप तो सीनियर हुई फिर मेरा तो फर्स्ट ईयर ही है यार।”
नैंसी-“मेरा भी”
वो बस थोड़ा मुस्कुरा दी और थोड़ी देर बाद ,
अविनाश-“चलें उतरते हैं।”
शिवप्रिया-“पर बस आगे स्टॉप पर जाएगी हम आगे उतरतें है न “
अविनाश-“अरे नहीं ये आगे से रूट चेंज कर लेगी नहीं जाएगी।”
नैंसी-“मुझें भी लगता हैं की ये आगे तक जाएगी गूगल भी यही दिखा रहा है “
अविनाश-“अरे जब मैं डाक्यूमेंट जमा कराने आया था तो रूट चेंज किया था बस ने मैं तो यही उतर रहा हूं”
वो दोनों लड़की भी एक दुसरे की सकल देखती है और फिर वो दोनों भी उतर गई।
नैंसी-“आर यू श्योर की रास्ता तुम्हें मालुम है?”
अविनाश-“हाँ,मुझे यहाँ से मालुम है”
और फिर वो लोग चलने लगते हैं पर वो लोग भटक गए .

अविनाश-“शीट यार ये तो सारे रास्ते एक जैसे हैं , मैं अभी गूगल मैप देखता हूं ,सॉरी यार मेरा तो नेटवर्क ही नहीं आ रहा।”
नैंसी उसे घूरतें हुए अपना फोन निकालती है और वो लोग अब गूगल मैप से रास्ता देख कर जा रहे थे और काफी भटकने और बातें करते हुए वो लोग पहुँच गये तभी उनकी कॉलेज के सामने वाले बस स्टॉप पर एक सेम नंबर की बस खड़ी थी जिससे वो लोग आये थे मतलब वो बस यहाँ तक आती थी। और अब वो दोनों अविनाश की तरफ देखती हैं।
अविनाश-“सॉरी मुझें भी नहीं पता था।”
फिर वो तीनों हंसने लगे । वो लोग अपने अपने क्लास में चले गये।
दुसरी मुलाक़ात ,
शिवप्रिया अपने धुन में जा रही थी उसे एक जगह से रोड क्रॉस करना था और सामने उसका कॉलेज था ,वो रोड क्रॉस करने के लिए खड़ी ही थी की तभी उसके बगल में एक लड़का आ कर खड़ा हो गया उसने देखा तो वो अविनाश ही था ,शिवप्रिया उसे पहचान तो गई पर उसे उसका नाम याद नहीं था।
शिवप्रिया-“हाय ,कैसे हो तुम “
अविनाश-“ओ हाय तुम, सॉरी मैनें तुम्हें देखा नहीं था”
शिवप्रिया-“कोई बात नहीं,मैनें भी अभी देखा और वैसे भी मेरी हाइट छोटी है न तो तुम्हें दिखी नहीं होंगी”
अभिनाश-“अरे ऐसा नहीं है यार ,और कैसी चल रही है पढ़ाई ?”
शिवप्रिया अपने दिमाग़ में काफी जोर दे रही थी नाम याद करने को पर उसे याद नहीं आ रहा था। और उसे अभी अविनाश से सीधे उसका नाम पुछने में भी शर्म आ रही थी।
शिवप्रिया-“आ हाँ मेरी अच्छी चल रही है,तुम्हारी ?”
अविनाश-“थोड़ी मुश्किल हो रही है पर ठीक है ,चलों अंदर चले तुम्हें पता है गार्ड आंटी मुझें पहचान गई हैं वो अब मुझसे आईडी नहीं मांगती ।”
शिवप्रिया-“वो आलसी है वो किसी से नहीं मांगती हैं ।”
अविनाश-“हाँ ,ये भी है”
और फिर वो दोनों ही हंसने लगें।

तीसरी मुलाक़ात ,
शिवप्रिया बस स्टैंड पर खड़ी थी तभी बस आ गई और वो उसमें चढ़ गई और टिकट ले कर जैसे ही वो पीछे देखी तो उसे एक सीट पर अविनाश अकेले बैठा हुआ दिख गया वो उसके बगल में जा कर बैठ गई।
शिवप्रिया-“हाय ,कैसे हो?”
अविनाश-“ओ हाय,मैं ठिक हूं तुम कैसी हो ?”
शिवप्रिया-“मैं भी ठीक हूं”
अविनाश-“ओ सॉरी मैं तुम्हारा नाम भूल गया।”
शिवप्रिया-“शिवप्रिया,और वैसे मैं भी तुम्हारा नाम भूल गई।”
अविनाश-“आ मेरा नाम अविनाश है”
और बातों का सिलसिला फिर शुरु हो गया।

शिवप्रिया-“तो कैसा चल रहा है सब कुछ ?”
अविनाश-“अच्छा है ,मैने सोचा है की अगले साल मैं नेशनल कॉलेज का एग्जाम दूँगा ,पेरेंट्स को ये सब से कुछ खाश मतलब नहीं है मैं खुद ही सब मैनेज़ और डिसाइड करता हूं।”
शिवप्रिया-“ओ काफी अच्छी बात है ,तुम तो काफी समझदार हो मैं तो काफी पैंपर चाइल्ड हूं।”
अविनाश-“आ डैट्स ओके,और तुम्हें क्या पसंद है?”
शिवप्रिया-“कहानियां पढना पढ़ना और लिखना थोड़ी बहुत लिखती हूं पर अभी पब्लिश किया ,और एनिमे भी देखना पसंद है”
अविनाश-“ओ तुम्हें पब्लिश करना चाहिए ,और तुम एनिमे देखती हो अच्छा है मैं भी देखता हूं पर अडल्ट एनिमे में थोड़ा अवेयर रहना होता है न”
शिवप्रिया-“मैं अडल्ट एनिमे नहीं देखती “
अविनाश-“ओ मैनें भी एक ही देखा है वो मतलब “
शिवप्रिया-“अरे ठीक है मैं तुम्हें जज नहीं कर रही बस अभी मैं कम्फर्टेबल नहीं हूं।”
और ऐसी ही बातें चलती रही और फिर कॉलेज आ गया और वो दोनों अपने क्लास में चले गये। शिवप्रिया अपने क्लास में सोच रही थी की उसे कम से कम अविनाश का नंबर ना सही तो इंस्टा आइड तो ले ही लेनी चाहिए थी पर तब तो उसने मांगा नहीं पर अगर वो मांगती तो वो उसे कही उसे अजीब ना समझता और उसने भी तो नहीं मांगा वो भी तो मांग सकता था पर क्या पता वो भी यही सोच रहा हो।

कुछ दिनों बाद वो अपने क्लास से बाहर निकली फिर उसे अविनाश अपने दोस्तों के साथ दिखा वो बिना कुछ कहे जाने लगी पर सामने से अविनाश ने ही उसे हाय बोल दिया।
अविनाश-“हाय कैसी हो ?”
शिवप्रिया-“हाय मैं ठीक हूँ ,तुम ?”
अविनाश-“मैं भी बढ़ियां “
फिर वो आगे बढ़ गई पर फिर वो वापस आई
शिवप्रिया-“वो उस दिन तुमने बताया था ना तुम नैशनल कॉलेज का एग्जाम दोगे तो मैं तुम्हें आल द बेस्ट बोलना भुल गई थी तो ‘आल द बेस्ट’ तुम अच्छा करोगे एक्साम्स में “
अविनाश-“ओ थैंक यू ”
और वो दोनों ही मुस्कुराने लगे फिर वो आगे बढ़ गई।
आखिरी मुलाक़ात ,
उस दिन आखिरी दिन था क्लासेस का फिर एक्साम्स शुरु थे।वो फिर से बस में चढ़ी और अविनाश उसे फिर से मिल गया और वो दोनों एक दुसरे को देख कर हंसने लगे।
शिवप्रिया-“क्या इत्तफाक है हम पहले दिन भी मिलें थे और आज आखिरी दिन भी मिल रहें हैं ।”
अविनाश-“हाँ वो तो है,अच्छा इत्तफाक है और बताओं कैसी चल रही है तुम्हारी एक्साम्स की तैयारी ?”
शिवप्रिया-“बस चल रही है काफी कन्फ्यूज हूं ,हो रहा है सब “
अविनाश-“हो जाएगा सब अच्छा “
और बातों का सिलसिला शुरु हो गया पर वो अपने मन में इसी उधेरबुन में थी की वो इससे इंस्टा या फेसबुक कुछ भी सोशल मीडिया अकाउंट मांगे या फिर नहीं मांगे जाने वो क्या सोचेगा ? तभी भीड़ आ गई और एक लकड़ी का भारी बोर्ड उसे लग गया।
शिवप्रिया-“आ लग गयी ,लोग ऐसी चीजें लेकर आतें ही क्यों है भीड़ में”
अविनाश-“तुम ठीक हो ? एक काम करो तुम यहाँ आराम से खड़ी हो जाओ “
और दुसरी बार फिर वो लकड़ी उसे लगने वाली थी पर अब वो दोनों ही इसके लिए तैयार थे और अविनाश ने हाथ आगे कर दिया और वो बच गयी।
कॉलेज आ गया और वो दोनों अपनी क्लासेस में चले गये ,और वो उससे नहीं पूछ पाई उसकी इंस्टा आईडी ।

और काफी दिनों बाद उसका कॉलेज जाना हुआ उसने हूडी ( टोपी वाली टीशर्ट )
शिवप्रिया हुडी और मास्क लगा कर गानें सुनते हुएअपनी धुन में जा रही थी वो आज कॉलेज किसी काम से जा रही थी क्योंकी उसकी पढ़ाई तो खत्म हो गई थी ,

तभी उसने अविनाश को देखा जो कुछ फाइल्स पकड़ कर किसी लड़की के साथ जा रहा था। वो रुक गई पर इतने में वो उसे आवाज देती या अपना मास्क निकालती वो आगे बढ़ गया उसने उसे नहीं देखा था।
शिवप्रिया पिछे मुड़ कर देखती है पर उसे पीछे से आवाज देना उसे ठीक नही लगा तो वो भी मुसुकराते हुय आगे बढ़ गई।
और वो समझ गयी की अब उनकी मुलाकात शायद अब लिखी ही नहीं थी और वो उनकी आखिरी मुलाक़ात थी .
Written by Shyambavi Jha