कटिहार – बोर्ड एग्जाम समाप्त सुने पड़े रास्ते

एक सप्ताह से शहर में बड़ी रौनक सी थी हर तरफ बच्चे ही बच्चे थें …कटिहार के अलग अलग गाँव से आये थे ..अलग अलग परिवेश से लेकिन आँखों में बहुत सारे सपने लिए…
अलसुबह उठना खाना नहाना तैयार होना फिर एग्जाम देने जाते और शाम को एग्जाम के बाद शाम को जिनको पढना होता वो पढ़ते जो शाम को मार्किट घुमने निकल जाते थें …
कटिहार को शायद आदत है हर साल इन मेहमानों के आने की नए नये चेहरों को देखने की .. लेकिन मेरे लिए ये सब नया था ..लोगों को मैंने दिल बड़ा करते देखा जिनका अपना घर है अगर दो कमरे का घर है तो एक कमरा इनलोगों के लिए खाली कर देते हैं../
शहर में एकदम से अलग से माहौल हो जाता है सड़कों पर होली ईद के जैसी भीड़ हो जाती है एग्जाम के लास्ट वाले दिन बच्चे शोपिंग भी करते हैं ..शायद ये सब इस शहर को देखने की आदत सी है ..
मेरा भी इन बच्चों से लगाव सा हो गया था .. बहुत सी बातें देखने और समझने को मिली…पता चला कुछ लोग दाल चावल के दाम भी बढ़ा देतें है सुनकर बहुत हैरानी हुई ../
हासिन , सत्यम सिंह , अनिमन राज ,

इन्होने बताया की इनके पेपर बहुत ही बढ़िया गया ..लास्ट पेपर इंग्लिश का था जो बहुत ही बढ़िया गया था इनके चेहरे की उसकान ही इनकी खुसी बयाँ कर रही थी …