क्यों चाहिए मिथिला राज्य ??
क्यों चाहिए मिथिला राज्य ??
1,💐 आजादी के बाद जब भाषायी आधार पर राज्यों का गठन हो रहा था उसी समय हमें एक पौराणिक भाषा वाला मैथिली भाषी क्षेत्र होने के नाते, अलग राज्य का दर्जा मिलना चाहिए था जो किसी कारणवश उस समय नहीं मिला। इतना ही नहीं राज्य सरकार के द्वारा हमारी भाषा मैथिली को तोड़ने और कमजोर करने का हरसंभव प्रयास किया गया है। अतः अब तो हर हाल में मुझे मिथिला राज्य चाहिए ही।

2,💐 आजादी के समय यह क्षेत्र एक औद्योगिक क्षेत्र था। लगभग पाँच दर्जन औद्योगिक कारखाना यहाँ चल रहा था। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि तब का बिहार भारत का सबसे बड़ा खनिज संपदा वाला राज्य होते हुए भी मेरे यहाँ एक भी उद्योग खनिज आधारित नहीं था बल्कि सबके सब कृषि आधारित उद्योग था। क्योंकि इस क्षेत्र में कोई खनिज संपदा नहीं थी। इसके अलावे घर घर मे कुटीर उद्योग चलता था। आज यह क्षेत्र लेबर जॉन बनकर रह गया है। सरकार इस क्षेत्र के साथ सदैव सौतेला व्यवहार करती रही। इसीलिए अब हम अपनी सरकार बनायेंगे

3,💐 मिथिला क्षेत्र हिमालय के गोद मे है अतः यहाँ बाढ़ और सुखार एक गंभीर समस्या है। हमारे पास प्रचुर जल संसाधन और मानव संसाधन रहने के वाबजूद, सरकारी उदासीनता के कारण इसका स्थायी निदान किसी सरकार से नहीं हो पाया। जो पानी मेरे लिए वरदान बन सकता था, वह आज भी अभिशाप बना हुआ है। अतः अब मुझे खुद इसके लिए कुछ करना होगा औऱ यह तभी संभव है, जब हमारी खुद की सरकार होगी।

4,💐 दुनियाँ जानती है कि मिथिला क्षेत्र सिर्फ भाषायी आधार पर ही नहीं इसका खानपान, सभ्यता-संस्कृति, भेष-भूषा, भौगोलिक परिस्थिति सब कुछ अन्य राज्य से अलग है। जिसका संवर्धन किसी सरकार के द्वारा अपेक्षानुकूल नहीं किया गया। अब तो हमारी पहचान मिटने पर आ गयी है। अगर हम लड़ाई नहीं लड़ते तो मैथिली भाषा, मिथिला पेंटिंग और मखान जो हमारी पहचान है, उसको भी हथिया लिया जाता। तो क्यों न हम खुद इसके संवर्धन हेतु अपनी सरकार बनावें। जिसके लिए हमें अलग राज्य बनाना ही होगा।

5,💐 आजादी के समय यह क्षेत्र हर लिहाज से एक संपन्न क्षेत्र था। हमारे दरभंगा महाराज के द्वारा भारत सरकार और राज्य सरकार को विषम परिस्थिति में कईबार अद्वितीय मदद पहुंचाया गया था। इसके अलाबा हमारी वौद्धिक क्षमता भी अव्वल दर्जे का है जो आप आजादी से अभी तक के प्रसासनिक सेवा में पहुंचे लोगों की सूची से देख सकते हैं।

आज हम सबसे गरीब और पिछड़े राज्य का तगमा लेकर घूम रहे हैं। प्रति व्यक्ति आय में हमारे क्षेत्र के अधिकांश जिला देश की सूची में सबसे निचले पायदान पर आ गया है। यह दुर्गति इस क्षेत्र का बिहार सरकार के अदूरदर्शी नीति और सौतेला व्यवहार के कारण ही हुआ है। अब हमें बिहारी कहलाना एक गाली जैसा लगता है। हमारे साथ अन्य राज्य में बुड़े सलूक किये जाते हैं। तो क्यों न हमें हमारे भाग्य और कर्म पर छोर दिया जाय। इसीलिए हमें अलग राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए। निषन्देह हम जल्द ही अपनी खोई हुई गरिमा को वापस पा लेंगे।

Written By: Anil Jha
अनिल झा
जाले, दरभंगा
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