दूर्वाक्षतकमंत्र :- #सहजरूप
ॐ आ-ब्रह्मन् ब्राह्मणो
ब्रह्म-वर्चसी जाय-ताम्-
आराष्ट्रे राजन्यः
शूर इषव्यो-sति-व्याधी
महा-रथो जाय-ताम् ।।

दोग्ध्री धेनु-र्वोढा
sनड्वा-नाशुः सप्ति पुरन्ध्रि-र्योषा
जिष्णू रथे-ष्ठाः
सभे-यो युवाsस्य यज-मानस्य
वीरो-जाया-ताम्
निकामे निकामे नः
पर्जन्यो वर्षतु फल-वत्यो न

ओ-षधयः पच्यन्ताम्
योग-क्षेमो नः कल्पताम् ।।
मन्त्रार्था: सिद्धयः सन्तु
पुर्णाः सन्तु मनोरथाः।।
शत्रुणां बुद्धि-नाशो-sस्तु
मित्राणा-मुदयस्तव।।
ॐ दीर्घायु भवः।।
ॐ शौभाग्यवती भवः।।

दूर्वाक्षतक_मंत्र:
“ॐ आब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूर इषव्योsतिव्याधी महारथो जायताम्। दोग्ध्री धेनुर्वोढाsनड्वानाशुः सप्ति पुरन्ध्रिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवाsस्य यजमानस्य वीरोजायाताम् निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो न ओषधयः पच्यन्ताम् योगक्षेमो नः कल्पताम् । मन्त्रार्था: सिद्धय: सन्तु पुर्णा: सन्तु मनोरथा:।
शत्रुणां बुद्धिनाशोऽस्तु मित्राणामुदयस्तव ।।

मंत्रक_अर्थ :- हे भगवान! अपन देश मे सुयोग्य आ सर्वज्ञ विद्यार्थी उत्पन्न होइथ आ शत्रु के नाश केनिहार शैनिक उत्पन्न होइथ। अपन देशक गाय खूब दूध देब वाली, बरद ओजन वहन करय मे सक्षम होइथ आ घोड़ा त्वरित रूपें दौगय वला होअए। स्त्रीगण नगरक नेतृत्व करबा मे सक्षम होइथ आ युवक सभा मे ओजपूर्ण भाषण देबयबला आर नेतृत्व देबय मे सक्षम होइथ। अपन देश मे जखन आवश्यकता होइ बरखा होबय आ औषधिक बूटी सर्वदा परिपक्व होइत रहय। एवं क्रमें सभ तरहें हमरा सभक कल्याण होबय। शत्रुक बुद्धिक नाश होइ आर मित्रक उदय होए ।।

नोट- कठिनाह मंत्र के सहज करबाक हमर इ प्रयास मात्र अछि। केहन लागल से अपन अपन सलाह आ सुझाव अवश्य देब।
अनिल झा- 9955644005
जाले, दरभंगा