नहीं रहीं स्वर कोकिला शारदा सिंहा
बिहार पूर्वांचल,उत्तर प्रदेश , झारखंड में लोक आस्था का पर्व छठ पूजा 6, 7, 8 को है और छठ पूजा की तैयारी बहुत ही धूम धाम से चल रही थी कि छठ प्रेमियों के शारदा सिंहा के मौत की खबर ने हिला कर रख दिया है .

जिनके स्वर के बिना छठ व्रत ही संभव नहीं जिनके बिना कोई विवाह या उपनयन संभव नहीं जिनके स्वर में साक्षात् सरस्वती जी निवास करती थी आज उन्होंने दुनिया को 76 वर्ष की आयु में 5 नवंबर मंगलवार को 9.30। में दुनिया को अलविदा कह दिया ।
शारदा सिन्हा जी का इलाज पिछले कई दिनों से अस्पताल में चल रहा था वो कई दिनों से वेंटिलेटर पर थीं।
उन्होंने अपनी आखिरी सांस दिल्ली के एम्स में लिया । वो कैंसर से जूझ रहीं थीं ।

उन्हें बिहार की कोकिला कहा जाता था उनके लिए यहां तक कहा जाता था कि उनके बिना बिहार और देश के अन्य राज्यों में कोई समारोह संपन्न नहीं हो सकता । विशेषकर छठ पूजा अगर आप किसी बिहार के व्यक्ति को जानते हों तो आपको पता होगा कि छठ पूजा के गीत महीनों पहले से बजना शुरू हो जाता है.।
मेरे घर में स्वयं मैं और मेरे घर के लोग महीनों पहले से शारदा सिन्हा के गीत सुनते हैं । और उनके गीत को सुनकर ही हम बड़े भी हुए हैं ।

अभी करीब छः महीने पहले उनके पति का स्वर्गवास हो गया था …।
शारदा सिन्हा किसी के पहचान की मोहताज नहीं है ।
और विडंबना तो ये है कि उनका देहांत ठीक छठ पूजा के पहले दिन हुआ है ।जो कि किसी चमत्कार से कम नहीं है । कल से छठ का नियम शुरू पूजा शुरू वो नहीं रहेंगी एक सदी का अंत हो गया लेकिन जब छठ परब करने को लोग सर पर टोकरी लेकर निकलेंगे तो यही गाना बजेगा अमरदुआ के गाछ पर उगले सूरज मल धीरे धीरे और कई आंखे नम होगी सूर्य देवता भी मलिन हो जाएंगे । वो भले उनका शरीर न हो लेकिन जब तक छठ का व्रत होगा तब तक उनके गीत बजेंगे लोगों के हृदय में उनकी छवि जिंदा रहेगी उनके गीत वादियों में गूंजेंगे छठ समाप्त होगा सामा शुरू हो जाएगा।

फिर विवाह लगन और उनके गीत बजते रहेंगे वो हमारे हृदय में हमेशा रहेगी । उन्हें उनके इस अविस्मरणीय संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म भूषण जैसे अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है है ।
2018 से वो मल्टीपल मायलोमा जो कि एक प्रकार का रक्त कैंसर है वो इस बीमारी से जूझ रही थी।
उन्होंने कई हिंदी फिल्म मैने प्यार किया हम आपके हैं कौन , गैंग्स ऑफ वासेपुर में , अपने सुरों से फिल्म में जान भर दी और कहे तो से सजना तो आज भी युवा वर्ग के दिलों में राज करता हैं ।बिहार और यूपी के लोगों के दिल में वो सदा ही रहेंगी ।

उनका जन्म 1 अक्टूबर 1952 में बिहार के सुपौल जिले के हुलास राघोपुर में हुआ था ।
उन्हें बिहार की कोकिला की उपाधि दी गई उसके अलावा पद्म श्री 1991और पद्म भूषण 2018 में मिला . उन्हें उसके अलावा संगीत नाटक एकेडमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया किया है ।
वर्तमान में उनका निवास बेगूसराय बिहार में था ।
उनके पति का डॉक्टर बृज मोहन सिन्हा था जिनका निधन अभी कुछ महीने पहले हुआ था जिसके बाद से उनकी तबियत में लगातार गिरावट आने लगी थी .
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1980 में की थी और और विवाह के अलावा उनकी पहचान छठ गीत से हुई उन्होंने करीब 62 छठ गीत गाए हैं जिनमें से 5 जो कि हर बिहारियों के लव पर चढ़ा रहता है .
1. केरवा के पात पर उगला सूरज .
हे छठी मईया.
पहिले पहिले हम केलों छठी मईया व्रत तोहर.
हो दीनानाथ.
उठ सूरज मल भेल विहान.

भले ही वो आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन वो हमेशा हमारे दिल में रहेगी ।और उनके गाए गीत सदा हमारे घर आंगन में गूंजेगा और इस तरह वो मृत्यु के बाद भी अमर ही रहेंगी ..।
चूंकि मैं भी एक बिहारी हूं और मैं उनके गीत सुन सुन के बड़ी हुई हूं ।ऐसा लग रहा है जैसे कोई बहुत प्यारा सदस्य दुनिया से चला गया है .ईश्वर इतनी महान हस्ती के आत्मा को शांति दे और परिवार के सदस्यों को हिम्मत दें ।
Written by Sadhana Bhushan