Bringing Today's Stories and news to Your Screen

Mithila StoriesStoriesमिथिला के बात

बड़का मौसा


बहुत इक्षा छल मन में जे हरिद्वार जइतो।
लेकिन स्कूल के नौकरी में छुट्टी मिलय त् छल लेकिन घर के बड्का बेटा होव के नाते बहुत जिम्मेदरी रहल बड्का बेटा बड्का भाई खेती पथारी गाँव घर के समस्या हमरा रहेत कोनो सरपंच के जरुरत नै छल खड़े खड़े हम कोनो झगडा के निपटारा करी दे छलों ।
बहुत मन छल जे हरिद्वार जाऊ देखु संजोग स् विदा त भ गेलो हरिद्वार के लेकिन ओही स पहिले एकाध ट जरुरी बात बता दिय …../


हमरा बगल वाला जगह पर एकटा महिला और ओकर बेटा बैसल छल देख स कोई भी बहुत अंदाजा लगा लैत जे ई दुनु गोट बहुत दुखी छथि।
खैर हम अपना बारे में की कहू बहुत कम उम्र में सरकारी अध्यापक बनि गेल्लो फिर हमरो विवाह भेल सुशील कनियाँ हमरा जिन्दगी में आबि गेलखिन लगल जिन्दगी पूर्ण भ गेल लेकिन एकटा बेटी होब के बाद हमरा कनियाँ के सरकारी नर्स के ट्रेनिंग में जाय के छल और कुछ कारण वश अकस्मात मृत्यु भी गेल जाहि कारण स हमर दुनिया वीरान भ गेल और एकटा छोट बेटी के गोदी में लेने सोची की भरी घर लोक अछी पीसी ,चाचा, दाई ,और बाबा लेकिन मां केना लाबि क् दिय ।
बचिया धीरे धीरे अपना दादी अओर पिसी के देख रेख में नमहर होव लगलखिन लेकिन हमर अवस्था बहुत कम छल ता घर के लोग छोड़ी भी नई सके छल ताहि लेल हमर और हमर छोट भाई के विवाह एक साथ करी देल गेल। कियक भाई के वियाह के उम्र भ गेल रहय /
धीरे धीरे जिंदगी पटरी पर आब लगल ।


हम अपन कनिया के एक बात साफ करी देलिये कि ई विवाह छोट बचीया के कारण भेल अछि ताहि स आहा एत छी हरदम बात के ध्यान में राखब।
हमर कनियाँ भी हमर बात के सम्मान रखलथ।
धीरे धीरे समय के पहिया चल लगल समय पंख लगा क उड़ लगल हम आब दू गो बेटी के आओर एकटा सुन्दर बेटा के बाप बनि गेल्लों।
बहिन सब वियाह क अपना सासुर चली गेलथ माता जी भी बीमार रह के कारण जल्दी वैकुंठ निवासी भ् गेलखिन्न।
आब पिताजी रिटायर्ड किरानी अस्वस्थ छला।
हम नानी गांव स बहुत धनवान रही कियाक हमर मां इकलौती संतान छलखिन हमर पिताजी अक्सर कहे छला जे ऊ मैट्रिक में फेल भ गेलखिन तह नानी अपन खेत बेच क टयूशन पढ़वा के तभी किरानी बना देलखिन ।
और बाबूजी कभी नानी के वृद्ध अवस्था में नई छोड़लखिन और सेवा स लक अंतिम संस्कार बहुत बढ़िया तरीका स केलखिनहालांकि हम बड़का बेटा रही सब हमरा सर्वसहमति स ही कार्य होई छल ।
बाबूजी और हम और हमर मंझला भाई के सहयोग स तीसरा भाई हमर राज्य स बाहर रहे छला ओय समय में फेर हम सब ओय गांव के ओय समय के खूब सुंदर हवेली के निर्माण करवेलों।
करीब 90 के बात क रहल छी ।
आई के समय में ओय गांव में की अगल बगल में भी ओय तरहक घर या हवेली नै भेटत ।
सब दिन अपन जिम्मेदारी निमहैत निमहैत हाथ स समय केना चली गेल पता ही नई चलल हमर लगयाल पौधा सब वृक्ष बनी गेल अछी एकदम छायादार कोई एयर कंडीशनर के जरूरत नई अछी।
नानी गांव के संपति स अपना गांव के संपति बढ़ा देलिए ।
हमरा अनुसाशन बहुत पसंद अछि । तरल पदार्थ स परहेज समय पर सुपच भोजन ऑर दोसर के भी इहे सलाह दै छी ।
कनि कनी रक्त चाप बढ़ी जाये अछि कियाक कि गुस्सा ऑर गलत बात सहन नै अछि ।
त हम सोचे छी जे परहेज़ स कंत्रोल राखी बाँकी हमरा कुछ नै अछि हम सोची रहल छी केना हमरा उम्र के दोस्त सब   दवाई झोड़ा लक घुमैत रहित अछि।


हम राम जी के मंत्र लेने छि बल्कि हमरा गांव में सीता राम के धुनी हरदम चलैत रहैत अछि सबके अयोध्या नगर स बहुत प्रेम छै ताहि कारण स हम ऑर मंझ्ला भाई मिलके आयोध्या में छोट छिन् घर ल लेनो ताकि भविष्य में कभी राम जी के नगरी जाऊ त कोनो तरहक परेशान होइ के जरूरत नई पड़े।
मंदिर बनै के बाद नै ई नगर एतेक महग भ गेल अछि हम त एतेक सोछ्ने हि नै रहि कि अतेक हाई फाई भ जयते।
खैर देखू रिटायर्ड होबित तक दुनु बेटी के बियाह क लेनों।
बस अयोध्या जा पेलों ऑर बाँकी जगह के लिस्ट बना क मन में धैने छी कियाक अपन बेटा के लेल कोई लड़कि खोजी रहल रहि तखन हमरा घर में हमर मांझिल भाई के सर्बेटी एलखिन हालांकि हमरा घर में हमर बेटी सबस बेसी बातचित नै छला लेकिन ई शुरू स अपन मोऊसी के घर अबैत चल्खिन चंचल स्वभाब के कारण सबके चहेती छलखिन ।


ऊ अपना चाचा के बेटी के बारे में कहलखिन की एना लड़की छै विवाह करी लिए चूंकि हम सोचने रही कि बेटा के विवाह करी के अपन पुतहू के हाथ में राज पाट द क एक्टा बढ़िया कार लिये और अपना कनिया के साथ पूरा भारत के भ्रमण करूं। तीर्थ स्थान सब पर जाऊ /


सबकुछ अपना प्लानिंग के अनुसार ही क रहल छलिए।
मंझला भाई के सर्बेटि क नाम पिंकी चूँकि उ बचपन स ही हुनकर घर में जान आन होइ छल ऑर हमर बेटा के विवाह क्रवावाक करब बाद ऑर करीबी भ गेलखिन ।
अहि क्रम में हमर एकटा रिश्तेदार के सिद्धांत में दिल्ली जाय के मौका मिलल त दिल्ली गेलों।
अपन मिथिलांचल के त बहुत लोग छथिन। सब फोन करी क बज्जव लगलथ जेना जेना हुनका पता लागल तेना तेना फ़ोन आब लागल /

आब पिंकी महारानी के भी फोन आब गेल मौसा आऊ ने मौसा केना नै एबे ।
हालांकि हम कहलिये 13 गो लोक बजबय य कत कत जाऊ।
पिंकि भी निश्चिंत भ गेल की आब त मोऊसा नई एता लेकिन जने की मन फुर्र्याल की पाहुन के फोन केनो कि मेट्रो स आबि रहल छी हमरा लेब आउ और हम पहुँच गेली हमरा अपना घर पर पावी क दुनु प्राणी ऑर हुनकर 6 वर्खक बेटा बहुत प्रसन्न भेल्ला।


फ़ेर सबकोई हमर इक्षा अनुसार अक्षरधाम, इंडियागेट पर के शहीद सबके नाम लिखेल छै से देखनो बहुत सारा बात चित भेल ।
बात बात में बतेनो कि अगला साल हम अपन परिवार लक मथुरा वृन्दावन सब जगह घुमव अपना कनियाँ के छोड़ी क जेनाये ठीक नइ छै नै । पिंकी हमर सब बात पर सहमति छलखिन।
ठीक मोउसा आंहा मोऊसि क लक आयब तहन हम सब गोटे चलब ।
चूँकि पिंकी ऑर हमर बीच मधुर करार भ गेल।
हालाँकि हमरा अपन बड़का नाति के जन्मदिवस के अवसर पर जाय्क छल ई घटना माघ महिना के छल ऑर फागुन में नाती के जन्मदिन छल ।
हम अपना नात्ति के वादा क त लेने रहि कि आंहा साथे समय वयतीत करब लेकिन रिटायर्ड होव के बाद और जेना जिंदगी अस्त व्यस्त भ गेल ।
छोटकी बेटी स भी नाती भ गेल जिंदगी जेना एकदम परफेक्ट कोई चीज के कमी नई सब बात हमारा मर्जी के हिसाब स चली रहल छल।
सुंदर दालान बना लेनो एक्टा नई तीन भाई रही त तीन दिशा में तीन गो दालान।


कार लेनो त ओकरा रख के लेल अलग स गराज बना लेनो। छठी पूजा में पोखर गंदा रहे छल त हमर भावों के छठ में दिक्कत नई हो त एक्टा अपन दालान पर पर्सनल पोखर भी छोटा सा बना लेनो।
अभी एकाध साल त ऊ कच्चे तालाब में पूजा केलखिन लेकिन अबकी साल पक्का करवा देलिए या अबकी बेर पक्का तालाब में पूजा करथिन /
बाहर के बकरी सब अन्दर आब जाई अछी त मज़बूत दरवाज़ा भी लगवा देनों।
बाबू जी के देखई छलिये के अंत समय में बहुत दिक्कत छल घुटना में बाथरूम जाय में बहुत परेशानी होय छल।
ताहि कारण स हम अपन कमोड वाला बाथरूम दालान पर ही बना लेनो ।
सब बात व्यवस्था बढ़िया करी लेनो कि अब बस जिंदगी के मजा लेब ठाठ स।


अब हम भादो में दादा भी बन वाला रही और जिंदगी एकदम परफैक्ट भ जयते इतना शानदार जिंदगी दुनिया के कोई इंसान के नजर फटी जयते लेकिन शायद किस्मत में कुछ आओर लिखिल रहे।
हम बस सोचने रही की रिटायरमेंट के बाद अपन पोता संगे खेलूं।
गरीब बच्चा सबके पढ़ा क कुछ समाज के उन्नति में योगदान दिया।
हमरा सामाजिक कार्य में भागीदारी करनाई भी बहुत निक लगे छल ।
भादव में हम दादा भी बनी गेलि शायद हमरा स भाग्यवान मनुष्य अहि दुनिया में कोई नहीं होयत कि सब कुछ हमर प्लानिंग के अनुसार भ रहल छल लेकिन एकटा एहन दुखद घटना भेल की हमर जिंदगी के साथ हमर पूरा गांव और हमरा जान वाला सब लोग के पैर के जमीन की नीचा स जेना निकली गेल छल।


सावन के महीना सुबह सुबह पिंकी के भाई ओकरा दरवाज़ा पीट लगल की जेना कोनो अनहोनी भ गेल जखन पिंकी उठलखीन त मुरारी एकदम बेसुध पता चलल जे अब मुरारी के बड़का पापा आब दुनिया में नई रहला किया त सुबह सुबह ब्रेन हेमरेज भ गेल।
पिंकी और मुरारी पूरा परेशान कियाकी पूरा हृष्ट पुष्ट आदमी इतना डिसिप्लिन वाला इंसान के आखिर की भ गेल।
जब पूरा बात के पता लगल त समझ में आयल की बड़का पापा दु तीन दिन स बाहर जाई छला और बीपी शायद बढ़ गेल छले।
ऊपर स खेत में कोई रास्ता बना लेने छल ओहि बात स ओ खिसिया क खेत पर गेला एम्हर भोरे स कहने रहथिन की
घर में कांच केरा के तरकारी ऑर करेला के मसाला भरि क तरकारी बना क राखब ऊ ऑनहि रखल लाल चाय बड़कि मा के हाथ के बनल धरि क रखले रहि गेल हुनकर बेटा सुति क उठ्ल छलहे कि पूछ्लह बाबू जी कहा गेलखिन तब तक खेत् पर स एकटा लड़का आयल हाप्ते की मास्टर बाबा के सांस तेज़ चली रहल छै जल्दी चलु सब जेना जेना बुझल तेना सब खेत के तरफ़ भगलाह पहले त गांव के लोक पानी छिटके के देखने रहे फिर गंगा जल भी पिया देल गेल तब तक बेटा बाइक स एला लेकिन इतेक लम्बा चौड़ा मनुख के बाइक पर मूर्छित अवस्था में ल जेना बहुत मुश्किल कार्य रहे फिर बेचारा भागी का वापिसी में घर एला अपन मां और प्रेग्नेंट पत्नी के एक झलक देख के कार के चाभी हाथ में लक खेत के तरफ़ भागी के जखन तक बाबू जी के गाड़ी में रखला तब तक शायद बहुत देर भ गेल रहे लेकिन बेटा हिम्मत नई हरला और भोर के समय में गांव घर में डॉक्टर मिल जाय ई त गांव के लोक के ही मालूम रहे छै ।
जब ऊ मंदिर में उठा के लेल गेलखिन शायद ताहि घड़ी मंदिर में लोक सब हुनका मुंख में तुलसी जल देलखिन की कोई चमत्कार भ जायत लेकिन मुंह में रखते ऊ चली गेलखिन।

आब के किनका समझाए जे सुने ओकर दांती लगे हे प्रभु इतेक निक लोक के केना इतेक जल्दी बजा लेनो।
पिंकी और ओकर मौसेरा भाई परेशान फिर जेना तेना टिकट के इंतजाम करी के ऊ गांव अपन भाई के भेजलक।
गांव में त जे सुने की मास्टर साहेब नई रहला ऊ स्तब्ध आखिर एना केना भ सके छै।
फेर जे होई छै अपना सनातन धर्म में ओय रीति रिवाज के अनुसार क्रिया कर्म भेल जाहि थाम ऊ अपन बाबू जी , माताजी ऑर चाचा चाची के सारा बना के धेने रहथिन ओहि थाम हुनको विश्राम देल गेल।
ई घटना करीब 13 तारिक भादव महिना के घटना अछी और 26 तारिक के मास्टर साहेब यानी की हम दादा बनी गेला बस भगवान के लिखल और की कहू ।


फिर हमरा कनिया के तबियत ठीक नई रहे छल।
त प्रोग्राम बनल जे दिल्ली में ईलाज कराल जयते और हम पिंकी स वादा लेने रही कि मथुरा वृंदावन और हरिद्वार घूम के छै से भी पूरा भ जायत।
सब कोई के दिल्ली के टिकट बनल और साथ में हमर एक महीना के पोता भी जेकरा लेल हम इतेक सपना देखने रही ।
सब कोई दिल्ली पहुंचलों पिंकी सबके देखी के बहुत भावुक भ गेल कियक अब सब कुछ बदल चुकल छल ।
समय और हमर कनिया के चेहरा नई बिन्दी नै चुरी नै सिन्दुर।
अब हुनकर दुनिया विरान भ गेल छल। दुनु एक दोसर के गले लगी क मिल्ल्खिन…/

पिंकी के आदत छले हमर कनिया के हाथ में लाल लहठी देख के जे हमेशा हमही लाबैत रही / हुनकर साडी स लक न्योत पिहानी सब हम अपना हाथ स करेत छनो …/

कभी उनका परेशान नै होव देलिए … आब पता नै केना करथिन… खैर सब कोई दिल्ली स हरिद्वार क सफ़र पर निकलों … हमहू रही हुनका सबके साथ ओई सफ़र पर लेकिन अपन अस्थि के रूप में ऊहे लोटा में जे कथा के शुरुआत में हम कहने रही ../


कियाक ई हरिद्वार के सफ़र पर हम रहि लेकिन हम नई रहि हमर अस्थि रहे जे हमर बेटा हमरा हरिद्वार के सप्न के पूरा कर गेला ऑरअपना साथ हरिद्वार के गंगा जी में विसर्जित क देला।
मुरारी हमर मझुला भाई के बेटा जे साथ में छला।
कह के मतलब कि हम अपना लाइफ में कतेक प्लानिंग करलिए लेकिन ऊपर वालाके प्लानिंग के आगे सब फीका छै ।


हम पिंकी और ई कथा छल बड़का मौसा जी के हम हुंका इतेक करीब स जनित रही कारण बचपन स हम हुनका गांव जाय छलो और बातचीत करते रही हुनका दुनिया से विदा भेल सावन में दु साल भ जायत हम बहुत दिन स लिख चाहत रही लेकिन हर्फ ब हर्फ (एक एक शब्द) लिखना मुश्किल छल
लेकिन कोशिश केनो।
बस हम ई कथा के जरिए ई कह चाहे छी जे आहा कतेक कोशिश करी लिए लेकिन विधि के लेख मिटेनाई मुश्किल अछी कहे छै ने लाख केनो चतुराई विधि के लिखल  मेटल नहि जाई ….. खैर उ वकुंठ निवासी भ गेल्लेथ …/ छठी पूजा त भेल पक्का तालाब में लेकिन जिनके कारण स उ तालाब बनल उ देख के लेल नहीं रहला /

जखन हम हुनका गाँव जायत छी तखन हर कोना स हुनकर खुशबू … हर हुनकर रोपल गाछ स जेना उ सांस ल रहल छथिन तेहन महसूस होयत रहय या … हुनकर पोता के देखि क हृदय त ज़ुरा जाये अछि लेकिन एकटा हूक उठए अछि देखू विधाता के लिखल एक महिना बस अगर रुकी जयता त अपन पोता के देख लयता और की बच्चा जखन बड़ा होयत तब समझता की दादा कतेक बेकल छला …/ खैर दादी के जीव के सहारा उहे बच्चा अछि ../आब अपन कलम के विराम द रहल छी…/

बस एतेक की जिन्दगी ता चलित रहए छई जिन्दगी के आखिरी साँझ कहन भ जायत कुछ पता नै अछि ताहि लेल कनी कनी घुमल फिरल करू…. अपन पसंदीदा जगह पर जायल करू …. की हृदय के बात हृदय में नहीं रही जाये …./

साधना भूषण के कलम से …

sadhanasource.com

My name is Sadhana Bhushan. I love to write which I feel from my heart. Its journey has been started since my childhood. In My college day lots of articles and story has been published in local newspaper. I know Maithili, Hindi, Magahi and English. May be my English could be not strong because I have started English after my marriage while I had to do post-graduation in journalism. So, I have two degrees in post-graduation first in economics (Magadh university Patna) 2nd in journalism (Sikkim Manipal University). diploma in journalism from Magadh university Patna after film direction and production course from AAFFT. Then Join Sadhana News as an Intern coincidently. Where I have learned so many things. family and career were not going smoothly so I Have decided to write from home and my happiness not for earning It comes from writing. in lockdown period I have written 300 more than articles, story and so many things Whatever nobody was judging me because it was free, and I have learned so many things proper way to writing then journey has been started. Matram India where my First story has been published. and Pratilipi and more than two portals 9news but I was not satisfied then I have started my own website sadhana sources. Now a days three people are working with me. ( हालत कभी आसन नहीं थें . राह बहुत मुश्किल थी . अर्थशास्त्र में मास्टर हिंदी भाषा में करने के बाद इंग्लिश सीखी ताकि जर्नलिज्म की किताबें पढ़ सकूं . 2008 में डिप्लोमा किया था लेकिन घरवालों ने काम नहीं करने दिया की लड़कियों के लिए ये ठीक नहीं . मैंने बहुत से मेडल्स कॉलेज में जीता था पर सबको लगता था की अगर हाथ पैर टूट गया तो कौन शादी करेगा और मुझे बहार खेलने के लिए नहीं जाने देते थें . मैंने बात मान ली लेकिन सपने को छोड़ा नहीं . फिर उनकी बात मानकर शादी कर ली ताकि राजधानी में मेरा कुछ भला हो सके .फिर मैंने फिल्म प्रोडक्शन और जर्नलिज्म में मास्टर किया .कंप्यूटर में डिप्लोमा किया घर के साथ कुछ न कुछ करती रही . प्रोडक्शन के बाद मुझे बाहर जाने का अवसर मिला था लेकिन वही बात महिला को बाहर जाने का कोई प्रोयजन नहीं मैं चुप रही पर मेरे सपने मुझे सोने ही नहीं देते थे फिर मैंने जैसे तैसे साधना न्यूज़ में इंटर्नशिप किया लेकिन घर से 30 किलोमीटर जाना और 30 किलोमीटर आना आसान नहीं था क्यूंकि अब घर में मेरा बेटा भी था जिसको मेरी ज्यादा जरुरत थी . लेकिन सपने मेरी उम्र के साथ बढ़ रह थें . फिर मैंने ऑनलाइन लिखना शुरू किया और ये सफ़र अभी भी जारी है और उम्र के आखिरी पड़ाव तक चले इतनी सी तमन्ना है . मैं अक्सर ये सोचती थी की क्या करुँगी इतना सब सर्टिफिकेटस का सब बेकार हैं .लेकिन अब जब लिखना शुरू किया तो सब की जरुरत होती है तो अच्छा लगता है. बस मैं इतना कहना चाहती हूँ की अगर आपने सपने देखें हैं तो उसको पूरी करने की जिम्मेदारी भी आपकी ही है और जब आप सोने जाएँ तो सपना आपको सोने न दे . और उस सपने को पूरा करने के लिए अपने व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा समय जरुर निकालें वरना आप जिन रिश्तों में उलझे हैं वही सबसे पहले ताने मारते है और वो ताना चुभता बहुत है ; क्यूंकि ये सब मेरे साथ हो चूका है . साधना भूषण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *