बिहार में वो प्रेम की निशानी है जिसके आगे ताजमहल भी बौना साबित हो जाए
गया से 50 km दूर एक गाँव है गहलौर, जहाँ सीना ताने खड़ा था 360 फीट ऊँचा एक पहाड़, जिसे केवल हथौड़ी और छेनी से दशरथ मांझी ने चीर दिया और बना दिया रास्ता, वो भी केवल इसलिए कि 15 km का रास्ता इस पहाड़ के कारण 55 km का हो जाता था और इसी दूरी ने दशरथ मांझी की पत्नी की जान ले ली।

अरे, लोग ताजमहल की निशानी देते हैं प्रेम की, जिसे बनाने वाले के हाथ काट दिए गए लेकिन जो प्रेमी प्रेम में पहाड़ चीर देता है, उसमें रास्ता बना देता है उसे गुमनामी मिलती है। सोचो क्या जज़्बा होगा उस बिहारी का जिसने 22 साल लग के अकेले हथौड़ी-छेनी से उस पहाड़ को काट दिया।

प्रस्तुत :-रजत रंजन
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