‘रेलवे टिकटों की ऑनलाइन अनाधिकृत बिक्री अपराध’: सुप्रीम कोर्ट ने IRCTC साइट के मामले बहाल किए
सुप्रीम कोर्ट ने Railway Act, 1989 की धारा 143 के तहत आरोपी के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को बहाल कर दिया, जो ई-रेलवे टिकट बेचने के लिए कई यूजर्स आईडी बनाकर अनधिकृत गतिविधियों (unauthorized activities) में शामिल था।

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने केरल हाइकोर्ट के फैसले को पलट दिया, जिसमें प्रतिवादी के खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी गई, जिसके खिलाफ आरोप था कि उसने सैकड़ों IRCTC आईडी बनाकर अवैध रूप से ई-रेलवे टिकट खरीदे और बेचे थे। हाइकोर्ट ने फैसला सुनाया कि अधिनियम की धारा 143 के तहत दायित्व केवल तब लागू होता है, जब टिकट ऑफ़लाइन बेचे जाते हैं और अनधिकृत ऑनलाइन टिकट बिक्री के मामलों तक विस्तारित नहीं होते हैं।

रेलवे अधिनियम की धारा 143 के रेलवे टिकटों की खरीद और बिक्री के अनधिकृत व्यवसाय को अंजाम देने के लिए दंड से सम्बन्धित है। न्यायालय ने पाया कि रेलवे अधिनियम की धारा 143 के तहत दायित्व आकर्षित करने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि रेलवे टिकट ऑफ़लाइन बेचे जाएं। इसके बजाय प्रावधान ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों तरीकों से अनधिकृत रेलवे टिकटों की बिक्री को प्रतिबंधित करता है।

उपरोक्त प्रस्ताव को लागू करते हुए न्यायालय ने प्रतिवादी द्वारा दायर निरस्तीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए धारा 143 के उच्च न्यायालय के निर्माण को इस आधार पर खारिज कर दिया कि अधिनियम इंटरनेट और ई-टिकट के आगमन से पहले अधिनियमित किया गया और कानून निर्माता ऑनलाइन टिकटों की बिक्री की कल्पना नहीं कर सकते थे। तदनुसार, अपील को अनुमति दी गई।

साभार:- Live Law Hindi
By: – Rajat Ranjan
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