विलुप्त होते तीन पहिया रिक्शा और हमारे विचार.

तीन पहिया वाला रिक्शा जाने कैसे गुम हो रहें है. कभी तो आपके मन में ये सवाल आता होगा . जिस में सवारी करके हमारा बचपन बिता . हम स्कूल और कॉलेज गये ,लेकिन हम भूल गये क्यूंकि हम बहुत व्यस्त हो गये थे अपने जीवन आगे बढ़ने की दौर में आसमान को छूने की लालसा में आधुनिकता की चादर ओढने में . हम भूल गये की रिक्शा जायेगा तो कितने घरों में चूल्हा बंद हो जाएगा . लेकिन तो हमें इन्शानियत से परे एक अलग ही जहाँ बनाना है . बुलंदियों को छू कर आना है .

फोटो – साधना भूषण .
आज कल इलेक्ट्रॉनिक युग आ गया है.
हमारे पूर्वजों ने पहले बैलगाड़ी खींची फिर पेट्रोल फिर सीएनजी गाड़ियां आई।
लेकिन मानव समाज कहां रुकने वाला है उसे तो और तरक्की करनी है ।आगे जाना है बस ।
अब इलेक्ट्रिक गाड़ियों का युग चल रहा है ।
इलेक्ट्रिक बस ट्रेन के बाद इलेक्ट्रिक रिक्शे का चलन चल रहा है ।
इलेक्ट्रिक रिक्शे के आने के बाद तीन पहिया रिक्शा चला रहे चालकों की स्थिति बद्तर हो गई हैं ।
बड़े शहर में तो तीन पहिया रिक्शा लगभग विलुप्त ही हो गया है ।

जब मैं पिछले साल अपने बेटे के साथ कटिहार गई और उसने तीन पहिया रिक्शा देखा तो इस तरह से चहका जैसे उसने कोई अजूबा चीज देख ली हो ।
और जब तक वो उस रिक्शे पर नहीं बैठा तब तक उसे चैन नहीं आया ।
वो दिन है और आज का दिन चाहे जो हो उसे ई रिक्शा पर नहीं बैठाना उसको तो उसी रिक्शे पर बैठने में अच्छा लगता है।
जब रिक्शे वालों की तरफ देखा तो समझ ही नहीं आया कि क्या करूं किस रिक्शे पर बैठूं क्योंकि सब की निगाहें लाचार हमारी तरफ ही देख रही थी ।
अब मैं बैठ तो एक ही पर सकती थी सो मैं बैठ गई ।बाकी लोग बेचारगी से मुझे देखने लगे पर मैं क्या ही कर सकती थी ..
लेकिन मेरी सोच मुझे चैन से बैठने नही दे रही थी . की हम आधुनिकता में इतने अंधे हो गये हैं की आस पास के लोगों की परेशानी भी नहीं देखते , हमें तो बस आगे जाना है चाहे चाँद को छूकर आना है चाँद भी छू लिया सब हो गया , लेकिन तस्सली नहीं है .

पूरा धरती पर अपना कब्ज़ा कर लिया आधिपत्य जमा लिया . अब ब्रह्माण्ड को भी अपने कब्जे में करना है . हर तरफ मानव जाती का ही राज्य है.
लेकिन अचम्भे की बात यह है की मानव मानव के विषय में ही नहीं सोच रहा है. जो सक्षम है वो तो बहुत तरक्की कर रहा है लेकिन जो पिछड़ा वर्ग है वो और पिछड़ा होता जा रहा है हालाँकि सरकार रोज नये नये परियोजनाएं लाती रहती लोगों को लाभ भी मिलता है . शिक्षा के आभाव में वो अपने हक़ के लिय भी नहीं लड़ पाते या बोल पातें .

हमें जरुरत हैअपने आस पास के लोगों का ख्याल रखें चाँद को छूने की तमन्ना के साथ की पड़ोस के आँगन में दिया जला की नहीं और कोई आस पास भूखे न सोये . अपने अन्दर के इन्शान को मरने न दे .
कभी बे वजह कुछ खरीद लिया कभी रिक्शे पर बैठ गये कभी बिना मतलब के एक्स्ट्रा पैसे दे दिए कितना अच्छा होगा न . मेरी खुद की कार है लेकिन मैं रिक्शे पर ही बैठती हूँ . हमारी छोटी छोटी सी मामूली सी चीजें लोगों की जिंदगी बदल सकती हैं .
लेखक – साधना भूषण … फोटो साभार गूगल ..