संघे शक्ति: नारी सुदीप्ति

कल दिनांक 8-3-2025 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली एन.सी.आर. में रहने वाली साहित्य स्नेही स्त्री लोकों का एक समूह इकट्ठा हुआ। बिना किसी औपचारिक आमंत्रण के, बिना किसी मंच या लोभ के, सभी लोग एकत्रित हुए और स्त्री लेखन पर विमर्श, काव्य पाठ और गीतों के साथ एक सुंदर और आनंदमयी कार्यक्रम का आयोजन किया।

मैथिली साहित्य की श्रेष्ठ लेखिका लोकों के दिशा निर्देशन में हमारा कार्यक्रम का रूपरेखा तैयार किया गया, जो जय-जय भैरवी से शुरू होकर गीतों के साथ समाप्त हुआ। मंगलाचरण के पश्चात, वर्तमान मैथिली साहित्य में स्त्री लेखन केंद्र में रखकर एक सार्थक और विस्तृत विचार विमर्श किया गया। विमर्श का विषय था “स्त्री-लेखन-दशा, दिशा और गंतव्य”, जिसकी मुख्य वक्ता मैथिली की श्रेष्ठ साहित्यकार डॉ. आभा झा थीं।
मैथिली साहित्य में स्त्री रचनाकारों के प्रवेश के इतिहास से लेकर वर्तमान में लेखन की स्थिति पर चर्चा-परिचर्चा के साथ-साथ साहित्य में किस तरह के विषय वस्तु का समावेश किया जाए, इस सभी बिंदुओं पर आदरणीया ने अपने विचार रखे। इसके बाद कविता, कथा, गीत आदि की स्वैच्छिक प्रस्तुति हुई। इस बीच डॉ. आभा झा रचित पोथी “बजितथि जँ उर्मिला” का लोकार्पण किया गया।

दिल्ली के कोने-कोने से पहुंचे एक से बढ़कर एक कवयित्री, कथाकार, गीतकार और गायिका की प्रस्तुति का रसास्वादन करते हुए हमारे लोक लगभग साढ़े चार घंटे तक आनंद की सरिता में डूबकी लगाते रहे। आयोजन पूर्णतः अनौपचारिक था, विशुद्ध आत्म प्रकटीकरण का एक मज़बूत और सार्थक पहल था या कह सकते हैं कि हमारा यह कार्यक्रम चिंतन, अभिव्यक्ति और आनंदोल्लास का एक सुंदर मेल था। आशा करते हैं कि समय-समय पर आगे भी ऐसी बैठकें होती रहेंगी। इस सुंदर और सफल कार्यक्रम के समस्त प्रतिभागियों को ससमय पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। शुभकामनाओं के साथ…/आभा झा के कलम से …यहाँ दिया गया मैथिली पाठ का हिंदी अनुवाद है:
वाह
Dhanyawad