संभल हिंसा

संभल जिला कोर्ट में ऋषि राज नामक व्यक्ति ने एक याचिका दायर किया। याचिका में कहा गया कि तथाकथित जामा मस्जिद हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर के ऊपर बना है। इसलिए इसकी सत्यता के लिए सर्वे किया जाए। इसके बाद कोर्ट ने भी सर्वे करने का आदेश दिया। हरिहर मंदिर बनाम जामा मस्जिद सर्वे के पहले दिन ही सर्वे टीम को मस्जिद के अंदर अच्छी भीड़ का सामना करना पड़ा था। 19 नवंबर को जिला प्रशासन ने सर्वे की अनुमति जामा मस्जिद के अधिकारीयों से ली थी। इसके बाद भी चिन्हित लोगों के अलावा बहुत लोग अंदर घुस गए। इस वजह से अंदर भीड़ बहुत ज्यादा हो गई। और भीड़ की वजह से सर्वे को स्थगित कर दिया गया। इस कारण 24 नवंबर को सर्वे का दिन निर्धारित हुआ।

प्रशासन ने पहले दोनों पक्षों से बात की थी।
किसी पत्रकार से बात करते हुए एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मस्जिद के सदर जफर अली के अलावा इंतजामिया समिति के सदस्यों के समक्ष ऐडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव को अपनी टीम के साथ सर्वे करना था। इसके लिए जिला प्रशासन ने दोनों पक्षों से बातचीत की थी। जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया था कि कितने लोग अंदर प्रवेश करेंगे। एसपी-डीएम के अलावा सभी प्रशासनिक अधिकारियों को बाहर रखा गया था। इसके बाद मुख्य द्वार को बंद कर दिया गया था। कुछ ही समय में वहां एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई। समस्या ये हुई कि शहर के कुछ जनप्रतिनिधि और उनके समर्थक वहां आ धमके। और तथाकथित मस्जिद का मुख्य द्वार खुलवा कर अंदर घुस गए।
जबरन तथाकथित मस्जिद में घुसे थे 150-200 लोग।
ऐसे में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी ने इंगित लोगों के अलावा घुसने वाले लोगों का विरोध किया था। लेकिन जनप्रतिनिधियों के साथ लगभग 150-200 लोग तथाकथित मस्जिद में प्रवेश कर गए। इसके बाद सर्वे टीम को अपना काम करने में कठिनाई होने लगी।
वहां मौजूद लोग सर्वे का विरोध करने लगे। चुकी रात का समय था। इसलिए ज्यादा भीड़ में सर्वे टीम को काम करने में परेशानी होने लगी। इसके बाद एडवोकेट कमिश्नर और जिला प्रशासन ने काम बंद दिया। फिर तय हुआ कि काम अगले दिन होगा। लेकिन, जुम्मे की नमाज और उपचुनाव मतगणना के चलते अगले चार दिन तक काम हुआ ही नहीं।
तथाकथित मस्जिद में कोई भी सुरक्षाकर्मी उपस्थित नहीं था। – संभल जिलाधिकारी राजेन्द्र पैंसिया
सर्वे के पहले दिन ही डीएम-एसपी, एडवोकेट कमिश्नर और दो वकील के अलावा किसी को अंदर प्रवेश नहीं दिया गया। यहां तक की पुलिस अधीक्षक के पी.आर अधिकारी, कैमरामैन और अन्य सुरक्षाकर्मियों को भी प्रवेश नहीं दिया गया।
भीड़ हुई उग्र
इसके बाद वो भीड़ उग्र होकर पथराव करने लगी। साथ ही आसपास के गाड़ियों में आग लगाने लगी। पथराव के बीच में पुलिस बल ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठी चार्ज किया। और आंसू गैस के गोले भी छोड़े। जिससे माहौल और ज्यादा भड़क गया। और इस हिंसा में तीन युवकों की मौत हो गई। जिनकी पहचान नीम, बिलाल और नेमानी के रूप में हुई है। जिनका पोस्टमार्टम किया गया। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। पुलिस ने 21 लोगों को गिरफ्तार किया है। जिसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं।
हिंसा पर हो रही राजनीती
इस घटनाक्रम के बाद अखिलेश यादव की पार्टी सपा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कटाक्ष करना शुरू कर दिया। इसके बावजूद हिंसा में पकड़े गए लोगों पर एन.एस.ए के तहत कार्रवाई होगी।

Written by Abhishek Thakur..