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स्टेटस का चक्कर

आज मेरा बर्थडे था मैने सुबह उठकर सबके स्टेटस चेक करने शुरू किए दो चार लोगों के सिवाय किसी ने भी मेरा स्टेट्स नही लगाया था मुझे बहुत गुस्सा आया की बताओ की मैं सबके बर्थडे पर स्टेट्स लगाती हूं …।और मेरे बर्थडे पर किसी ने नहीं लगाया तब तक मम्मी कमरे में आ गई और मैंने प्रणाम स्रनाम किया और मम्मी से शिकायत शुरू कर दी मम्मी बोली तो क्या हुआ हमारा भी तो कोई नही लगाता मम्मी ने मासूम सा मुंह बनाकर बताया मैंने उनको याद दिलाया मम्मी आपको याद भी है आपका रियल बर्डे कब आता है तो मैं लगा लेती और घर के बाकी फोन से भी कर देती मम्मी ने कहा जैसे अपना खुद का स्टोरी के साथ करती है घर के सारे फोन से खुद ही लाईक करती हो मैं कब चुप रहने वाली थी मैने भी कहा आप लोग भी तो नहीं पढते तो क्या करू मैं…।


उन्होंने कहा नौकरी पेशे वाले लोग हैं न कमाए तो तुम्हें कैसे पालेंगे और बैग टांग के चली गई स्कूल…।
हे भगवान ये स्टेटस का कम सदमा था की मम्मी ने बेरोजगारी का तगमा लगा दिया काम तो करती हूं कहानी लिखती हूं लेकिन लेखकों की वैल्यू किसको है सो मैं सोच में ही डूबी थी तब तक मम्मी ने फिर से आवाज दी अगर फुर्सत मिल जाए और सैर सपाटा हो जाए सपनो की दुनिया से नाश्ता कर लेना टेबल पर रखा है…।
हां हम लेखकों की तो पसंद की जगह है सपनो की दुनिया कल्पना करना और उसको कागज पर उकेर देना …।


आज बात स्टेटस की हो रही है तो क्या ही मार्क जुगरबर्क ने चीज बना दी है हां जिन्होंने फेसबुक बनाया फिर जी नही भरा तो वॉट्सएप बना दिया लेकिन असली पैसे तो हम इंडियन से ही कमाते हैं पहले जब लोग कुछ बढ़िया करते थे यानी की कुछ महंगा पहन लिया कुछ खा लिया पिज्जा बर्गर मैकडोनल्स में चले गए या किसी मॉल में चले गए बढ़िया जगह से शॉपिंग कर लिया तो पड़ोसी को कैसे दिखाएं समझ में नहीं आता था लेकिन अब झट से स्टेटस पर लगा देते हैं और जला देते हैं हालांकि मैं इन बातों पर यकीन नही करती की चलो जो हाई प्रोफाइल लोग हैं वो तो उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन जो ये सब अफोर्ड नही कर पाते मंहगा घूमना खाना पीना पहनना जैसे तैसे घर चला रहे हों जैसे की घर में आज सब्जी नही हो और आप फोन देख रहे हों और किसी ने बढ़िया से फाइव स्टार होटल में बैठ कर डिनर किया हो तब उस इंसान ने आपका वो स्टेटस देख लिया एक लम्हे को आप खुद को उस जगह रख कर देखिए कितना बुरा लगेगा न..।


आप इस तरह से भी देख सकते हैं की आपका बच्चा गर्मी छुट्टी में घूमने जाना चाहता है और आप पैसों की तंगी की वजह से उसको नही ले जा पा रहें हो और आपका कोई अमीर रिश्तेदार किसी वेकेशन पर गोवा जा जाकर उसको स्टेटस पर लगा दे और आपका बच्चा वो स्टेट्स देख ले फिर उसके दिल पर क्या गुजरेगी सोच कर ही मन विचलित हो जाता है न…।


अब कितने समीक्षक ये कहेंगे की पैसे नहीं है तो स्मार्ट फोन कैसे चला रहे हैं अरे भाई आजकल डिजिटलाइजेशन युग हो गया है और सब कुछ फोन से ही होता है फिर चाहे लोन क्यों न लेना पड़ेगा….।आप खुद ही देख लीजिए 10 रुपया का सामान और paytm और गूगल पे ढूंढते हैं लोग lockdoun के बाद से सब कुछ जैसे फोन ही हो गया हो बच्चे की पढ़ाई से शॉपिंग तक जिन बच्चों के मां बाप फोन नही ले पाएं उनके बच्चों की पढ़ाई छूट गई और कई बच्चों ने lockdoun के बाद शुरू किया तो कितने ऐसे बच्चे हैं जो आगे ही नही बढ़ पाएं…।


खैर बात स्टेटस की हो रही थी कितने लोग तो ऐसे भी होते हैं की उनका रुटीन होता है स्टेटस लगाना मेरी एक रिश्तेदार है नाम नही बताऊंगी अगर वो पढ़ेंगी तो समझ जाएंगी ठीक है ज्यादा लोग नही पढ़ते लेकिन घर वाले पढ़ ही लेते हैं सो एक दिन फ़ोन आया मैंने हाल चाल पूछते हुए कहा बहुत दिन से स्टेटस नही लगाया तो कह रहीं थी की अभी रामनवमी आने वाली है और दुर्गा पूजा भी चल रहा है तो दुर्गा जी और राम जी पर ही पूरा ध्यान है वरना भगवान को नाराज़ नहीं कर सकतीं किसी और का स्टैट्स लगा कर इसलिए बच्चों की तस्वीर नही लगा रही मैने मन ही मन राम जी से सवाल किया आपलोग इनका स्टेटस देखते भी हो या नहीं बेचारी कितने मन से लगाती हैं….।
एक बार मेरे एक करीबी रिश्तेदार की मौत हो गई थी और मेरी cousin ने उनके पार्थिव शरीर की फोटो अपलोड कर दी और उसे बहुत सारे रिप्लाई मिले कुछ लोगों ने चिंता व्यक्त की कुछ लोगों ने दुःख वाले इमोजी भेजे जिसने भी देखा कुछ न कुछ लिखा ज़रूर और कायदे से जरूरी भी था लेकिन मेरी कजिन को इतनी खुशी हुई जैसे यूट्यूब वालों ने डायमंड बटन भेज दिया हो अब तो वो दाह संस्कार से लेकर पगड़ी तक की फोटो स्टेट्स पर लगाने लगी लेकिन धीरे धीरे रिप्लाई कम आने लगे लोगों को भी कम इंट्रेस्ट आने लगा की क्या रोज़ एक ही बात डालती रहती है जिंदगी में कम झमेले थोड़े ही न है और फ़ोन खोलो नही की इनका रामायण चालू लोग अलग चिढ़ रहें थें वो अलग चिढ़ रही थी की लोगों ने मेरे पिक को सीन नहीं किया ….।


ये कहानी मेरे घर की नही बल्कि आज स्मार्ट फोन उपयोग करने वाले हर एक व्यक्ति की है जो जिधर है जिसमे है उसको उसमें खुश नहीं रहना उसको अगर भगवान जी ने जरूरत से ज्यादा दे दिया है तो सबको दिखाना है जलाना है और उन्हें दुखी करके खुश होना है अगर भगवान जी ने इतना दिया है की आप दुनिया को सैर कर हो और जो लोग दिल्ली में रहकर इंडिया गेट और लालकिला नही देख पा रहे उनका दुख सोचिए जरा ….।


और एक बात याद आ गई मेरी पड़ोस में अंकल हैं वो अपने बच्चे का कपड़े से लेकर स्कूल की सारी बातें शेयर करते हैं सोशल मीडिया पर और उन्ही के दोस्त का लड़का पढ़ने में कमज़ोर है और वो अंकल सोशल मीडिया पर भी अपने दोस्त को फ़ॉलो करते हैं और उनका बेटा पढ़ाई में उतना अच्छा नही है और जब दोस्त अपने बच्चे के पढ़ाई का स्टेट्स लगाते हैं तभी बेचारा उनका बच्चा पीट जाता है अब इनके बेटे को ये नही पता की सारी गलती सिर्फ उसके ख़ुद की नही बल्कि जुकरबर्ग भी है अगर वो स्टेट्स का भूत सबको नही चढ़ाता तो बच्चा पिटाई से बच सकता था खैर ऐसे कितने बच्चे होंगे…।


आप गौर करिएगा जब रिजल्ट आता है तो सारे पैरेंट्स सोशल मीडिया पर अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड की पिक लगाकर खुद को प्राउड फील करवाते रहते हैं बैकग्राउंड में तुझे सूरज कहूं या चंदा गाना बजते रहता है सॉरी मेरा नाम करेगा रोशन वाला गाना और पता नही कैसे आजकल के बच्चे सीधे 99% ले आते हैं एक हम थे 55 से 60 % नही आता था लेकिन कभी कोई ये नही सोचता की अगर किसी कमजोर बच्चे के मां बाप ने ये देख लिया तो उन्हे कितना बुरा लगेगा …।


कुछ दिन पहले ये ख़बर आई थी की एक मां ने अपने बच्चे के कम अंक आने पे सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट डाला था की कम नंबर आने पर मेरा प्यार तुम्हारे लिए कम नहीं हो जाता ये तो पहली सीढ़ी है जो तुमने चढ़ी है और तुम्हे बहुत दूर जाना है लोगों ने जमकर उस मां की तारीफ़ की थी ….।


और ऐसा ही होना चाहिए की नंबर कम हो या ज्यादा इसके अनुसार भेदभाव नहीं करना चाहिए….।


पढ़ाई लिखाई किसी के अच्छे और बुरे होने का निर्णय नही कर सकती जरूरी है की वो इंसान कैसा है उसके संस्कार कैसे है पढ़ने में तो किसी का ज्यादा ध्यान लग सकता है तो किसी का कम इससे किसी के व्यक्तित्व का कैसे निर्णय कर सकते हैं ….।
खैर बात स्टेट्स की हो रही थी और मैं भावनाओं में बह गई स्टेट्स लगाना अच्छी बात है लेकिन इसको लगाने से हम किसी को आहत तो नही कर रहे हैं क्योंकि हमारे फोन में बहुत से निम्न वर्ग से लेकर उच्च वर्ग तक के नंबर रहते हैं और उनके सोचने का तरीका हमसे अलग हो सकता है हो सकता है की एक वक्त हम बहुत खुश हो और वो दुखी हों और हम अपनी खुशियां साझा करना चाहते हैं हमारी मंशा उनका दिल दुखाना नही हो लेकिन जाने अनजाने में उनका दिल दुखेगा ही …।
एक बार गौर से जरूर सोचिएगा हो सकता है मेरी बात लोगों को बुरी लगे लेकिन मेरे मन में आया तो तो सोचा इस विषय पर चर्चा करूं …।
जैसे किसी को शराब का नशा किसी को पैसे का नशा वैसे ही कई लोगों को स्टेट्स का नशा होता है इसे सोशल मीडिया edict भी कहते हैं ….।


मेरी एक दोस्त हर शनिवार को घूमने इसलिए नहीं जाती की उसको फैमिली के साथ टाइम स्पेंड करना है बल्कि इसलिए कि संडे को dp बदलनी है नई ड्रेस जो amajon से ली थी उसको दिखानी है सोचिए दुनिया में किस स्तर की चिंता चल रही ग्लोबल वार्मिंग की चिंता तो कोई चिंता ही नही इनकी चिंता के सामने ….।
मैने अपने बर्थडे पर पिछले महीने वाली ड्रेस पहन ली तो कहने लगी की ये तो तुम दो बार पहन चुकी हो मैने कहा तो क्या हुआ तो उसने कहा सब देख चुके होंगे मैने पूछा कैसे मैने तो कोई तस्वीर नही लगाई तो उसे लगा की किसी ने उसे नीचे खाई में धकेल दिया हो क्या ….।
अगर तुमने पिक अपलोड नही की तो ये इतनी खूबसूरत ड्रेस पहनी क्यों …।


मैने माथा पीट लिया बताओ अगर मैं अपनी सुंदर ड्रेस सोशल मीडिया पर शेयर नही की तो मेरा वो कपड़ा पहनना व्यर्थ हो गया …।
और ये मेरे ही नही आपके लिए भी चिंता का विषय है अगर आप ऐसा नहीं करते तो आपके पास भी इस तरह के कई लोग होंगे जिनकी चिंताएं इन चीजों से निकल ही नही पा रही है …।

sadhanasource.com

My name is Sadhana Bhushan. I love to write which I feel from my heart. Its journey has been started since my childhood. In My college day lots of articles and story has been published in local newspaper. I know Maithili, Hindi, Magahi and English. May be my English could be not strong because I have started English after my marriage while I had to do post-graduation in journalism. So, I have two degrees in post-graduation first in economics (Magadh university Patna) 2nd in journalism (Sikkim Manipal University). diploma in journalism from Magadh university Patna after film direction and production course from AAFFT. Then Join Sadhana News as an Intern coincidently. Where I have learned so many things. family and career were not going smoothly so I Have decided to write from home and my happiness not for earning It comes from writing. in lockdown period I have written 300 more than articles, story and so many things Whatever nobody was judging me because it was free, and I have learned so many things proper way to writing then journey has been started. Matram India where my First story has been published. and Pratilipi and more than two portals 9news but I was not satisfied then I have started my own website sadhana sources. Now a days three people are working with me. ( हालत कभी आसन नहीं थें . राह बहुत मुश्किल थी . अर्थशास्त्र में मास्टर हिंदी भाषा में करने के बाद इंग्लिश सीखी ताकि जर्नलिज्म की किताबें पढ़ सकूं . 2008 में डिप्लोमा किया था लेकिन घरवालों ने काम नहीं करने दिया की लड़कियों के लिए ये ठीक नहीं . मैंने बहुत से मेडल्स कॉलेज में जीता था पर सबको लगता था की अगर हाथ पैर टूट गया तो कौन शादी करेगा और मुझे बहार खेलने के लिए नहीं जाने देते थें . मैंने बात मान ली लेकिन सपने को छोड़ा नहीं . फिर उनकी बात मानकर शादी कर ली ताकि राजधानी में मेरा कुछ भला हो सके .फिर मैंने फिल्म प्रोडक्शन और जर्नलिज्म में मास्टर किया .कंप्यूटर में डिप्लोमा किया घर के साथ कुछ न कुछ करती रही . प्रोडक्शन के बाद मुझे बाहर जाने का अवसर मिला था लेकिन वही बात महिला को बाहर जाने का कोई प्रोयजन नहीं मैं चुप रही पर मेरे सपने मुझे सोने ही नहीं देते थे फिर मैंने जैसे तैसे साधना न्यूज़ में इंटर्नशिप किया लेकिन घर से 30 किलोमीटर जाना और 30 किलोमीटर आना आसान नहीं था क्यूंकि अब घर में मेरा बेटा भी था जिसको मेरी ज्यादा जरुरत थी . लेकिन सपने मेरी उम्र के साथ बढ़ रह थें . फिर मैंने ऑनलाइन लिखना शुरू किया और ये सफ़र अभी भी जारी है और उम्र के आखिरी पड़ाव तक चले इतनी सी तमन्ना है . मैं अक्सर ये सोचती थी की क्या करुँगी इतना सब सर्टिफिकेटस का सब बेकार हैं .लेकिन अब जब लिखना शुरू किया तो सब की जरुरत होती है तो अच्छा लगता है. बस मैं इतना कहना चाहती हूँ की अगर आपने सपने देखें हैं तो उसको पूरी करने की जिम्मेदारी भी आपकी ही है और जब आप सोने जाएँ तो सपना आपको सोने न दे . और उस सपने को पूरा करने के लिए अपने व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा समय जरुर निकालें वरना आप जिन रिश्तों में उलझे हैं वही सबसे पहले ताने मारते है और वो ताना चुभता बहुत है ; क्यूंकि ये सब मेरे साथ हो चूका है . साधना भूषण

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