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हर घर रावण

वो अपने कमरें में अँधेरे में लेटी हुई थी,और बाहर वाले कमरें में टी.वी चल रहा था जिसमेें खबर कुछ यूँ थी “अस्तपताल में काम कर रही नाईट शिफ्ट में महिला डॉक्टर का बड़ी ही बेहरमी से हुआ रेप फिर मर्डर ,आरोपी फरार ,आखिर कब मिलेगा देश की बेटी को इंसाफ!”


और टी.वी के सामने बैठे थे प्रकाश जी जिन्हें मोह्हले में सब वर्मा जी के नाम से बुलाते थे।वो लगभग 54 साल के थे , तभी उनकी पत्नी माधवी आयी और कहती है ,”ऐ जी टी.वी बंद करिये और आईये ना माता रानी की आरती करते है।”
और फिर वो माता की आरती के लिए दिया जलाती हैं और कहती है,”इन लोगो को बुलाना क्यों पड़ता हैं ? जब जानते हैं की नवरात्रे शुरु हो गये है आरती करनी है तो खुद क्यों नहीं आते सब।”
और फिर वों बड़ बड़ करते हुए उस कमरें में जाती है जहाँ वो लड़की अंधेरे में लेटी हुई थी।
वो वहाँ पर्दे खोल देती है तो रोशनी उस लड़की पड़ आती है।


वो लगभग 20-21 साल कि थी , लंबे बाल और गोरा रंग वो सुंदर थी पर उसके चेहरे पर एक उदासी थी उसे देख कर लगता था कि ये कभी कभी ही बोलती होगी।
माधवी ने उसके बालों में हाथ फिराया और कहा,


माधवी-“शोभा बेटा उठो चलों आरती में चलों , और तुम नहा कर फिर क्यों लेट गयी ? चलों आरती में”
शोभा-“क्या ठीक होगा आरती में जाने से ? हहह कुछ भी नहीं “
माधवी -“नहीं बेटा,ऐसा नहीं कहते मां आई है न वो सब ठिक कर देगी।”
आगे शोभा ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपनी मां के पिछे आरती में आ गयी।
फिर माधवी ने एक बार और आवाज़ लगाया,”शगुन बेटा जल्दी आओ,और अपनी नानी को भी ले कर आओ”


तभी एक लड़की दुसरे कमरें से आती है,वो 23-24 की थी और उसके छोटे कंधे तक के बाल थे और दिखने में वो ठिक ठाक थी।उसके साथ एक बुढ़ी औरत भी थी जो उसकी नानी थी।
वो मुसुकुराते हुये कहती है,”अरे मामी मैं देर नहीं कर रही थी वो तो नानी थी जो अपना सिरियल देख रही थी मेरे फोन में।”
तभी वो बुढ़ी औरत बोली,”हाँ जब तु पुरा दिन उस मोबाईल में टिप टिप करती रहती है तब कुछ नहीं अभी जरा सा मैने क्या देख लिया तो बोल रही है।”
तभी वर्मा जी आते हुए कहते है,”अरे सब जल्दी आरती करों हमें शोभा के साथ कोर्ट भी जाना है आज”
और फिर उन्होंने आरती की माता रानी की और उसके बाद सब प्रसाद लेने के बाद सभी अपने अपने काम में लग गये।
वर्मा जी-“शगुन बच्चा मैं शोभा और तुम्हारी मामी आ रहे है,तुम कॉलेज चली जाना आज बस से ही ,और ध्यान से जाना।”
शगुन-“जी मामा जी”
और फिर वो शोभा के पास जाती है और कहती ,”सब ठिक होगा।”
पर शोभा शगुन की बातों का कोई जवाब नहीं देती है और अपने माता पिता के साथ कार में बैठ गई ।
कार अपनी रफ्तार से चल रही थी और शोभा बाहर की तरफ देख रही थी सड़के सजी हुई थी नवरात्रे का दुसरा दिन जो था जगह जगह पूजा का समान और माता की छोटी छोटी चौकियाँ लगी थी।पंडाल सज रहें थे मंदिरों में आरती और लोगों के घरों से आरती की आवाजें आ रही थी।
पर वो कही किसी और ही विचार में गुम थी,वो विचार जो उसकी जिंदगी के साथ किसी काले धब्बे की तरह लग गया था और अब उसका नही छोड़ रहा था।
उस दिन उसका जन्मदिन था वो उस दिन 18 साल कि हो गयी थी ,

उसके दोस्तों ने उससे पार्टी मांगा था पर उसके माता पिता ने सभी को घर पर बुलाने को ही कहा था और उसे क्लब में जाने की ईजाजत नहीं दी।उसने अपने दोस्तों के साथ दिन में तो पार्टी मनायी पर उस समय उसका एक बॉयफ्रेंड था अभिषेक जो उसके कोचिंग में उसके साथ पढ़ता था और वो लोग दों साल से साथ थे जो उसे क्लब ले जाना चाहता था।
शोभा ने उसे मना किया पर उसके बार बार कहने पर और अंत में ये कहने पर की वो तो उससे प्यार ही नहीं करती उसे तो उस पर भरोसा ही नहीं है ,अगर है तो वो उसके साथ चलें।
वो उसके साथ जाने को मान गई ,आखिर भरोसा था उस पर उसे, वो प्यार करती थी उससे।
वो अपने घर के बालकनी के रास्ते चुपके से उसके साथ चली गयी।


उन दोनों ने क्लब में शोभा के बर्थडे का केक काटा अभिषेक ने उसे एक ब्रेसेलेट भी दिया और अपने कुछ दोस्तों से भी मिलाया। थोड़ी देर बाद उसने उसे ड्रिंक के लिए कहा जिस पर शोभा ने मना कर दिया ।फिर उन दोनों ने जूस पीया , कुछ देर बाद अभिषेक ने शोभा को एक किस किया जिसके लिए वो तैयार थी ये उसकी सहमति से था , पर जब वो थोड़ा आगे बढ़ने लगा तो शोभा ने उसे रोका वो उसके लिए तैयार नहीं थी ,अभिषेक ने फिर से उसे अपने प्यार और भरोसे का हवाला दिया पर फिर भी वो नही मानी।उन दोनों के बीच कहा सुनी हुई और जबरदस्ती करने के बचाव में शोभा ने उसे धक्का दे दिया। इस पर अभिषेक को बुरा लगा और वो उसे अपने एक दोस्त के साथ मिलकर उसे एक रूम में जबरदस्ती ले गया ,उन्होंने पहले ही इसकी तैयारी कर रखी थी उन्होंने रूम पहले ही ले रखा था बस उन्हें लगा था कि शोभा अभिषेक के साथ फिजिकल होने को मान जाएगी पर अब ये जबरदस्ती उसके साथ कर रहें थे जो “रेप” था। शोभा को पहले से ही जूस पीने के बाद थोड़ा नशा सा लग रहा था , पर वो अपना बचाव करने की कोशिश कर रही थी ,वो बार बार अभिषेक को मना कर रही थी उसके सामने रो रही थी पर उसने उसकी नहीं सुनी और क्योंकी शोभा ने उसे मना किया था और उनके अनुसार पिछले दों सालों से वो नखरें दिखा रही थी तो उसकी सजा तो उसे मिलनी थी तो अभिषेक का जिगरी दोस्त जो उसके इस कांड में शामिल था ‘मोहन’ उसने भी शोभा के साथ ‘रेप’ किया।और दोनों ने उसे क्लब के कुछ दूर ले जा कर किसी कूड़े की तरह फेंक दिया।
शोभा के माता पिता को मालूम हुआ तो उनकी तो जैसे दुनिया ही लुट गयी थी उनकी इकलौती बेटी के साथ ऐसा हो गया था ,उनके अनुसार तो वो तो अपना जन्मदिन मना कर सो रही थी फिर ये सब कैसे हुआ ?


उसके माता पिता ने पुलिस कम्प्लेन की मामला कोर्ट में गया ,और वहाँ शोभा को एक और झटका लगा जब उससे अजीब सवाल पूछे जा रहे थे और उसे गलत साबित करने की पूरी कोशिश हुई। अभिषेक का दोस्त वहाँ के मशहूर प्रॉपर्टी डिलर का बेटा था तो उन्हें बचाने के लिए काबिल वकील और काफी पैसा था उनके पास और वहाँ पर ये साबित किया गया की अभिषेक शोभा का दों सालों से बॉयफ्रेंड था और वो क्लब उसके साथ खुद के मर्जी के साथ गयी थी जिसका सबूत था उनकी ही गली में लगा सीक्रेट कैमरा जो चोरों के लिए था ।पर इस बात को शोभा ने भी माना ,और उन दोनों के निजी होने वाला वीडीओ भी था जिसे देख कर साफ था की ये भी उसकी मर्ज़ी थी , इससे भी शोभा ने इंकार नहीं किया पर फिर उनके वकील ने कहा की जो लड़की अपने माता पिता से झूठ बोलकर बॉयफ्रेंड बनाती हैं ,उसके साथ रात में क्लब जाती है करीब आती है , तो क्या वो खुद से फिजिक्ल नहीं हुई होगी ,और अब वो पैसों के चक्कर में बस अभिषेक और उसके दोस्त पर झूठा इल्जाम लगा रही है , वैसे भी अब तो ये बालिग है सब कुछ इसकी मर्ज़ी से ही हुआ है। और इसने तो पी भी रखी थी। सबूत और गवाह भी पेश हुए और शोभा को एक झूठा पैसों के लिए तमाशा करने वाली लड़की साबित करने पर लगे रहें।
और असली सामना तो उसके ही मोह्हले में हुआ उसका , उसे चरित्रहिन लड़की कहा गया जो पता नहीं कितनों के साथ ही सोई है कुछ ने तो कहाँ की उसने तो एक दों बार एबॉर्शन भी करवाया है । शोभा की दादी जो भजन मंडली की प्रमुख थी उन्हें मजाक का पात्र बना दिया गया ,सब के अनुसार शोभा ही जिम्मेदार थी।तब से वो चुप हो गयी थी कॉलेज भी उसने रेगुलर नहीं लिया था और वो कही बाहर नहीं जाती थी पर फिर भी वो अपने रिश्तेंदार और दोस्तों के नजरों में खटकती थी।और तब से वो कोर्ट की तारीख पर जा रहें थे और चक्कर लगा रहे थे पर इंसाफ की कही कोई उम्मीद नहीं थी।
वही शगुन कॉलेज जाने को तैयार थी और वो बाहर जाते हुय कहती है,”बाय नानी,आती हूं शाम तक”


नानी-“हाँ,ठिक है आराम से जाना”
शगुन इस शहर में प्रकाश जी और माधवी के पास जो उसके अपने मामा मामी थे रहने आयी थी क्योंकी उसके मास्टर्स के लिए कॉलेज इसी शहर में मिला था।वो शोभा के साथ बच्चपन में बहुत खेलती थी पर अब वो उसकी इस हालत से वो भी दुखी थी।शगुन जा रही थी की तभी वो एक लड़की से टकरा गयी ,वो लड़की कोई 27-28 की थी सावली सी और पतली सी वो उसी मोह्हले में रहती थी उसका नाम रागिनी था,वो कहती है,
रागिनी-“अरे शगुन तुम,ध्यान से चलों लड़की इतना क्या जल्दी में हो?”
शगुन-“रागिनी दी,आप भी तो ध्यान से चल सकते थे ना”
रागिनी-“हाँ,अभी बहुत बोलने लगी है हम्म”
और दोनों ही हसने लगी।
रागिनी-“अच्छा चल,बाद में मिलते है बाय”
शगुन-“बाय”
शगुन बस पर चढ़ती है उसमें भीड़ थी,किशमत से उसे एक कौना मिल गया तो वो वही खड़ी हो गयी।तभी उसकी नजर एक लड़की पर गयी जो स्कूल ड्रेस में थी लगभग 14-15 की थी वो ,वो चुपचाप अपनी जगह पर खड़ी थी तभी उसके पिछे एक अर्ध उम्र आदमी उसके पिछे आ गया और भीड़ और धक्का का सहारा ले कर उसे गलत छुने लगा,वो लड़की थोड़ा घबराने लगी उसे अच्छा नहीं लग रहा होगा पर वो बोल नहीं पा रही थी।तभी एक सीट पर बैठी एक महिला ने कहा,”बेटा आप अंदर आ कर खड़ी हो जाओ थोड़ा अच्छे से आ जाओगे आप और बैग मैं पकड़ लेती हूं।”
उस लड़की ने वैसा ही किया,और फिर उस औरत ने उस आदमी से कहा “और आप भाई साहब जरा तमीज से पीछे हो कर खड़े हो जाइये”

वो आदमी बड़ बड़ करते हुए दुर चला गया।उस लड़की के चेहरे पर एक सुरक्षित मुस्कान आ गयी।और शगुन भी मुस्कुरा दी ,अच्छा हुआ उस औरत ने उस लड़की के लिए बोला काश सब करते ऐसे पर उस आदमी ने ऐसा किया ही क्यों ?उसे अच्छी तरह मालूम था की ये गलत है फिर क्यों? और ये चीज शगुन ने भी कई बार सामना किया था और सभी लड़कियों ने किया होगा ना , कोई अनजाना हाथ जब आपको छु दे पूरे शरीर में कपकपाहट आ जाती है।और जो ये करतें है उनकी घर की औरतों के साथ भी ऐसा होता होगा ना या फिर वो ये सोचते ही नही होगे ,और बाद में फबतियाँ कस्ते होगे इस पर ,आखिर कमी है किधर हमारे समाज में ? जो लोग ऐसी हरकत करते है और कोई पचतावा नहीं,शायद हर जगह कमी है।
शगुन अपने कॉलेज गई और अपनी क्लास लेने लगी, थोड़ी देर बाद वो कैंटीन में थी तभी एक लड़का आया और उसके गले में हाथ डाल दिया और बोला “ओये चिरकुट इतनी उदास क्यों बैठी है?”
शगुन-“हम्म तुम कुछ नहीं कर सकते हाँ,सागर”
सागर-“अरे तुझें बोला ना की तू मेरी छोटी बहन जैसी है तो तू सारी टेंशन मुझें बता दे”
शगुन-“असाइनमेंट्स है मेरी टेंशन ,मदद करोगे ?”
सागर-“हम्म वो तो मैं खुद का भी नहीं करता उसमें मैं कुछ नहीं कर सकता हूं।”


शगुन-“अरे मेरे प्यारे भइय्या,बहना की मदद करों ना”
और वो दोनों हसने लगते हैं।
शाम का समय,


रागिनी और शगुन दोनों बातें करते हुय आ रही थी तभी एक गली से दोनों निकलती हैं तो वहाँ दो-चार लड़के खड़े थे ,उनमें से एक ने कहा “ओये मैडम,कहा जा रही हो?”
तभी रागिनी कहती है,”अरे रोहित तु,कैसा है और तीन दिन से कहाँ था?”
रोहित-“अरे भाई मैं ऑफिस के काम से गया था यार”
रागिनी-“शगुन ये लोग मेरे दोस्त है ये रोहित वो गुड्डू और वो राहुल”
शगुन-“हाय “
वो लोग भी उसे हाय बोलते है और फिर शगुन चली गई ।
रागिनी-“और बताओ ?”
वो लोग बात करने लगते हैं पर वो लोग गाली का इस्तमाल करते है।
रागिनी-“यार तुम लोगों की गालियां हमेशा बहन और मां पर ही क्यों होती है ?”
राहुल-“अरे तू बुरा क्यों मानती है?”
रागिनी-“गलियाँ हमेशा मां,बहन पर ही कोई अनजानी लड़की तुम लोगों को गलत समझेंगी”
तभी वहाँ एक लड़की आती है जो सभी को हाय करती है और आते ही वो गलियां देने लगी।
उसे देख कर बाकी तीनों लड़के हसने लगें और रागिनी ने मुँह बना लिया।
शगुन घर आयी उसके मामा मामी और शोभा पहले ही आ गये थे और माहौल उनके घर में हमेशा की तरह खामोश था।वो आयी और माधवी के पास चली गयी।
माधवी-“अरे शगुन बेटा,चाय बनाऊ तुम्हारे लिए?”
शगुन-“ठीक है मामी,और शोभा अपने कमरें में है क्या?”
माधवी-“हम्म”
शगुन-“और क्या हुआ आज?”
माधवी -“नई तारीख”
शगुन-“ओ,अच्छा”
तभी उसका फोन बजने लगता है
शगुन बालकनि में आ कर फोन उठाती है,वो उसकी मम्मी का फोन था।
शगुन-“हाँ,मम्मी बोलो”
“हाँ,बेटा कैसी है तू?”
शगुन-“हम्म ठीक हूं ,आप?”
“मैं भी बेटा,और इतनी दुखी क्यों है कुछ हुआ है क्या?”
शगुन-“नहीं मैं तो ठिक हूं पर मामा मामी और शोभा की हालत से ही परेशानी है फिर आज नयी तारीख!”
“अरे उस लड़की ने नाक कटा दी हमारी और मेरा भाई और वो भाभी अब और इज्जत उछाल रहे है और तू भी उन लोगों के यहाँ ही चली गयी अरे उस लड़की ने जो गुल खिलाये है इतनी कम उम्र में उसके पास ही गयी तू अब सब तेरे बारे में भी बातें बनायेंगे और तेरे पापा और दादी तो रोज मुझें सुनाते है ,और मेरे भाई को भी पता नहीं क्या हो गया उनसे उस लड़की को जहर दे कर मारा नहीं गया।”
शगुन-“मम्मी ये कैसे बात कर रही हो?तुम्हें शोभा से कोई प्यार नहीं तुमने भी तो उसे अपनी गोद में खिलाया है और उसे ले कर ऐसी बाते करती हों।और शोभा ने सिर्फ एक गलती की उस लड़के पर भरोसा किया और उसकी कोई गलती नहीं है गलत तो उस बेचारी के साथ हुआ है।और मामा मामी तो तुमसे लाख अच्छे है कम से कम वो अपनी बेटी के लिए लड़ तो रहें है ,तुम्हारे तरह नहीं जो अपनी बेटी के लिए बोल भी नहीं पायी और बेटी को भी हमेशा चुप रहने को कहा।गलत तुम्हारी बेटी के साथ भी हुआ है पर बस तुम्हारी बेटी चुप है तुम्हारी वजह से।”
शगुन ने फोन काट दिया और वो अपने कमरें में चली गई और रोने लगी।
शोभा भी अपने कमरें में रो रही थी ,आज एक बार फिर कोर्ट में उसका सामना हुआ था अभिषेक से और वो उस रात की उसकी
छुवन को नहीं भूल पा रही थी और लगातार अपने ही शरीर को रगर रही थी और अपने ही शरीर से दूर भागने की कोशिश कर रही थी पर फिर वो निढाल सी लेट गई ।तभी उसके कानों में एक आवाज आती है,वो उठ कर
खिड़की तक गयी।वो लड़ाई थी उसकी परोस में ,एक औरत थी जिसे अपने ससुराल में रहने से परहेज था तो उसने अपने ससुराल वालों पर झूठा दहेज और मारपीट का आरोप लगाया था।जिससे उन्हें पुलिस ने आपसी समझोते के कहने पर 5 लाख रुपये उनकी बहु ने टान लिया था और केस वापस ले लिया था।पर अब वो फिर से पैसे मांग रही थी और वो धमकी दे रही थी की इस बार वो केस तो वापस खुलवाएगी ही और साथ में अपने देवर पर झूठा रेप का केस भी लगाएगी।ये बातें वो घर में कहती थी और उसकी सास ने सब कुछ माधवी को बताया था और शोभा को अपनी मा माधवी से ही सब मालुम हुआ।पर लड़ने वो बहु हमेशा आती थी।
शोभा ने अपनी खिड़की अच्छे से बंद कर लिया और अब उसे उस औरत से चिढ़ हो रही थी जो अपने फायदे के लिए इतना गिर सकती है और उसे पता ही क्या है और यहाँ शोभा जो घुट कर मर रही है।
सुबह का समय,
माधवी अपनी बालकनि में कपड़े डाल रही थी,तभी उसकी नजर थोड़ी दुर अपनी साइड की बालकनि में गई वहाँ एक अर्ध उम्र आदमी जिसने सिर्फ निचे अंडर वियर पहनी थी वो माधवी को ही घुर रहा था,माधवी ने सारी पहनी हुई थी पर उसने फिर भी अपना पल्लू ठीक किया जो ठीक ही था ठीक नहीं था तो वो उस आदमी की नजर थी।माधवी अंदर चली गयी और वो बेशर्मों की तरह वही रहा उसका काम ही यही था वो अपना आधा समय यही बालकनि में औरतों को घूरतें हुय बिताता था।ये उन्हीं लोगों में से था जिन्हें लड़कियों के छोटे कपड़ो से बेहद दिक्क़त होती है और इन्हें लगता है की छोटे कपड़ो से लड़कियाँ लड़कों को भरकाती है पर ये लोग तो खुद अर्धनग्न हो कर घूमतें है रास्ते में कही भी पैसाब करने लग जाते है औरतें क्यों नहीं भरकती फिर ? उल्टा कितनी ही औरतें खुद अजीब महसूस कर या तो अपना चेहरा घुमा लेती है या माधवी की तरह अंदर चली जाती है।
नवरात्रे चल रहे थे तो माता रानी की सेवा करने में सभी लगे थे कोई भंडारे कर रहा था तो कोई जागरण।


यहाँ शगुन फोन चला रही थी , लोग वो डॉक्टर के रेप केस का मुहिम चला रहें थे सोशल मिडिया पर और कुछ घटिया लोग उसकी रेप का विडियो भी सर्च कर रहें थे।कभी कही किसी नन्ही लड़की जो एक साल कि भी नहीं हुई थी उसके साथ कुछ गलत होने की खबर मिलती तो कभी किसी वृद्धा के साथ कुछ गलत होने की खबर मिलती।
शगुन अपना फोन रख देती है ,तभी उसकी नानी उसे आवाज़ देती है,”अरी ओ हमेशा फोन में लगी रहती है आ देख रामानंद सागर जी वाली रामायण चल रही है देख”
शगुन उनके पास आ कर बैठ गई ,तभी वहाँ से शोभा निकली और अपना पानी का जग भर कर फिर अपने कमरें में जाने लगी।
तभी नानी ने जो शोभा की दादी है उन्होंने उसे भी आवाज़ दी,”ओ हमेशा क्या अंदर ही रहती है आ रामायण देख बैठ”
कुछ सोच कर शोभा भी बैठ कर रामायण देखने लगी,रामायण में सीता हरण का प्रसंग चल रहा
था।सीता मैया के कहने पर लक्ष्मण जी श्री राम को ढूंढ़ने गये और उन्होंने ने लक्ष्मण रेखा खींच दी,दुष्ठ रावण साधु का वेश धर आया और सीता माता को मजबूर किया और उन्होने वो लक्ष्मण रेखा लांग दिया और फिर वो दुष्ठ रावण उन्हें पकड़ लिया माता ने फिर से प्रयास किया लक्ष्मण रेखा के अंदर जाने का किन्तु दुष्ठ रावण ने उन्हें जाने नहीं दिया और कहा”स्त्री एक बार अपनी मर्यादा को लांग दे तो वो वापस नहीं जा सकती”
शगुन के मुँह से हमेशा की तरह निकला,”ओह वो लक्ष्मण रेखा नहीं लांघनी थी ना “


नानी-“हाँ,औरत ने जब भी अपनी लक्ष्मण रेखा लांघा है यही हुआ है”
उनका इशारा शोभा की तरफ था आखिर उसने भी तो अपनी घर की लक्ष्मण रेखा लांघा था।
नानी-“रावण अंदर नहीं आता है औरत ही इस बात का जिम्मेदार होती है वही अपनी मर्यादा से बाहर आती है और जो अपनी मर्यादा से बाहर आती है अपनी पिता और पति की बात नहीं सुनती अपनी लक्ष्मण रेखा लाँघती है उनके साथ गलत ही होता हैं।”
शोभा उनके कटाक्श को समझ रही थी वो वहाँ से अपने कमरें में गई और सोचने लगी हाँ ,उसके साथ भी कुछ कुछ ऐसा ही हुआ था उसने भी सीता माता की तरह घर के बाहर खरे दुष्ठ रावण को अच्छा साधु समझा शोभा के लिए तो वो उसका अच्छा प्रेमी था ,दोनों दुष्ठ रावण ने अपनी बातों का मायाजाल बिछा कर भहकाया और शोभा ने भी अपनी मर्यादा अपनी लक्ष्मण रेखा लांघी।
और शोभा को बचाने के लिए तो कोई जटायु भी नहीं आये,किंतु वो दुष्ठ रावण था ही क्यों उस समय में भी और इस समय में भी ? उसे मालुम था की ये पाप है किंतु फिर भी उसने पाप किया और दोष स्त्री पर ,की उसने मर्यादा क्यों तोड़ी ! क्या उन दुष्ठ रावण की कोई मर्यादा नहीं थी स्त्री ही क्यों मर्यादा और लक्ष्मण रेखा में रहे हमेशा , उस समय भी और इस समय भी।आखिर पापी रावण का अहंकार कब खत्म होगा? उनके मन पर संयम कब होगा ? कब रावण समंझेंगे की ‘ना मतलब ना’ सीता माता को उसके साथ लंका नहीं जाना था वो जबरदस्ती ले गया,रावण ही और केवल रावण ही दोषी था।शोभा ने अभिषेक को अपने साथ कुछ भी करने की ईजाजत नहीं दी थी ,उसने जबरदस्ती करी वो ही दोषी था केवल वो और उसका दोस्त।
जब नानी अपनी लक्ष्मण रेखा वाली बात कह रही थी तो शगुन के मुँह से अचानक निकला,
शगुन-“पर मैनें तो लक्ष्मण रेखा नहीं लांघी थी,रावण तो मेरे घर में ही रहता था।अंदर के रावण का क्या?”
नानी-“क्या बोली तू?”
शगुन को एहसास हुआ की वो झोंक में क्या बोल गई उसने कहा,”कुछ नहीं” और वो अंदर अपने कमरें में चली गई ।
हाँ,शगुन का रावण अंदर ही था उसने कोई मर्यादा कोई रेखा नहीं लांगी। वो तो सात साल की मासुम बच्ची थी जब उसके चाचा…. जो उसके माता पिता के साथ ही रहते थें और उससे काफी प्यार करतें थे उसके साथ खेलना,चॉकलेट देना,पापा की डांट से बचाना,मम्मी की मार से बचाना पर अकेले में वो बहुत अजीब खेल खेलते थे शगुन के साथ।जो सात साल की मासुम शगुन को बिल्कुल पसंद नहीं था ,वो कहते थे “बेटा मेरी गोदी में बैठो आओ” पर उनकी गोदी उसके माता पिता की तरह उसे अच्छा महसूस नहीं कराती थी।उसे उस खेल में दर्द होता था वो चिखना चाहती थी पर उसका मुँह तो चाचा ने बंद किया होता था ,वो खेल उसे बहुत गन्दा महसूस कराता था वो डरने लग गई थी।वो खेल कोई एक बार नहीं खेला गया था कई बार उसके चाचा ने उसके साथ वो खेला और उसे किसी को बताने से मना किया ,उसे डराया।पर एक बार उसने अपनी मम्मी को बता दिया पर मम्मी ने बोला “इस्स्स चुप रहो बदनामी होगी।”
उसके बाद से उसे चाचा के साथ वो गन्दा खेल नहीं खेलना पड़ता पर वो चीज उसके मन में आज भी है आज भी 24 साल की शगुन डरती है कोई भी अनजाना हाथ उसे उस दर्द की याद दिला देता है।
शगुन रोने लगी और अपने कमरें में शोभा भी रो रही थी,तभी शोभा के कमरें में माधवी गई और शगुन के कमरें में प्रकाश जी दोनों ही उन्हें रोता हुआ बिलखता हुआ देख दुखी हो गये और उन्हें गले से लगा लिया और उन्हें बाहर लाया।
माधवी-“अरे,तुम दोनों रो क्यों रही हो?”


प्रकाश जी-“बेटा ऐसे नहीं रोते!”
माधवी-“बच्चों माता रानी पर भरोसा रखों वो सब ठिक कर देती है,अपने बच्चों को वो ऐसे नहीं छोड़ती है।”
प्रकाश जी-“सब ठिक हो जाएगा, सबका इंसाफ करेगी माता चलों चुप हो जाओ।हम आरती करतें हैं और फिर पंडाल चलेंगे आज सब और तुम दोनों को गोलग्प्पे खिलाऊँगा आज”
रागिनी अपने ऑफिस की सीढ़ियों से उतर रही थी, तभी पिछे से उसके कंधे पर पंकज ने हाथ रख दिया।वो उसका बॉयफ्रेंड था ,और उसके साथ ही ऑफिस में था।रागिनी का चेहरा उसे देखते ही खिल गया।
पंकज-“और मैडम जी आज नहीं जाना क्या हमारे साथ,जो अकेले ही चल दी।”
रागिनी-“अरे तुम्हें ही फोन लगा रही थी बंद आ रहा है तुम्हारा फोन क्यों ?”
पंकज-“अरे चार्ज खत्म हो गया, अब घर पर ही करूँगा”
रागिनी-“तो ध्यान रखना था ना चार्ज का”
पंकज-“ध्यान तुमसे हटे जान , तो और कही लगे ना।”
इस पर रागिनी खिल खिला कर हस दी।
रागिनी उसके बाईक पर उसके पिछे बैठ गयी हमेशा की तरह,और फिर एक बस स्टॉप आया यहाँ से रागिनी सीधे एक बस पकड़ कर अपने घर के पास ही उतर जाया करती थी और पंकज का घर दुर था तो वो उसे हमेशा उस बस स्टॉप से पिक करता और वही छोड़ देता।
पंकज-“यार रागिनी आज मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक छोर दूँ?मुझें कुछ ठिक नहीं लग रहा आज।”
रागिनी-“सीधे सीधे बोलो ना मेरे साथ तुम्हें और वक्त बिताना है”
पंकज-“हाँ,ऐसा है भी तो इसमें क्या गलत है पर मुझें आज कुछ सही नहीं लग रहा है तो आज घर तक ही पहुँचा देता हुँ तुम्हें।”
रागिनी-“नहीं,मैं चली जाऊँगी और तुम्हारा घर उल्टा हो जायेगा फिर और आज तुम्हारे घर पर जागरण भी है तो जाओ”
पंकज-“हाँ,वो तो मैं भुल ही गया था ठिक है संभल कर जाना”
रागिनी-“तुम भी , बाय”


वो चला गया पर रागिनी उसकी ही ख्यालों में खोई थी,तभी उसकी बस आ गयी वो उस पर चढ़ गयी उसने सिर्फ ये देखा की ये उसके घर तक जाने वाली बस है उसने अंदर के माहौल पर ध्यान नहीं दिया।और जब बस चलने लगी तब उसका ध्यान अंदर के माहौल पर गया, अंदर सिर्फ चार आदमी थे जिनमें से एक ड्राइवर और एक कंडक्टर था।बाकी दो लोग भी शायद उनके जानने वाले ही थे उन्होंने शराब पी रखी थी।और वो अश्रील गाने सुन रहें थे और उन सबकी नजर रागिनी पर थी।ड्राइवर भी पिछे एक दो बार नजर दे देता।
रागिनी अपने में ही सिमटी जा रही थी, उन चारों की नजर और उनके गंदे इसारे उसे घबराहट दे रहें थे।उसने खुद को देखा उसने आज कुर्ता पहना था, कोई ऐसी ड्रेस नहीं जो वल्गर लगे फिर भी वो अपने कुर्ते को और नीचे करने लगी उसने दुप्पटा नहीं लिया था पर उसका कुर्ता तो ढीला था फिर भी उसने अपने बैग से स्कार्फ निकला और उसे ही डाल लिया पर उनकी नजरें उसे अंदर तक भेद रही थी उसके पुरे शरीर में कपकपाहट दौर रही थी।उसे सालों पहले हुआ बस में हुआ कांड याद आ गया और ना जाने कितने ही कांड,अभी तक उन लोगों ने उसे छुआ भी नहीं था पर उनकी नजर और उनकी गंदी हरकतें और अश्रील गाने “मैं तो तंदूरी मुर्गी हुँ यार,गटका ले सय्या अल्कोहल से” और उनका इस गानों पर हसना सब कुछ रागिनी की रूह कपकपा रहा था। तभी रागिनी की नजर खिड़की के बाहर गई ,एक जगह माता की प्रतिमा बनी हुई थी जो काली रूप में थी और एक दम काल का अवतार लग रही थी।उन्हें देख कर ना जाने रागिनी में कैसी हिम्मत आयी वो ड्राइवर के पास गई और उसे बस रोकने के लिए कहने लगी।
ड्राइवर-“मैडम हमारा स्टॉप यहाँ नहीं है “
रागिनी-“फिर भी बस रोको, मुझें यही उतरना है।”
ड्राइवर-“अरे मैडम यहाँ नहीं रोक सकता हूं”
रागिनी-“बोला ना मैने बस रोकों,मुझें उतरना है अभी”।
रागिनी के चेहरे पर एक अलग ही तेज़ आ गया था, और आवाज़ में एक अलग हिम्मत और भारिपन।
दुसरे आदमी ने भी कहा,”अरे मैडम बैठ जाओ ना, इतनी क्या जल्दी” पर रागिनी ने उसे घूर कर देखा तो वो सकपका गया।

pic credit AI
वो लोग सभी रागिनी को देख कर थोड़े हैरान थे,उसे देख कर लग रहा था की वो कुछ तो अलग है वो अभी डर रही थी पर अब नहीं।ड्राइवर ने बस रोक दिया और रागिनी उतर गयी, बस थोड़ी ही दुर गयी थी की अचानक उस पर बिजली गिर गई जब की बारिश और मौसम भी खराब नहीं था और वो बस पूरी जल गई । रागिनी हैरान हो गई अपने सामने ये देखकर पर दूर कही मंदिर से घंटियों की आवाज़ आ रही थी और माता के जयकारें लग रहें थे।
अगले दिन ये खबर सुर्खियों में थी, माधवी अपने घर के कामों में व्यस्त थी तभी उसके बगल वाली परोसन उसे आवाज़ देने लगी वो वहाँ गई तो वो वही औरत थी जिसकी बहु ने उन पर झुठा दहेज और मार पीट का आरोप लगाया था और अब वो अपने देवर पर भी झुठा आरोप लगाने की बात कर रही थी।पर उस औरत ने बताया की उसकी बहु ही पकड़ी गयी दरअसल वो एक गैंग का हिस्सा थी जिनका काम ही था लुटना ,अब वो पुलिस की गिरफ्त में थी। और वो औरत इस बात की खुशी माधवी से बांटने आयी थी और वो कह रही थी की सब माता की कृपा है उन्होंने ही न्याय किया।
अब सप्तमी आ गई थी और शहर की धूमधाम अपने चरम पर थी शोभा और शगुन ने हमेशा की तरह ही माता की आरती में हिस्सा लिया और फिर शगुन ने टी.वी चला दिया उसमें माता के भजन आ रहें थे और उनकी प्रतिमा भी आ रही थी जगह जगह की, तभी शगुन की मम्मी ने फोन किया उसने उठाया तो उसकी मम्मी ने कहा की उसे जल्दी घर आना होगा क्योंकि उसके चाचा की हालत अभी बहुत खराब है कल रात ही उन्हें अटैक आ गया था अचानक और अब वो परेलाइस हो गये।उनकी सांसे बस चल रही है और डॉक्टर का कहना है की अब वो कभी ठीक नहीं हो सकतें हैं,ये शगुन के वही चाचा थे जिन्होंने बच्चपन में उसके साथ गलत किया था।शगुन स्तभ्ध थी उसे मालुम नहीं चल रहा की वो क्या प्रतिक्रिया दे पर एक तरफ उसे ये खबर सुनाई दे रही थी तो वही दुसरी तरफ उसे बंगाली गाना माता का सुनाई दे रहा था जो टी.वी में आ रहा था।”बोलो बोलो दुग्गा एलो,बोलो बोलो दुग्गा एलो”
शाम का समय,
दादी ने अचानक शाम को घर पर भजन रख दिया था जिससे माधवी उसकी तैयारी में लग गई थी और शगुन भी उनकी मदद कर रही थी उसने सोच लिया था की वो नहीं जाएगी। तभी माधवी को ध्यान आया कि उसके घर पर दाल,आटा दोनों खत्म है उसने शोभा को बुलाया।
माधवी-“बेटा शोभा ले पैसे और जा तो दाल और आटा ले आ”
शोभा-“आप शगुन दीदी को भेज दो और जो वों कर रही है वो मैं कर देती हूं”
माधवी-“वो प्रसाद बना रही है और तुम्हारे आज ही पिरियड्स आए है”
शोभा-“आप तो कहती है की बेटियाँ माता का रूप होती है तो
पिरियड्स में माता अंदर से चली जाती है क्या जो हम प्रसाद नहीं बना सकतें”
माधवी परेशानी से उसके तरफ देखती है तो वो चुपचाप चली गई।वही शगुन हसने लगी।


माधवी-“कभी कभी हमारी पुरानी शोभा की झलक आ जाती है”
शोभा दुकान पहुँचती है पर वहाँ पर बहुत भीड़ थी तो वो दुसरे दुकान की तरफ बढ़ गयी।वो एक गली से गुजरती है वहाँ पर थोड़ा सुनसान ईलाका था वहाँ एक पिपल का पेड़ था जिसपर बहुत सारे मौलियाँ बंधी हुई थी और एक त्रिसूल गारा हुआ था।वहाँ पर दों बच्चें खेल रहें थे जो 4-5 साल के लग रहें थे,शोभा वहाँ से जा रही थी की तभी उसे एक सिटी की आवाज आयी।उसने पिछे देखा तो अभिषेक और उसका वही दोस्त मोहन था, जो मक्कारी से हस रहें थे।
अभिषेक-“हाय जानू कैसी हो?बड़े दिनों बाद दिखी तुम अकेली तो”
मोहन-“उस रात को भुला नहीं पा रही होगी तभी नहीं निकलती होगी, वैसे भुला तो हम भी नहीं पा रहें, तुम चीज ही ऐसी हो”
अभिषेक-“देखो जानू अब मज्जे तो तुमने भी किये तो इतना क्या नाराश हो गयी की दों सालों तक परेशान कर दिया,चलों अब बंद करों सब”
मोहन-“वरना नई जो लड़की आयी है ना तेरे घर में वो भी काफी सुंदर है”
शोभा के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे, कोई डर कोई घबराहट नहीं थी।वो अब उनके ही पास आ रही थी,ये देखकर वो भी थोड़े हैरान हो गये पर अब शोभा तो दौर कर उनके सामने पहुँच गई।
माधवी परेशान हो रही थी शोभा के लिए,तभी शोभा ने बैल बजाया और दरवाजा खोलते ही माधवी ने पुछा”देर कैसे हो गई ?”
शोभा-“उस दुकान में भीड़ थी तो मैं दुसरे दुकान चली गयी पर वहाँ भी भीड़ थी।”
अगले दिन अष्ट्मी थी और माधवी ने कन्या बिठायी थी और शोभा भी उनकी मदद कर रही थी बच्चियाँ हस रही थी और खा रही थी और शोभा उन्हें देख रही थी। तभी बाहर शोर फैलता हैं और सब लोग देखने लगे खबर कुछ इस तरह थी।
“दो लडके 20-21 की साल के एक गली की नाली में बड़े ही दयनीय हालत में उनकी लाश मिली,उन्हें गलें में त्रिसूल मारा गया था और उनकी लाश को कुत्तों ने नोच डाला था और अब उनके कुछ ही अंग शेष थे।और वहाँ दों बच्चों थे जो कह रहें थे की काली माई आयी थी

और उन्होंने ही उन दोनों को त्रिसूल मारा और कही कोई सुराग नहीं थे।”
वहीं शोभा मुस्कुरा रही थी बहुत दिनों बाद।
नवमी का दिन,
माधवी अपनी बालकनि में कपड़े सुखा रही थी तभी उसकी नजर निचे गई ,निचे एक औरत रो रही थी और कुछ औरतें उसे चुप करा रहीं थी।वो जो औरत रो रही थी वो दरअसल उस आदमी की पत्नी थी जो बालकनि में खड़े होकर सबको घुरता रहता था और उस दिन माधवी को भी घूर रहा था।
माधवी-“अरे भाभी क्या हुआ ?रों क्यों रही है?”
तभी दुसरी औरत कहती है,”अरे बहन तुम्हें नहीं मालुम ?

भाई साहब कल रात को छत से गिर गये बहुत चोट आयी है और निचे सरियां भी था जो उनकी आँखों में घुस गया अब शायद कभी देख ना पाए।”
तभी किसी के घर से आवाज़ आयी “जयकारा शेरा वाली दा , बोल सांचे दरबार दी जय”

Written by Syabhavi Jha

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My name is Sadhana Bhushan. I love to write which I feel from my heart. Its journey has been started since my childhood. In My college day lots of articles and story has been published in local newspaper. I know Maithili, Hindi, Magahi and English. May be my English could be not strong because I have started English after my marriage while I had to do post-graduation in journalism. So, I have two degrees in post-graduation first in economics (Magadh university Patna) 2nd in journalism (Sikkim Manipal University). diploma in journalism from Magadh university Patna after film direction and production course from AAFFT. Then Join Sadhana News as an Intern coincidently. Where I have learned so many things. family and career were not going smoothly so I Have decided to write from home and my happiness not for earning It comes from writing. in lockdown period I have written 300 more than articles, story and so many things Whatever nobody was judging me because it was free, and I have learned so many things proper way to writing then journey has been started. Matram India where my First story has been published. and Pratilipi and more than two portals 9news but I was not satisfied then I have started my own website sadhana sources. Now a days three people are working with me. ( हालत कभी आसन नहीं थें . राह बहुत मुश्किल थी . अर्थशास्त्र में मास्टर हिंदी भाषा में करने के बाद इंग्लिश सीखी ताकि जर्नलिज्म की किताबें पढ़ सकूं . 2008 में डिप्लोमा किया था लेकिन घरवालों ने काम नहीं करने दिया की लड़कियों के लिए ये ठीक नहीं . मैंने बहुत से मेडल्स कॉलेज में जीता था पर सबको लगता था की अगर हाथ पैर टूट गया तो कौन शादी करेगा और मुझे बहार खेलने के लिए नहीं जाने देते थें . मैंने बात मान ली लेकिन सपने को छोड़ा नहीं . फिर उनकी बात मानकर शादी कर ली ताकि राजधानी में मेरा कुछ भला हो सके .फिर मैंने फिल्म प्रोडक्शन और जर्नलिज्म में मास्टर किया .कंप्यूटर में डिप्लोमा किया घर के साथ कुछ न कुछ करती रही . प्रोडक्शन के बाद मुझे बाहर जाने का अवसर मिला था लेकिन वही बात महिला को बाहर जाने का कोई प्रोयजन नहीं मैं चुप रही पर मेरे सपने मुझे सोने ही नहीं देते थे फिर मैंने जैसे तैसे साधना न्यूज़ में इंटर्नशिप किया लेकिन घर से 30 किलोमीटर जाना और 30 किलोमीटर आना आसान नहीं था क्यूंकि अब घर में मेरा बेटा भी था जिसको मेरी ज्यादा जरुरत थी . लेकिन सपने मेरी उम्र के साथ बढ़ रह थें . फिर मैंने ऑनलाइन लिखना शुरू किया और ये सफ़र अभी भी जारी है और उम्र के आखिरी पड़ाव तक चले इतनी सी तमन्ना है . मैं अक्सर ये सोचती थी की क्या करुँगी इतना सब सर्टिफिकेटस का सब बेकार हैं .लेकिन अब जब लिखना शुरू किया तो सब की जरुरत होती है तो अच्छा लगता है. बस मैं इतना कहना चाहती हूँ की अगर आपने सपने देखें हैं तो उसको पूरी करने की जिम्मेदारी भी आपकी ही है और जब आप सोने जाएँ तो सपना आपको सोने न दे . और उस सपने को पूरा करने के लिए अपने व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा समय जरुर निकालें वरना आप जिन रिश्तों में उलझे हैं वही सबसे पहले ताने मारते है और वो ताना चुभता बहुत है ; क्यूंकि ये सब मेरे साथ हो चूका है . साधना भूषण

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