विघ्नहर्ता का दुःख …डूबने के बाद

आज समुंद्र किनारे बैठी थी तो कान में एक बच्चा जैसा आवाज लगा की एक बच्चा रो रहा है दूर से धुंधला धुंधला … सा दिख रहा था सो मैंने सोचा किसने इतनी लापरवाही की ये बच्चा कितना छोटा है समुंद्र किनारे डूब भी सकता है ..कितने गैर जिम्मेदार मां बाप है कैसे बच्चे को अकेले छोड़ दिया …जल्दी जल्दी मैं उसके पास गई चेहरा तो बहुत ही जाना पहचाना सा था लेकिन याद ही नहीं आ रहा था किस जगह देखा है इसको …।फिर दिमाग को चलाया महेश भईया का तो बेटा मिहिर नही है क्योंकि उनके घर गणपति बप्पा को विसर्जन करने आए थे और इधर ही छोड़ गए हो …मतलब भीड़ में बच्चा इधर उधर हो गया हो … हाय कैसे लोग हैं बच्चा कैसे भूल जाते हैं इन्हें तो बच्चा घर छोड़ के आना चाहिए …।और लाए तो याद से ले जाना चाहिए अब कैसे कैसे मां बाप होते हैं मन ही मन विचार करते हुए बच्चे का ध्यान आकर्षित करने लगी पर बच्चा तो कमाल का था …इतना सुंदर गोल मटोल सा.. खड़ी सी नाक ..लेकिन लग रहा था किसी ने नाक को मरोड़ दिया हो ..हाथ में गोल गोल महावर बहुत सुंदर सी धोती और प्यारा सा कुर्ता लग रहा था की शादी या फंक्शन अटेंड करके आ रहा होगा बच्चे ने जिद्द की हो और विसर्जन देखने आ गए होंगे और भीड़ में बच्चा इधर उधर हो गया होगा…।
बच्चा घर का पता बताने को तैयार नहीं फोन नंबर याद नहीं कितने चॉकलेट चिप्स का प्रलोभन दिया पर कोई फर्क नहीं पड़ा उस बच्चे को ….। फिर मुझे याद आया घर में कल लड्डू भोग लगाया था वो होगा घर में जब लड्डू की बात कही तो बच्चा तैयार हो गया …अब माता का नाम पार्वती बता रहा था घर का पता कैलाश भवन मुझे बहुत चिंता हुई की ये महेश भईया का बेटा नही अब इसका घर कैसे ढूंढू उसको मोबाइल नंबर याद करने को कहा तो कह रहा है हमारे घर फोन वगेरह नही है … मैने पूछा बिना फोन देखे खा लेते हो क्योंकि मेरा बेटा तुम्हारे जितना है खाता ही नही बिना फोन के चाहे जितनी पिटाई कर दो ..वो बच्चा मुस्कुराने लगा ..और धीरे धीरे मेरे साथ चलने लगा .। समुंद्र किनारे विसर्जन किए हुए गणेश जी पूरे बिखड़े थे बहुत बुरा लग रहा था …क्योंकि बहुत सारे भगवान प्लास्टर ऑफ पेरिस के बने हुए थे .और जाने कौन कौन से केमिकल के गल ही नही रहे थे और समुंद्र का पानी चला गया था भगवान के कपड़े जाने किधर चले गए थे…किसी की टांग एक जगह थी एक जगह थी ही नहीं बहुत भयावह मंजर था … मनुष्य कितना स्वार्थी प्राणी है …भगवान को कितने प्यार से लाता है नए कपड़े नए गहने और नया बर्तन रोज नए तरह के पकवान …और फिर अंत में जब उनकी विदाई की घड़ी आती है तो जाकर समुंद्र में डाल आता है …डालिए न कौन मना कर रहा है लेकिन थोड़ा दूसरे जीवों के बारे में तो सोचिए न भगवान जी ने हमे इंशान में जन्म दिए सोचने और समझने की शक्ति में सबसे श्रेष्ठ बनाया लेकिन हम लोगों को ये चाहिए की सभी जीवों पर दया करे करुणा दिखाएं तो हम सब पर अपना शासन जमाए रखने में यकीन रखते हैं …जब सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को देखेंगे तो उसमे एक गोल ये भी है की पानी में डालकर रहने वाले जीवों पर दया दिखाएं…।

और हम जब सारा कूड़ा शहर का समुंद्र में डाल देते है सीवेज का पानी बहा देते हैं …केमिकल वाला पानी जब मछलियां पीती है तो वो भी दूषित हो जाती हैं …उनसे भी जब दिल नही भरता तो मूर्तियों को जल में प्रवाहित के नाम पर केमिकल वाले कलर से जिससे भगवान को तैयार किया जाता जल में प्रवाहित कर देते हैं…
अब सोचिए मरीन लाइफ कितनी ज्यादा हम मनुष्यों की वजह से प्रदूषित हो गई है और हमें इस बात के एहसास भी नही की हम किस हद तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं ….।
इस तरह से केमिकल युक्त जल में रहने से एक दिन सारे समुंद्र के जीव मार जायेंगे और समुंद्र स्थिर हो जाएगा फिर उसी से हवा बनती है जब मछलियां चलती है तब हवा बनी हवा नही तो हम नही …
हम अपनी जिंदगी में फिल्म अभिनेता को बहुत पसंद करते हैं जैसे वो करते हैं अगर हम भी ऐसा करेंगे तो हमें। लोग बहुत अच्छा कहेंगे फ़िर जो वो अच्छा करते हैं गणपति इकोफ्रेंडली लाते है। …और किसी बड़े बर्तन में पानी डालकर विसर्जन करते है कितना अच्छा लगता है न किसी जीव को नुकसान भी नही और हमारी आस्था को ठेस भी नही पहुंची… समुंद्र किनारे चलते चलते मैंने देखा एक छोटे से गणेश जी की नाक टूटी थी कपड़ा भी बह कर लगता था समुंद्र में चला गया था वो अर्धनग्न स्थति में थे…मैंने नोटिस किया वो बच्चा उस गणेश जी को गौर से देख रहा था और टूटी हुई नाक उठा ली …और दुखी मन से

पूछने लगा की यहां डॉक्टर किधर मिलेगा मैं मन ही मन डर गई की डॉक्टर के पास जायेगा मां पापा का कुछ अता पता नहीं चल रहा और डॉक्टर के पास जाने से कितना बिल आए ..फिर मैने बहुत प्यार से पूछा की
क्या दिक्कत है और थोड़ा लंगड़ा के भी चल रहा था ….अब उसको आ गया गुस्सा.. तुम लोग जो इतने प्यार से भगवान को लाते हो इतनी इज्जत करते हो पूजा करते हो बढ़िया खाना खिलाते हो फिर जाकर समुंद्र में बहा देते हो देखते भी नही की पूरा शरीर डूबा की नही शैतान बच्चे शरीरपर चढ़कर नाचते हैं कूड़ा चुनने वाले कपड़े उठा ले जाते हैं …अब बताओ बिना कपड़े के भगवान कैसे रहेंगे … अगर इतने ढोल बाजे के साथ लाते हो तो विदा भी इस तरह से करो की अगले साल आने का मन करे…,

आने का मन करे मैंने पूछा किसका तो बताने लगे गणेश का और किसका …बात तो सही कह रहा था लेकिन हम इन्शान अपने अलावा किसी के विषय में सोचे सा ऐसा कैसे हो सकते है हम इतने अपने स्वार्थ में मगन हैं की जब भगवन को विदा करते हैं तब ये भी नहीं देखते की वो ठीक तरह से पानी में गये की नहीं ….घर आने की जल्दी रहती है … /
तभी उधर से एक सुंदर सी रेशम की साड़ी में भव्य सी महिला सामने आ गयी बातों ही बातों में जाने किधर से आई और बेटे को खुद से लगा लिया और प्यार लुटाने लगी जाने कितने दिन बाद मिली थी

…फिर बच्चे ने दिखाया देखिये कैसे कल विसर्जन के वक्त मेरे नक् को तोड़ दिया मुझे बहुत तकलीफ हुई और मेरे कपड़े भी फट गये थे . मुझे पेंट शर्ट पहननी पड़ी …

अब अगले साल से मैं नहीं आऊंगा …
आपको पता है एक भक्त ने मुझे अपने घर से सोने का हार पहना दिया इतना भारी था उपर से फूलों से लाद दिए थे फिर मुझे जल में जब जल में डुबो दिया तब हार याद आया और पांच घंटे तक मुझे डूबा रहे थे निकल रहे थे जब तक हार नहीं मिला मेरी जान निकाल कर रख दी .

…चलिए जब उनके घर था तो भोजन नाना प्रकार के दी जाती थी यंहा पर सुबह से भूखा हूँ किसी को मतलब ही नही क्या उनके घर तक ही उनका और मेरा रिश्ता था …लेकिन जब वो तकलीफ में होते हैं तो तब तो सीजन नहीं देखते तब मोदक का लालच देते है बप्पा ये काम करवा दो भोग लगायेंगे …बच्चा बहुत गुस्से में बोल रहा था और मैं हतप्रभ होकर सुन रहा था …मां क्या वो जगत जननी माँ थी मैं हाथ जोड़ने ही वाली थी की .
और प्रसाद भी अपने पसंद का ही रखेंगे खुद के खाने के लिए जो प्रसाद मुझे चढाते थे सारा खुद भोग लगने के बाद खा जाते थे ..रात को अगर मेरे वाहन मूषक को भूख लगे तो मैं आसन छोड़ कर किधर से लड्डू लाऊं . कैलाश पर तो हमारे लिए कार्तिक भाई से छुपा के रखती थी यंहा कौन रखेगा . कई रात तो भूखे ही सोना पड़ा ..I
माता ने पुत्र को गले लगाया और कहा ठीक है चलो पिताजी से शिकायत करेंगे वो तुम्हारा कैलाश पर इंतज़ार कर रहें हैं और अंतर्ध्यान हो गये ये सब मेरे सामने हो रहा था और अब मैं सब समझ चुकी थी ..लेकिन मेरे समझने से क्या ही होगा हम समस्त मानव जाती को समझना होगा की पर्यावरण की रक्षा हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा …..I
नोट : लेखक का उद्देश्य किसी की भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है .. कृपया कभी विसर्जन के अगले दिन समुन्द्र किनारे जाकर देख कर आयें जिस भगवान को इतने प्यार से लाये थे क्या वो बढ़िया स्थिति में हैं हमें हमारे धर्म की रक्षा भी करनी है और किसी की आस्था को ठेस भी नहीं पहुंचानी है और पर्यावरण के बारे में भी सोचना है अगर आपको मेरी बात सही लगे तो इको फ्रेंडली भगवान् को घर लायें .. ताकि उनके मन को भी ठेस न पहुंचे ..I
Written by Sadhana Bhushan .
हमे आप का एक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए…..
thanku so much for your comment
लेकिन आप कहना क्या चाहते हैं मैं समझ ही नही पाई