कटिहार
जब सरस्वती माता के विसर्जन के दौरान दो गुटों में हुई हाथापाई.
ये न्यूज़ थोड़ी पुरानी हो गयी हो लेकिन जो बात इस न्यूज़ के माध्यम से कहना चाहती हूँ ..वो कतई पुरानी नहीं हुई है ..
दअरसल विसर्जन के दौरान एक दल कोशी नदी के घाट पर से विसर्जन करके वापिस जा रहे थें और दूसरी तरफ से अभिषेक अपने दोस्तों के साथ जा रहे थें जिसमें छोटे छोटे बच्चे भी थें
सामने वालों ने शायद रास्ता संकीर्ण होने की वजह से सामने से हट जाने के लिए कहा और इस छोटी सी बात पर दोनों गुटों में बहस बहुत ज्यादा बढ़ गई अभिषेक के पास ज्यादा लोग नहीं थे और जो भी थें छोटे बच्चे थे सामने वालों ने बांस से खूब बढ़िया से धो डाला ।
बात मुझ तक जब पहुंची तो मैं सोच मैं डूब गई कि आखिर किस ओर जा रही है हमारी युवा पीढ़ी।
मामला को शांति से सुलझाया जा सकता था लेकिन कौन किसको समझाएं।
दोनों दल के मुखिया नशे में डूबे थे मामला इतना भी गंभीर नहीं था गंभीर और बन सकता था क्योंकि किसी के पास मोबाइल फोन नहीं था और इस वजह से वो लोग अपने और जानने वालों को इकठ्ठा नहीं कर पाएं।
और भीड़ होती बढ़ जाती और सर फूटते जाने क्या मसला होता है।
बात सरस्वती पूजा की जब भी होती है अधिकतर लोग इसको बस पार्टी ओर मजे के लिए करते हैं ।
पैसे चंदा इकट्ठा करते हैं और फिर दारू में नहाते है
और कौन कहता है कि बिहार ड्राई स्टेट है आ जाओ कटिहार …होम डिलीवरी होती है साहब …।
कितना पियोगे नहा देंगे यहां के लोग आपको …।
नीतीश सर को पता नहीं या पता करना नहीं चाहते ये वो जाने …।
जाने कितने घर बर्बाद हो चुके हैं …।
एक साल से मैं कटिहार में हूं लगभग ये शहर पूरा नशा में डूबा हुआ है कोई ऐसा निम्न वर्गीय परिवार नहीं जिनके दुख का कारण ये शराब नहीं हो …।
मैने अभी तक दो काम वाली आंटी रखी दोनों बस इसी दुःख से काम करती हैं कि उनके बेटे शराब पीकर उनके साथ मार पीट करते हैं और उनको खाना नहीं देते पहली वाली की स्थिति और दयनीय थी पति ने जमीन सारी बेच दी .. बेटे ने घर बेच दिया वो एक झुग्गी में रहती थीं …।और वो उस घर में बर्तन मांजती थी जिस घर के मालिक ने उसका जमीन ओने पौने दाम में खरीद लिया था …।
वो अक्सर बताया करती थी कि उस घर का बेटा डॉक्टर है वो क्लीनिक चलाता है उनके घर पर लेकिन कभी ये नहीं कहा कि आप सफ़ाई करती हैं आप किसी कोने में सो जाइए…।
सोच के देखिए कितना दर्द कितनी तकलीफ़ में आंटी थी …।
और ऊपर से कहता आप मरेंगी तो मनिहारी में दे आयेंगे और ऊपर से ठहाका लगाता था.. मनिहारी में गंगा जी बहती हैं और किसी के भी मरने पर मनिहारी में घात है वंहा पर जलाते हैं …
यहां कोई नहर है वो वहां आस पास रहती थी पता नहीं जिंदा भी है कि नहीं खाने पीने का कोई हिसाब नहीं था सुबह मेरे पास सत्तू पी लेती थी शाम को चावल खा लेती और रात को फिर सत्तू पी लेती मैने उनसे कितना कहा पैसे बचा कर क्या करेंगी खा पी लिया करो लेकिन कौन मेरी सुनता है …वो मेरे अलावा काम करने दो घर में और काम करती थी और सबके घरों में डिस्टेंस था बस काम ही करती रहती खाने पीने पर कोई ध्यान नहीं….एक दिन क्या हुआ उनका एक्सिडेंट हो गया और आना बंद कर दिया ..फिर मुझे उनका घर भी नही पता था धीरे धीरे मेरे दिमाग से वो चली गयी लेकिन उनसे मिलने की बहुत इक्षा होती रही फिर किसी ने बताया की अब वो बिस्तर से उठ ही नहीं पाती और कुछ दिनों की ही मेहमान है आवर बेटों ने लकड़ी का इंतजाम कर दिया है की अगर मर वर गयी तो मनिहारी ले जाने में कोई परेशानी नहीं होगी .
मैंने सुना तो हैरान रह गयी ../ जो औरत पूरी जिन्दगी मेहनत करती रही फैमिली को करती रहती है जब उसको जरुरत है तो कोई नहीं …
अब दूसरी वाली आंटी काम कर रही है उनकी भी हालत कुछ इसी तरह की है बेटा दारु के नशे में धुत्त रहता है बेचारी इस उम्र में पेट पालने के लिए झाड़ू पोछा कर रही है ….
नितीश जी ने दारु बंद कर रखी है … ये बात बस नाम की है ….आपको जिस शहर में जिस गली में चाहिये होम डिलीवरी भी मौजूद है … क्यूंकि ये फैक्ट्री में नहीं घर में बनता है जाने क्या क्या
चीजें मिलातें हैं लोगों की लीवर किडनी के साथ खिलवाड हो रहा है …कितने घर के जिराग बुझ गये … जब मैं कटिहार आई थी तो मैंने देखा की युवा वर्ग दो शिफ्ट में काम कर रहा है कोई तीन शिफ्ट में काम कर रहा है मन बड़ा प्रसन्न हो गया कितने मेहनती लोग है बात में पता चला की एक शिफ्ट का पैसा पीने के लिए चाहिए ….पीना इतना जरुरी है …. एक से मैंने पूछा भी तो आपको जानकर हैरानी होगी की उसने बताया की नहीं पियूँगा तो जियूँगा नहीं ….
तो पीना इतना जरुरी है हालाकिं मैं सबको नहीं कह रही लेकिन जिनका पीना जीने से ज्यादा जरुरी है उनके लिए कह रही …
साधना भूषण की कलम से