शिव के नाम पर ही क्यूँ ?

आज शिव जी मेरे सामने अचानक से प्रगट हो गये .. शिव जी पुराने जैसे नहीं लग रहे थे थोड़ा रूप बदला सा था कुछ ट्रेडिशनल कुछ मोर्डेन मैंने हाथ जोड़ के प्रणाम किया ..थोड़े से उदास दिखें मैंने पूछा क्या हुआ भगवान आप परेशान क्यूँ हैं ..और ये नया रूप ? उन्होंने कहा की पार्वती बहुत नाराज है की उन्हें एक मोबाइल चाहिए क्यूंकि सारे भक्त मोबाइल पर ही मिलते हैं उधर ही ॐ न: शिवाय करते हैं कहतें है अगर सच्चे शिव के भक्त हैं तो एक लाइक करें कमेंट में हर हर महादेव लिखे ..आरती के वक्त कोई हाथ नहीं जोड़ता सब मोबाइल दिखाते हैं दान पेटी में क्यू आर कोड डालते हैं भगवान के नाम पर पैसा यंहा जमा करे दान पात्र के जगह कोड बार चलाते हैं .. हमारा तो मोबाइल ही नहीं फिर कनेक्शन कैसे बनेगा भक्तों के साथ ..पार्वती को भी फेसबुक और इन्स्टा पर अपने अकाउंट खुलवाने हैं इसके लिए फ़ोन चाहिए .मैं गया था मोबाइल के दूकान पर दुकान वाले ने कहा पैसे दो मैंने कहा मैं भगवन हूँ और उसने मुझे जागरण वाला समझ के भगा दिया अब भगवान को भी सबूत की जरुरत है उसने आधार कार्ड माँगा तो मैं नराज होकर आ गया .. और ये भेष मैंने आगे जिज्ञासा से पूछा ” उन्होंने हाँ आजकल लोग इसतरह के फोटो लगा रहे हैं और हमने खुद का फोटो अपलोड नहीं किया है न तो मैं नये ज़माने के जैसे लगने की कोशिश कर रहा हूँ . मतलब शिव जी को भी इन लोगों ने अपने रूप को बदलने पर मजबूर कर दिया वाह सोशल मीडिया के आतंक से भगवान भी खुद को नही बचा पाए ..

शिव कितना सुन्दर और पावन नाम है सुनते ही डमरू की आवाज ,नंदी , माता पार्वती और नन्हे गणेश जी और मोदक हाथ में लिए नन्हा चूहा ..आपके आँख के सामने यही चेहरा आता होगा न . क्यूंकि आप नब्बे के दशक के हो अब इतना यकीन के साथ मैं कैसे बोल सकती हूँ वो इसलिए की आज की युवा पीढ़ी को रील्स से फुर्सत किधर है और अगर कुछ युवा पढ़ रहें होंगे तो ये बहुत बढ़िया बात है … हमारे ज़माने में मोबाइल तो हुआ नही करते थे घर में एकाध कलेंडर टंगे रहते थे और हम उसी तस्वीर को देख देख कर अपने कल्पना की दुनिया में कितनी बातें सोच लिया करते थे ..जैसे रामायण का ही उदाहरन ले लीजिये एक चैनल हुआ करता था सप्ताह में एक दिन प्रसारित होता था और लोग कितनी शिद्दत से सप्ताह के उस दिन का इंतज़ार करते थे जब रामायण शुरू होता था तो लोगों के हाथ जुड़ जाया करते थे , सन्डे तक का इन्तजार कितना लम्बा होता था वो हमही जानते थे ताकि शक्तिमान देख सके वो इंतज़ार आज के बच्चे क्या ही जानेगे उनके तो ऊँगली पर यूटूब है उन्हें हमारे इंतज़ार का कुछ पता नहीं है ..वो एंटीना घुमाना और मोबाइल पर ऊँगली घुमाने में कितना फर्क है कभी नहीं समझ पाएंगे .
हमने शिव की जैसे कल्पना की जैसे तस्वीर दिखी वैसी छवि मन में छपी .

लेकिन जरा सोचिये आज के जो बच्चे हैं जिनकी उँगलियाँ insta पर नाचती है और वो बाबा के नाम पर जो बनाये गये रील्स देखते हैं बनाने वाले का क्या है वो तो बनयेगा बबक्बम बम गाना बैकग्राउंड में बजेगा लाखो व्यूज आयेंगे पैसे आएंगे और नाम भी होगा . जो हमारा बच्चा ये रील्स देख रखा है उसके अंतरमन में क्या शिव की छवि बनेगी वैसा ही न जैसा शिव का रूप दिखाया जा रहा है . क्या शिव इस तरह की हरकत करते होंगे क्या ये हमारे माता पिता के आराध्य हैं .. हमने जैसे शिव को देखा वैसे शिव की प्रतिमा हमारे मन में छपी और अब जो हमारा बच्चा देख रहा है उसके मन में कैसे बढ़िया छवि गढ़ेगी ..जिसके विषय में मुझे और आपको ही सोचना होगा .. जो लोग शिव पुराण के शिव को कभी जानने की कोशिश भी नहीं किये की शिव क्या है बस देख लिया देखेंगे क्या सुन लिया की बाबा तो चिलम पीते हैं तो हमने भी पीना है सावन में तो कंधे पर जल लेकर जाने की प्रथा थी ये ट्रक पर भीड़ जमा करना , डीजे बजाना कान फाड़ देने वाला संगीत सुन लिया बाबा नृत्य करते थे तो हम भी राह चलते लोगों के कान के परदे को फाड़ ही देंगे आखिर सावन चल रहा है .. जब आप कभी हरिद्वार के रास्ते में जिनका घर हो उनसे पूछ कर देखना वो दिन भर थक हार कर जब काम से लौटते हैं तो ढंग से सो नहीं सकते .. और चूँकि आस्था की बात है तो शिकायत किसको करेंगे क्यूंकि मैं भी इस हालात से गुजर चूँकि हूँ मतलब आप सो रहें हैं और अचानक से लगेगा की धरती हिलने लगी और भूकंप आने वाला है लेकिन ये वो बाबा के भक्त होते हैं जो भोजपुरी गाने पर नाचते गाकर सुट्टा मारते हुए बाबा की नगरी जा रहे होते हैं दिल्ली की आधी सड़कें इनके जाने आने के लिए खाली करा दी जाती है ताकि आम नागरिक कष्ट सह कर पुन्य का भागी बने .. वो बेचारे मध्यमवर्गीय परिवार के मुखिया जो अपने घर से ३० किलोमीटर दूर तक काम में जाते हैं क्यूंकि जहाँ काम होता हैं उधर वो घर अफ्फोर्ड नहीं कर सकते न और घर के पास काम जल्दी मिलता नहीं .. सड़कें डाइवर्ट कर दिए जाते हैं अगर रास्ता टू वे है तो उसे वन वे में कन्वर्ट कर दिया जाता है और आप उस आधे रास्ते में जाने आने दोनों का मार्ग को कैसे उपयोग करते हैं एक घंटे का सफ़र 4 घंटे में करते हैं कैसे घर जाते हैं और फिर सुबह के लिए खुद को कैसे तैयार करते हैं ये आपकी समस्या है …मैं नास्तिक नहीं और नाही कोई विवाद बढ़ने वाली बात कर रही हूँ बहुत से लोगों को मेरी बात पसंद नहीं आएँगी …या कहेंगे मुझे शिव में यकीन नहीं है लेकिन मैंने बहुत करीब से देखा है उनके दर्द को महसूस किया है …अगर हमें बाबा के किसी भी लिंग के दर्शन करने जाना है है तो हम भाव से ओतप्रोत होकर जायेंगे न की चिलम फूंक रहे हैं उसी हाथ से जल को छू रहे हैं फिर उसको अर्पित करेंगे सोच के ही घिन्न आती है …कई लोग शराब पिने में भी परहेज नहीं करते उनके लिए बस मस्ती है जल लेकर जाना ..मैं सबके लिए नहीं कह रही मैं किसी की भावना को ठेस भी नहीं पहुंचा रही लेकिन अगर आपको लगता है मेरे अपने विचार व्यक्त करने से किसी की भवना को ठेस पहुंची है तो उसके लिए हृदय से माफ़ी मांगना चाहूंगी … ये बातें उन लोगों के लिए हैं जो सावन के पावन महीने को बस मस्ती, मजाक , मौज का रूप दे रहें हैं और कुछ नहीं आपको नाचना है तो आप इस तरह ही नाचो न बाबा के नाम पर क्यूँ ,चिलम और गांजा पीना है तो पी लो आप बाबा के इमेज को खराब कर रहें हैं .. रील्स बना रहे हैं सोशल मीडिया पर विडियो बना कर डाल रहें हैं आने वाली नस्ल को गलत सन्देश दे रहें हैं …आप मौज मस्ती करते हैं करिए लेकिन बाबा के नाम पर बिल मत फाड़े न …वरना कभी बाबा का माथा घूम गया न अपना रौद्र रूप भी दिखा देंगे …

सावन आते ही आप देखेंगे की लोग नानवेज खाना छोड़ देते हैं जैसे मुर्गे और बकरे पर ध्यान भी गया तो सीधे नरक में पकौड़े बन कर सर्व किये जायेंगे . और सावन जाते जाते आप महसूस करेंगे की कुत्ते कम भूक रहे हैं …अरे भाई खाना है तो रोज खाओ न किसने मना किया आज शनिवार और आज मंगलवार हैं नहीं चलेगा . खाते तो हैं लेकिन इन दोनों दिन बिलकुल नहीं और कुछ लोग तो गुरुवार को भी खाते नहीं है जैसे सोमवार ,बुधवार और शनिवार को चित्रगुप्त छुट्टी पर रहते हैं जाने क्या ही फंडा है .. मैं लिख रही हूँ तो आप ये मत सोचना की मैं भी वेज होंगी पर ऐसा कुछ नहीं मैं तो मंगलवार को हनुमान जी के लिए गुरुवार को विष्णु जी के लिए और रविवार को सूर्य भगवान के लिए छोड़ देती हूँ ऐसा लगेगा की खा लिया तो पाप लगेगा लेकिन बांकी दिन लगेगा की आज भगवन छुट्टी पर हैं हालाकिं ये सब बातें मुझ पर भी लागू होती हैं . लेकिन होता ये है आप कितनी भी पढ़ाई कर लें लेकिन जो चीज आपने बचपन से देखी और सुनी है सो आपके जहन में बैठ गयी वो निकलना बहुत मुश्किल है. ..खैर बातें शिवजी की हो रही थी ..शिव कितना मनोहर नाम ही लेकिन आप सोशल मीडिया पर देखिये आज कल के लोग जिन्होंने शिव पुराण कभी खोला भी नहीं होगा वो एनीमेशन के द्वारा शिव और पार्वती माता के कैसे अश्लील फोटो डालते हैं जिसपर कोई आपत्ति नही उठा रहा है ..इस लेख को पढ़ने के बाद लोग मुझे भी खड़ी खोटी सुनायेंगे …लेकिन मैं किसी की भावना को बिलकुल भी आहत नही कर रही ये उनके लिए है जो शिव के नाम पर इतना सब करते हैं जिस दिन शिव जी ने अपने तीसरे नेत्र को खोल दिया न तो इनका शिव ही मालिक है . जैसी छवि
सोशल मीडिया पर शिव जी की बना दी गयी है उनके के विषय में चर्चा होती है वैसे तो हमारे शिव कतई नही हैं . वो तो भोले है उन्होंने अमृत मंथन में जब सब देवता और असुर अमृत के लिए लड़ाई कर रहे थे तो विष का प्याला पी गये ताकि इस पृथ्वीलोक को बचा लिया जाए . जिस कारण स उनका शरीर नीला भी पड़ गया था उन्हें नीलकंठ इसलिए खा भी जाता है ..और गर्दन में तो नीला निशान हमेशा के लिए रह गया …

अब मैं यही सब सोच रही थी की भगवान ने कहा ठीक है मैं जाता हूँ ..मैंने कहा कुछ करती हूँ चाहिये तो आप मेरा फ़ोन ले सकते हैं मैं इस पर आपका अकाउंट बना दूंगी आप अपने सब भक्तों से ऑनलाइन चाट कर सकते हैं .. शिव जी फिर नाराज हो गये मैं चाट नही खाता तुम इन्शान फोटो जब स्टोरी पर लगाते हो तब तो मुझे बस भंग और धतूरे के संग ही दिखा देते हो मेरी यही इमेज बना दी है गाना भी बना दिया अब न हमसे भंगिया पिसाई ओ गणेश के पापा हम जात बानी यानी क्या गौरी दिन भर भांग ही पिसती रहती है वो इस बात से बहुत नाराज चल रही है और पूरा सावन यही गाना चलता है कैलाश पर भी आवाज जाती है और रिमोट तुम इन्शानो के पास रहता है कितना भी कोशिश करो म्यूट नहीं होता …. उपर से सावन महीने में मेरी और गौरी की इस तरह की फोटो लगाते हैं जैसे हम राधा कृष्ण हैं और रासलीला करतें हैं ..गौरी इन सब बातों से परेशान है वो हमारी अपनी कैलाश की फोटो स्टोरी में लगाना चाहती है ..न की कृष्ण के निधिवन और द्वारिका की फोटो .तुम लोग राधा कृष्ण के चेहरे को एडिट कर देते हो और हमारी छवि लगा देते हो ..शिव जी की समस्या सुन मैं और परेशान हो गयी ..

मैंने उनसे माफ़ी मांगी और अपना फ़ोन दे दिया ..और तथास्तु कह कर वो अंतर्ध्यान हो गये … मैंने फ़ोन तो दे दिया लेकिन लगा जैसे अपनी किडनी दे दी काश उससे अच्छा वही दे दिया होता ..मैं बहुत दुखी थी की भाई ने मेरे मुंह पर आकर एक मग पानी डाल दिया मैं झटके से उठी तकिये के निचे हाथ डाला तो फ़ोन तो सही सलामत था यानी की मैं सपना देख रही थी ओह्ह आज भाई पर बहुत प्यार आया अगर वो नहीं जगाता तो मैं फ़ोन के गम में ही मर जाती .
खैर सपना अपनी जगह है और मेरी बातें अपनी जगह हैं ..मैं अपने लेख से किसी को आहत नहीं करना चाहती .. न किसी समुदाय विशेष को ठेस भी नहीं पंहुचाना नहीं चाहती ..आप शिव की आराधना करते हैं बहुत बढ़िया बात है लेकिन उनके नाम पर चिलम पी रहे हैं गांजा पी रहे हैं कोई अपने अराध्य के नाम पर इस तरह करता है क्या अश्लील गानों पर रील बना रहें हैं कभी सोचा है की नये पीढ़ी को हम क्या सीख दे रहें हैं उनके जहन में हम क्या डाल रहें हैं .शिव की महिमा अपार है ..तो उनके नाम पर अश्लीलता न परोशें .. जो लोग अंतर्मन से शिव की पूजा करते हैं लोग आपकी वजह से उनको भी बदनाम कर देंगे … अब मैं अपने कलम को विराम देती हूँ …
written by sadhana bhushan
Very nice
Jai shree ram
jai shree ram meri kahani ko padhne ke liye dhnywaad