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महिला दिवस: एक सम्मान, एक समर्थन

आज हम महिला दिवस मना रहे हैं, एक दिन जो महिलाओं की उपलब्धियों, उनकी संघर्षों और उनकी सफलताओं को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। यह दिन हमें उन महिलाओं की याद दिलाता है जिन्होंने अपने जीवन में असंभव को संभव बनाया है, जिन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया है और जिन्होंने अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम किया है।

महिला दिवस का इतिहास 1908 में शुरू होता है, जब अमेरिका में 15,000 महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक रैली में भाग लिया था। वे अपने अधिकारों की मांग कर रही थीं, जिनमें मतदान का अधिकार, समान वेतन और बेहतर काम की स्थितियां शामिल थीं।

आज, महिला दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह दिन हमें उन महिलाओं की याद दिलाता है जिन्होंने अपने जीवन में असंभव को संभव बनाया है। यह दिन हमें उन महिलाओं की याद दिलाता है जिन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया है और जिन्होंने अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम किया है।

महिला दिवस के अवसर पर, हमें उन महिलाओं को सम्मानित करना चाहिए जिन्होंने अपने जीवन में असंभव को संभव बनाया है। हमें उन महिलाओं को समर्थन देना चाहिए जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही हैं। हमें उन महिलाओं को प्रेरित करना चाहिए जो अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम कर रही हैं।

महिला दिवस के अवसर पर, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा देना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें उन बाधाओं को दूर करना चाहिए जो महिलाओं को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने से रोकती हैं। हमें उन अवसरों को प्रदान करना चाहिए जो महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने में मदद करते हैं।

महिला दिवस के अवसर पर, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि महिलाएं हमारे समाज की रीढ़ हैं। वे हमारे परिवारों की धुरी हैं, हमारे समुदायों की आधारशिला हैं और हमारे देश की प्रगति की चालक हैं। हमें उनकी मेहनत, उनकी समर्पण और उनकी साहस की सराहना करनी चाहिए।

महिला दिवस के अवसर पर, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि महिलाओं का सशक्तिकरण हमारे समाज के विकास के लिए आवश्यक है। जब महिलाएं सशक्त होती हैं, तो वे अपने परिवारों

sadhanasource.com

My name is Sadhana Bhushan. I love to write which I feel from my heart. Its journey has been started since my childhood. In My college day lots of articles and story has been published in local newspaper. I know Maithili, Hindi, Magahi and English. May be my English could be not strong because I have started English after my marriage while I had to do post-graduation in journalism. So, I have two degrees in post-graduation first in economics (Magadh university Patna) 2nd in journalism (Sikkim Manipal University). diploma in journalism from Magadh university Patna after film direction and production course from AAFFT. Then Join Sadhana News as an Intern coincidently. Where I have learned so many things. family and career were not going smoothly so I Have decided to write from home and my happiness not for earning It comes from writing. in lockdown period I have written 300 more than articles, story and so many things Whatever nobody was judging me because it was free, and I have learned so many things proper way to writing then journey has been started. Matram India where my First story has been published. and Pratilipi and more than two portals 9news but I was not satisfied then I have started my own website sadhana sources. Now a days three people are working with me. ( हालत कभी आसन नहीं थें . राह बहुत मुश्किल थी . अर्थशास्त्र में मास्टर हिंदी भाषा में करने के बाद इंग्लिश सीखी ताकि जर्नलिज्म की किताबें पढ़ सकूं . 2008 में डिप्लोमा किया था लेकिन घरवालों ने काम नहीं करने दिया की लड़कियों के लिए ये ठीक नहीं . मैंने बहुत से मेडल्स कॉलेज में जीता था पर सबको लगता था की अगर हाथ पैर टूट गया तो कौन शादी करेगा और मुझे बहार खेलने के लिए नहीं जाने देते थें . मैंने बात मान ली लेकिन सपने को छोड़ा नहीं . फिर उनकी बात मानकर शादी कर ली ताकि राजधानी में मेरा कुछ भला हो सके .फिर मैंने फिल्म प्रोडक्शन और जर्नलिज्म में मास्टर किया .कंप्यूटर में डिप्लोमा किया घर के साथ कुछ न कुछ करती रही . प्रोडक्शन के बाद मुझे बाहर जाने का अवसर मिला था लेकिन वही बात महिला को बाहर जाने का कोई प्रोयजन नहीं मैं चुप रही पर मेरे सपने मुझे सोने ही नहीं देते थे फिर मैंने जैसे तैसे साधना न्यूज़ में इंटर्नशिप किया लेकिन घर से 30 किलोमीटर जाना और 30 किलोमीटर आना आसान नहीं था क्यूंकि अब घर में मेरा बेटा भी था जिसको मेरी ज्यादा जरुरत थी . लेकिन सपने मेरी उम्र के साथ बढ़ रह थें . फिर मैंने ऑनलाइन लिखना शुरू किया और ये सफ़र अभी भी जारी है और उम्र के आखिरी पड़ाव तक चले इतनी सी तमन्ना है . मैं अक्सर ये सोचती थी की क्या करुँगी इतना सब सर्टिफिकेटस का सब बेकार हैं .लेकिन अब जब लिखना शुरू किया तो सब की जरुरत होती है तो अच्छा लगता है. बस मैं इतना कहना चाहती हूँ की अगर आपने सपने देखें हैं तो उसको पूरी करने की जिम्मेदारी भी आपकी ही है और जब आप सोने जाएँ तो सपना आपको सोने न दे . और उस सपने को पूरा करने के लिए अपने व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा समय जरुर निकालें वरना आप जिन रिश्तों में उलझे हैं वही सबसे पहले ताने मारते है और वो ताना चुभता बहुत है ; क्यूंकि ये सब मेरे साथ हो चूका है . साधना भूषण

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