शुरू हुआ आज से कैलाश मानसरोवर की यात्रा
रिपोर्ट: पूजा सिंह
साभार: एनडीटीवी
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हिमालय की पहाड़ियों के बीच बसा कैलाश पर्वत भगवान शिव का घर माना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव माता पार्वती के साथ इसी पर्वत पर निवास करते हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म में इसका खास महत्व है। इस पर्वत को हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन धर्म और तिब्बतियों के बीच भी खास महत्व है। जहां आज से कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू हो गई है। इस पर्वत की यात्रा के लिए छह साल बाद चीन ने परमिशन दी है।

भगवान शिव का यह पर्वत समुद्र तल से 22,028 फीट ऊंचाई पिरामिड नुमा पत्थर है, जिसका शिखर शिवलिंग जैसा प्रतीत होता है। यह साल भर बर्फ की सफेद चादर से ढका रहता है। 22,028 फीट ऊंचे बर्फ से ढके शिखर और उससे लग मानसरोवर को कैलाश मानसरोवर कहते हैं।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि यह पर्वत स्वयंभू है और कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन यह समस्त सृष्टि है। यह अद्भुत और अलौकिक जगह है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर प्रकाश तरंगों और ध्वमि तरंगों का समागम है, जो ॐ की प्रतिध्वनि निकालता है।

मान्यता यह भी है कि भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए 33 कोटि देवी-देवता कैलाश पर्वत आते हैं और सरोवर में स्नान भी करते हैं। यही कारण है कि इस सरोवर का जल सदैव स्थिर रहता है और उसका रंग हर घंटे बदलता रहता है।
पौराणिक मान्यता है कि यह जगह कुबेर की नगरी थी, यहीं से भगवान विष्णु के चरण कमलों से निकलकर गंगा नदीं कैलाश पर्वत की चोटी पर विकराल वेग के साथ नीचे गिरती हैं। कहा जाता है कि यहां ही भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में धारण किए हुए हैं और फिर मां गंगा निर्मल धारा का रूप ले नदी का रूप लेती हैं।

मान्यता है कि जो भी व्यक्ति मानसरोवर झील की धरती को छू लेता है, वह ब्रह्मा के बनाए स्वर्ग जाता हैं और जो झील का पानी पी लेता वह भगवान शिव के बनाए स्वर्ग में जाता है।
महाभारत में भी मानसरोवर के बारे में जिक्र किया गया है। वहीं, यह भी कहा जाता है कि माता सीता इसी मानसरोवर के रास्ते स्वर्ग गईं थीं। कैलाश मानसरोवर को साक्षात् शिव का पवित्र स्थान माना जाता है।