जानें क्या है ‘कुकड़ी’, क्यों सुहागरात के दिन दुल्हन को देनी पड़ती ऐसी परीक्षा
Written by Pooja Singh…Edited by Sadhana Bhushan…source – Jansatta
शादी एक ऐसा पवित्र बंधन है, जहां दो व्यक्ति एक होते है, लेकिन यही शादी किसी – किसी जगह एक जुर्म जैसा हो जाता है। जी हां! हम बात कर रहे राजस्थान शहर के एक ऐसे समाज की जहां शादी के बाद दुल्हन को एक अजीबो – गरीब प्रथा से गुजरना पड़ता है। दरअसल, यहां शादी के बाद सुहागरात के दिन दुल्हन का पति कमरे में आता है, और उसके हाथों में होती है ‘कुकड़ी’। उस ‘कुकड़ी’ को देखकर वह घबरा जाती है क्योंकि वो जानती है कि क्या होने वाला है। वो यानी दुल्हन अपने घर की औरतों से हमेशा से सुनती आई है कि ससुराल में परीक्षण किया जाता है। लिहाजा, अब उसे डर है कि पति ये परीक्षण करने वाला है कि उसकी बीवी पवित्र है या नहीं।

अब दूल्हा भी थोड़ी देर बाद दुल्हन के पास से धागे का गुच्छा लेकर बाहर जाता है और चीख-चीखकर सबको बताता है, ‘अरे, वो खराब है।’ इसके बाद पति के परिजन उस नई दुल्हन से उसके पुराने पुरुष मित्र का नाम पूछते हैं और नाम ना बताने तक उसे तरह- तरह की प्रताड़ना देते है। प्रताड़ना से तंग आकर वह लड़की रो-रोकर कहती रह जाती है कि उसने कभी ऐसा कुछ नहीं किया है, लेकिन ससुराल वाले उसको खूब पीटते हैं।
कहते हैं, पंचायत के सामने नई नवेली दुल्हन मान ले कि उसके शारीरिक संबंध थे। आखिरकार एक दिन वो दुल्हन मान ही लेती है कि पहले उसके जीजा के साथ संबंध थे। अब ससुराल वाले लड़की के पिता और जीजा के पीछे पड़ जाते हैं और पैसा मांगते हैं। उस लड़की को अपने घर की बहू के रूप में स्वीकार करने के लिए। आखिर में मजबूर होकर लड़की के परिजन हजारों दे देते हैं और जैसे ही पैसा मिल जाता है, वो बहू घर में सबकी दुलारी हो जाती है।

सौ वर्षों से भी पुरानी इस ‘कुकड़ी प्रथा’ को राजस्थान में रहने वाले ‘सांसी’ और महाराष्ट्र के ‘कंजर’ समुदाय के लोग अपनाते हैं। इसके लिए सफेद सूत के धागों से ‘कुकड़ी’ (गेंद जैसा गुच्छा) बनाई जाती है। सुहागरात के दिन परीक्षण में अगर सबकुछ ठीक रहा तो ‘कुकड़ी’ को परिजनों और पंचों को दिखाकर बताया जाता है कि दुल्हन पवित्र है। सबूत के तौर पर सफेद कपड़ा पीहर पक्ष और ‘कुकड़ी’ ससुराल पक्ष को दी जाती है। अगर रक्तस्राव नहीं हुआ और ‘कुकड़ी’ पर खून नहीं लगा है तो इसका मतलब शादी से पहले उसके किसी से संबंध बने हैं।
जहां दूल्हा खुद चिल्ला -चिल्लाकर सबको बताता है कि ये चरित्रहीन है। ससुराल वाले दुल्हन को पीटते हैं। पूछते हैं कि उस लड़के का नाम बता। लड़की के मुंह से नाम जानने के बाद जाति की पंचायत बैठती है, जिसमें लड़की के परिवार पर लाखों रुपए का जुर्माना लगा दिया जाता है। जुर्माने से बचने और अपने पवित्रता साबित करने के लिए लड़की को दो और मौके दिए जाते हैं।
इस कुप्रथा को काफी जमाने से कई लोग अपनी नई ब्याही बहुओं के कौमार्य परीक्षण के लिए सूत के धागे का इस्तेमाल करते थे। फिर समय के साथ दूसरे समाजों से तो ये घटिया प्रथा खत्म हो गई और लेकिन सांसी , कंजर आदि समुदाय वालों ने इसे अपना लिया है।
सोर्स – जनसत्ता