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कन्या पूजा में खाने से लेकर कन्या को बुलाने और थाली लगाने तक

written by Dr. Shalini shirvashtava

.स्त्री के जीवन में एक ऐसा परिवर्तन जो बहुत अधिक महसूस करती है वो स्वयं …! कन्या में जाने की वो उत्सुकता, किसी के घर क्या मिलेगा कितने पैसे जमा होंगे ,क्या क्या गिफ्ट मिलेंगे। एक रात पहले से ही ये सारी बातें मन में बार बार आती हैं कल क्या पहनकर तैयार होगी , वो ड्रेस रात से ही सजा कर रख दी जाती है!इसके बाद एक दौर आता है जब वो बड़ी हो जाती है और कन्या में उसे कोई नहीं बुलाता , फिर कभी घर में कन्या में उसकी एक थाली प्यार से लगा दी जाती है !जिसे वो भर मन खाती है ,कभी जो थाली घर जा जाकर खाने से खाने की इच्छा खत्म हो जाती थी वो ही थाली आज बहुत बहुत लुभाती है! फिर आता है वो दौर जब वो खुद प्रसाद बनाती है और कन्या को बुलाने जाती है!उनके पांव धोती है और प्यार से परोस कर खिलाती है ! पांव छूकर आशीर्वाद लेती है और फिर रुपए देकर बार बार अपना वक्त याद करती है!कोई सुनने वाला हो तो बताती भी है कि क्या क्या बदल गया ! देखने में बहुत खुश , पर अंदर से इस बदलाव में खुद को एक आखिरी छोर ओर खड़ा पाती है !फिर आता है वो दौर जब ये सब बस अपनी आंखों से देखकर मुस्कुराती है, कोई कन्या आती है कोई परोसता है और वो बस देख देखकर मुस्कुराती है!कभी कोई ज्यादा ही अलग तरह से करने लगे तो थोड़ा तो बड़बड़ाती भी है!जिंदगी कितनी छोटी होती है हम स्त्रियों की बस इन्हीं पलों में गुजर जाती है!

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