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स्थानीय तालाबों की स्थिति में स्थानीय लोगों की सहायता की जरूरत

कटिहार
कटिहार में जब आप घर से बाहर निकलते हैं और अपने आस पास नजर घुमाएंगे तो पाएंगे कि आधे किलोमीटर या उससे भी कम दायरे में एक तालाब हुआ करता था जोकि दिखता तो है पर कोई देखना नहीं चाहता है ।
सूखे तालाबों की स्थिति बद्तर हो चुकी है लोग तालाब में आकर कूड़ा डालकर आगे बढ़ जाते हैं ।जिनका घर पास में है यानी कि तालाब से सटा हुआ वो तो और ज्यादा कूड़ा डालते हैं ताकि जब वो सूखी और गड्ढे वाली जमीन भर जाए तब उनका जमीन का आकार बढ़ जाए और वो ज्यादा जमीन वाले कहलाएं।


जल कुंभी का अतिक्रमण जब इन तालाबों में बारिश के महीने में बारिश का पानी आकर जमा हो जाता है तो जलकुंभी पूरे तालाब को आकर घेर लेती है ।फिर धीरे धीरे जब बारिश का पानी सूखने लगता है वो जलकुंभी भी सूखकर बदसूरत सी लगने लगती है ।


स्थानीय लोग करते हैं नजरंदाज – स्थानीय लोगों को जैसे कोई फिक्र ही नहीं की पानी सूख गया सारे जलीय जीवन समाप्त हो गया ।पहले जल तालाबों में रहने से लोग ट्यूबबेल पर निर्भर नहीं थें।आधे से ज्यादा काम तो वो तालाबों में जाकर कर लेते थे जैसे कपड़ा धोना , नहाना, गाय भैंस को नहाना और भी कई बातें हैं जो लोग सोचना नहीं चाहते और कहेंगे कि बिजली का बिल कितना ज्यादा आता है हमारे जमाने में तो इतना नहीं आता ।

फोटो – साधना भूषण ..परासर विद्यालय के पीछे वाला तालाब की स्थिति दयनीय

कूड़े के अन्दर छुप रहा तालाब – अगर आप गौर से नहीं देखेंगे तो आप पाएंगे की ये एक कूड़ा फेंकने की जगह है और आप भी अपने घर का कूड़ा यही लाकर फ़ेंक सकते हैं और मल मूत्र त्याग करने की सबसे बेहतरीन जगह यही है ..

पराशर विद्यालय के पीछे वाला तालाब तो पुरुषों के मूत्र त्यागने की पसंदीदा जगह है अगर आप उस जगह के आस पास भी रहते होंगे तो आपको मेरे से बेहतर पता होगा की लोग अपने वाहन से उतर कर मूत्र त्यागते हैं हो सकता है आपको ये पढने में अजीब लगे लेकिन ये सच में होता है ..

बालू पोखर फोटो साधना भूषण


सरकार भी कर रही अनदेखा – जाने क्यों सरकार इस बात को अनदेखा कर रही है ।
अगर तालाबों की स्थिति ठीक कर दी जाए तो कटिहार की आर्थिक स्थिति अन्य जिलों से बेहतर हो सकती है ।


अ – मखाना उत्पादन को प्रोत्साहन
जैसा कि सबको पता है कि मखाना के लिए भौगोलिक दृष्टि से कटिहार सर्वगुण सम्पन्न जिला है और वो विश्व में पहले स्थान पर भी है मखाना की खेती के लिए ।
लेकिन सोचिए इतने तालाब जो सरकार के नजर में रहकर भी नजरअंदाज किया जा रहा है उस पर सरकार और स्थानीय लोगों ने मिलकर काम करना शुरू कर दिया तो कटिहार देश के आर्थिक स्थिति को सुधारने में योगदान देने में कितना ज्यादा सक्षम होगा ।

ब – मछली उत्पाद में वृद्धि – चूंकि बंगाली और मैथिली दोनों संस्कृति का संयोग है लोग दोनों संस्कृति के लोग मछली खाने में बहुत ही रुचि रखते हैं सब्जी के जैसे मछली वाले मछली बेचते हैं कभी वो मानसी तो आस पास के तालाब से खरीद कर लाते हैं /
अगर ये मछलियां उन्हें कटिहार के तालाब से ही उपलब्ध हो जाएं तो उनका बजट भी नहीं हिलेगा और वो ज्यादा दूर जाने के लिए भी नहीं बाध्य होंगे ।
ओर उनकी भी आर्थिक स्थिति में सुधार हो जाएगा।


स – पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा
अगर तालाब में सफाई रहेगी मखाना उपजेगा मछलियां रहेंगी तो लोग घूमने फिरने के लिए तालाब के आस पास ही आया करेंगे । जो लोग कूड़ा फेंकते हैं वो मछलियों को दाना दिया करेंगे । यहां के पर्यावरण के हिसाब से कमल फूल के लिए भी बहुत बढ़िया परिवेश है कमल का फूल जोकि हमारा राष्ट्रीय फूल भी है दिखने में उतना ही मनमोहक और आकर्षक लगता है । और कुछ बतख के जोड़े लाकर रख दिए जाएं जो कि और भी आकर्षक लगेगा ।

मुझे तो लिख कर ही इतना आनंद आ रहा है।आपको पढ़ कर अच्छा लग रहा होगा । आंखों के आगे एक सुंदर सा तालाब उसमें कमल के फूल और तैरती हुई मछलियां और बतख पानी का रंग एकदम सफेद ।और कमल के खिले खिले गुलाबी और सफेद फूल कितना मनमोहक दृश्य है न।
बस जरूरत है सब कटिहारवासियों को आगे आने की अपने खाली समय में थोड़ा समय आस पास के विलुप्त होते हुए तालाबों में जान फूंकने की ।
वरना हर साल पानी का लेयर नीचे ही जाता रहेगा । और हम बस भगवान् पर ही सारा बिल फाड़ते रहेंगे .. अगर आप मेरे बात से सहमत हैं तो कमेंट में अपनी राय जरुर दें .

sadhanasource.com

My name is Sadhana Bhushan. I love to write which I feel from my heart. Its journey has been started since my childhood. In My college day lots of articles and story has been published in local newspaper. I know Maithili, Hindi, Magahi and English. May be my English could be not strong because I have started English after my marriage while I had to do post-graduation in journalism. So, I have two degrees in post-graduation first in economics (Magadh university Patna) 2nd in journalism (Sikkim Manipal University). diploma in journalism from Magadh university Patna after film direction and production course from AAFFT. Then Join Sadhana News as an Intern coincidently. Where I have learned so many things. family and career were not going smoothly so I Have decided to write from home and my happiness not for earning It comes from writing. in lockdown period I have written 300 more than articles, story and so many things Whatever nobody was judging me because it was free, and I have learned so many things proper way to writing then journey has been started. Matram India where my First story has been published. and Pratilipi and more than two portals 9news but I was not satisfied then I have started my own website sadhana sources. Now a days three people are working with me. ( हालत कभी आसन नहीं थें . राह बहुत मुश्किल थी . अर्थशास्त्र में मास्टर हिंदी भाषा में करने के बाद इंग्लिश सीखी ताकि जर्नलिज्म की किताबें पढ़ सकूं . 2008 में डिप्लोमा किया था लेकिन घरवालों ने काम नहीं करने दिया की लड़कियों के लिए ये ठीक नहीं . मैंने बहुत से मेडल्स कॉलेज में जीता था पर सबको लगता था की अगर हाथ पैर टूट गया तो कौन शादी करेगा और मुझे बहार खेलने के लिए नहीं जाने देते थें . मैंने बात मान ली लेकिन सपने को छोड़ा नहीं . फिर उनकी बात मानकर शादी कर ली ताकि राजधानी में मेरा कुछ भला हो सके .फिर मैंने फिल्म प्रोडक्शन और जर्नलिज्म में मास्टर किया .कंप्यूटर में डिप्लोमा किया घर के साथ कुछ न कुछ करती रही . प्रोडक्शन के बाद मुझे बाहर जाने का अवसर मिला था लेकिन वही बात महिला को बाहर जाने का कोई प्रोयजन नहीं मैं चुप रही पर मेरे सपने मुझे सोने ही नहीं देते थे फिर मैंने जैसे तैसे साधना न्यूज़ में इंटर्नशिप किया लेकिन घर से 30 किलोमीटर जाना और 30 किलोमीटर आना आसान नहीं था क्यूंकि अब घर में मेरा बेटा भी था जिसको मेरी ज्यादा जरुरत थी . लेकिन सपने मेरी उम्र के साथ बढ़ रह थें . फिर मैंने ऑनलाइन लिखना शुरू किया और ये सफ़र अभी भी जारी है और उम्र के आखिरी पड़ाव तक चले इतनी सी तमन्ना है . मैं अक्सर ये सोचती थी की क्या करुँगी इतना सब सर्टिफिकेटस का सब बेकार हैं .लेकिन अब जब लिखना शुरू किया तो सब की जरुरत होती है तो अच्छा लगता है. बस मैं इतना कहना चाहती हूँ की अगर आपने सपने देखें हैं तो उसको पूरी करने की जिम्मेदारी भी आपकी ही है और जब आप सोने जाएँ तो सपना आपको सोने न दे . और उस सपने को पूरा करने के लिए अपने व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा समय जरुर निकालें वरना आप जिन रिश्तों में उलझे हैं वही सबसे पहले ताने मारते है और वो ताना चुभता बहुत है ; क्यूंकि ये सब मेरे साथ हो चूका है . साधना भूषण

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