पी.वी. सिंधु के सामने सबसे बड़ी चुनौती: अपने शरीर पर भरोसा दोबारा हासिल करना
पी.वी. सिंधु के सामने सबसे बड़ी चुनौती: अपने शरीर पर भरोसा दोबारा हासिल करना
— नई दिल्ली : भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी और दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पी.वी. सिंधु इन दिनों अपने करियर के बेहद चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही हैं। लंबे समय से चोटों से जूझ रहीं सिंधु के लिए 2025 की सबसे बड़ी चुनौती है—
अपने शरीर पर फिर से भरोसा करना और कोर्ट पर वही पुराना आत्मविश्वास वापस पाना।
पिछले तीन वर्षों में सिंधु केवल एक खिताब जीत पाई हैं, और इसी दौरान उनकी फिटनेस ने भी कई उतार–चढ़ाव देखे।
अक्टूबर 2023 में हुई गंभीर घुटने की चोट ने उनके पूरे सीज़न को प्रभावित किया।
इस चोट के चलते उन्हें एशिया मिक्स्ड टीम चैंपियनशिप से बाहर होना पड़ा और कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट छोड़ने पड़े।
पूर्व विश्व नंबर 1 साइना नेहवाल और डेनमार्क के चैंपियन पीटर गेडे का मानना है कि अनुभवी खिलाड़ियों के लिए सबसे मुश्किल चरण तब शुरू होता है जब चोटें बार–बार आने लगती हैं और खेलने का रिद्म टूट जाता है। साइना ने कहा कि जब खिलाड़ी 17–18 साल की उम्र में जीतना शुरू करता है, तब शरीर बहुत कुछ सह लेता है, लेकिन करियर के बाद के वर्षों में हर चोट का असर गहरा होता है।पीटर गेडे के अनुसार, सिंधु के पास अभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन करने की क्षमता है, लेकिन यह तभी संभव है जब वह अपने शरीर पर विश्वास वापस लाएं और मानसिक रूप से मजबूत होकर कोर्ट पर उतरें।
सिंधु इस समय विश्व रैंकिंग में नंबर 13 पर हैं और 2025 की शुरुआत उनके लिए औसत रही है।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अनुभव, खेल की समझ और कठिन मैचों में उनकी लड़ने की क्षमता अभी भी दुनिया में शीर्ष स्तर की है।आगामी महीनों में सिंधु का लक्ष्य स्वयं को पूरी तरह फिट करना, तेज़ी और विस्फोटक मूवमेंट वापस पाना और बड़े टूर्नामेंटों में दमदार वापसी करना होगा।भारत को फिर से उनके सर्वश्रेष्ठ रूप का इंतजार है—वही सिंधु जो बड़े मंच पर सबसे चमकदार प्रदर्शन के लिए जानी जाती हैं।
बहुत जल्द वो अपने पुराने स्थान को पाने में सक्षम हो जाएंगी।
