जाने क्या है नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास ?

नालन्दा विश्वविद्यालय भारत के बिहार राज्य में स्थित नालंदा जिले के राजगीर में स्थित एक सार्वजनिक केंद्रीय / संघ विश्वविद्यालय है ।आपकी जानकारी के लिए बता दे कि , नालंदा विश्वविद्यालय में किसी समय 10 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ते थे। इन छात्रों को पढ़ाने के लिए 1500 से ज्यादा शिक्षक थे।

छात्रों का चयन उनकी मेधा पर किया जाता था। सबसे मुख्य बात यह है कि यहां पर शिक्षा ,रहना और खाना सभी निःशुल्क था। इसमें भारत ही नहीं, बल्कि कोरिया , जापान , चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया , ईरान , ग्रीस , मंगोलिया जैसे देशों के भी छात्र भी पढ़ने के लिए आते थे।

इस विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए ज्यादातर एशियाई देशों चीन, कोरिया और जापान से आने वाले बौद्ध भिक्षु होते थे। इतिहासकारों के मुताबिक, सातवीं सदी में चीनी भिक्षु ह्वेनसांग ने भी यहां से शिक्षा ग्रहण की थी। ह्वेनसांग ने अपनी किताबों में नालंदा विश्वविद्यालय की भव्यता के बारे में लिखा है। बौद्ध के दो सबसे अहम केंद्रों में से यह एक था।
वही पूरी दुनिया में नालंदा विश्वविद्यालय को ज्ञान का भंडार कहा जाता रहा है। इस विश्वविद्यालय में धार्मिक ग्रंथ, लिट्रेचर, थियोलॉजी,लॉजिक, मेडिसिन, फिलोसॉफी जैसे कई विषयों की पढ़ाई होती थी। जहां 700 साल तक यह विश्वविद्यालय दुनिया के लिए ज्ञान का मार्ग था। 700 साल की लंबी यात्रा के बाद 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने इसे जला दिया था।
नालंदा विश्वविद्यालय में 1193 तक पढ़ाई होती थी। तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस पर हमला कर दिया। उसने पूरे विश्वविद्यालय को तबाह कर दिया। इतिहासकारों के मुताबिक, खिलजी ने जिस समय विश्वविद्यालय पर हमला किया था, उस समय इसकी नौ मंजिला लाइब्रेरी में करीब 90 लाख किताबें और पांडुलिपियां थीं।

लाइब्रेरी में आग लगाने के बाद यह तीन महीने तक जलती रही। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि, दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय, जिसकी स्थापना 427 ई. में सम्राट कुमारगुप्त की उदारता से नालंदा में की गई थी।

New look of nalnda University , All pic credit By AI , Written by Pooja Singh.