वहम या सज़ा

“अरे सुन यार तू ये भूत,पिशाच वगैरह में यकीन रखती है क्या?”
“चल पागल है,आज हम कितने आगे पहुँच गये है और लोग अभी भी इन फालतू बातों में यकीन रखते है क्या ।”
“हाँ,जब तुम्हारे पीछे पड़ेंगे न तब मालूम होगा तुझे।”
“अच्छा” और वो मुस्कुरा दी ।
ये बातें दो सहेलियों के बीच की थी।
अनु जो की एक मनोचिकत्सक हैं,और वो इन भूत वगैरह में बिल्कुल नहीं मानती है और आज तक उसने कितने ही लोगों के भ्रम को भी दूर किया था,वो देश के बढ़िया psycharist (मनोचिकत्स्क) में से आती थी जिसने इतनी कम उम्र में इतनी तरक्की हासिल की थी।
हमेशा की तरह एक साधारण सी सुबह हुई उस शहर में.. और लोग अपने – अपने दिनचर्या में लग गयें ,वो शहर भी आम बड़े शहरों की तरह ही था भीड़
-भाड़ से युक्त शोर, गाड़ियों के धुएं और ऊंची इमारतें।उन्ही में से एक बिल्डिंग के एक अपार्टमेंट में अनु रहती थी।

फिलहाल वो उठ गयी थी और नहा कर आईने के सामने खड़ी होकर अपने बाल पोछ रही थी और आवाज़ दे रही थी
“मुसु,बेटा जल्दी उठो स्कूल नहीं जाना देखों मम्मा तो नहा भी ली “
अनु लगभग 35 साल की थी और जैसा की हम जानते है वो एक मनोचिकित्सक (psychiatrist ) हैं ,दिखने में वो बिल्कुल साधारण सी है गेहूंवा रंग और पतला चेहरा कंधों से नीचे तक के बाल,कद लम्बा और एक बात जो कोई भी उसे देख कर ही बता सकता है वो ये की वो काफी फिट थी,उसे अपनी सेहत का काफी ख्याल था योगा और साईकिलिंग और हेल्थी चीजें ही वो खाती थी।अब वो रसोई में जाती है और कुछ सलाद काटती है और साथ ही दूध उबालते हुए फिर चिल्लाती है।
“मुसु,जल्दी ब्रश करो बेटा मैनें नास्ता बना दिया है और नही तो मम्मा लेट हो जाएगी ना जल्दी करों।”

फिर वो खुद का फटाफट बाल बनाती है और एक छोटें से स्कूल ड्रेस निकाल कर बेड पर रख देती है।फिर वो टेबल पर नास्ता लगाने लगती है वो दो प्लेट में नास्ता परोस रही थी और फिर एक प्लेट के पास खुद बैठ गयी और नास्ता करने लगी और कहा
“मुसु,कैसा बना है बताओं?”
और सामने देखा,सामने की कुर्सी खाली थी और नास्ता यूँ ही प्लेट में रखा हुआ था और उसके साथ दुध का गिलास भी रखा था।
पर अनु को जैसे सामने से कोई जवाब मिला हो ,उसने कहा
अनु-“क्या कहा,अच्छा नहीं है! हम्म हेल्थी चीजें तुम्हें कभी अच्छी भी लगती है”जो आज अच्छी लगेंगी…

और फिर उसने खुद अपना नास्ता रोक दिया और दुखी होकर फिर एक बार अपना सर झुका लिया।और गहरे दुख का एहसास हुआ उसने फिर अपना फोन से एक तस्वीर निकाली और निहारने लगी।
वो तस्वीर उसकी बेटी मुस्कान की थी,जो उस तस्वीर में खुल कर हंस रही थी।उसे देख कर उसके आँखों से आंसू निकल गये,अनु जो एक साल पहले तक बेहद खुश थी और हँसमुख थी अब वो सिर्फ लोगों को दिखाने के लिए हस्ती है और उसकी खुशियाँ तो उसकी बेटी मुस्कान के साथ ही चली गयी थीं।
वो और उसके पति का प्रेम विवाह था और वो दोनों एक दूसरें से काफी खुश थे,उसका पति मर्चेंट नेवी में था तो वो अधिकतर बाहर ही रहता था पर जब भी वो आता था वो अपनी पत्नी और अपनी बेटी को पूरा समय देता था।वो लोंग हमेशा घुमने जाते और साथ में खाना बनाते।पर उनकी बेटी जो सिर्फ 7 साल की थी उसकी मौत के बाद सब कुछ बदल गया था।मुस्कान की मौत जो की एक हादसा थी।
उसने अनु को पूरी तरह बदल कर रख दिया था।

वो हॉस्पिटल गई और उसने एक मुसुकुराते हुय चेहरे के साथ जानने वाले लोगों का अभिवादन किया और फिर अपने कैबिन में बैठ गई।तभी एक स्टॉफ आकर कहती है कि मैम, मेघा मैम आई है। मेघा जो की उसकी ही एक मरीज थी,वो 22 साल की एक लड़की थी जिसने एक साल पहले ही अपने बचपन के प्यार अपने बॉयफ्रेंड अजय को खोया था।
वो इस बात को बर्दास्त ही नहीं कर पा रही थी और उसने कई बार अपनी जान लेने की कोशिश भी थी।
मेघा अंदर आती है,उसके चेहरे पर अलग ही बेबसी सी थी और आँखे लाल सूजी हुई थी और वह काफी कमजोर लग रही थी।
अनु उसे देख कर मुसुकुराते हुए कहती है-“आओ मेघा बैठों,तो बताओ तुम गयी पिछले रविवार को उस मेले में?”
मेघा-“नहीं,डॉक्टर”
अनु-“क्यों?”
मेघा-“अजय की खराब हो गयी थी!”
अनु-“हम्म अजय की?”
मेघा-“हाँ,अजय की मैं तो उसी के साथ जाने वाली थी न पर उसकी तबियत खराब हो गई।”
अनु-“पर मैं तो गयी थी मेले में और अजय भी वहाँ था और वो तो ठिक था उसने कहा की वो तो तुम्हें भी ला रहा था पर तुम खुद नहीं आयी।”
इस पर मेघा ने अनु की तरफ देखा और कहा “आप झूठ मत बोलो,वो मेरे साथ था वो हमेशा होता हैं मेरे साथ अभी है वो मेरे साथ।”
अनु-“तो तुमने उसे क्यों बांधा है उसे मुक्त कर दो,और अजय भी यही चाहता है की तुम उसे बांधकर खुद भी बंद मत रहो,वो तुम्हे खुश देखना चाहता है,वो चाहता है की तुम अपनी जिंदगी जियो सारे सपने पूरे करो अपने”
मेघा-“हाँ, मालूम है मुझे अजय ये सारी बातें मुझसे करता है आपसे नहीं और वो मेरे पास ही तो है वो कभी ही गया नहीं है और मेरे सपने नहीं है वो हमारे सपने है,जो हम पूरा करेंगे मिलकर।”

अनु-“मेघा उस रात क्या हुआ था?”
मेघा-“किस दिन?”
अनु-“तुम्हारे जन्मदिन वाले दिन,तुम लोग अपने कुछ दोस्तों के साथ तुम्हारा जन्मदिन मनाने होटल विला में गए थे न।”
मेघा इस पर थोड़ी घबराने लगी और हलके से हाँ में सर हिला दिया।
अनु-“वहाँ आग लग गयी थी ना फिर क्या हुआ?”
मेघा-“हाँ,वहाँ आग लगी थी और मुझें नहीं मालूम “

अनु-“उसी हादसे में अजय मर गया है न”
मेघा- “नही, वो है वो मेरे साथ है हमेशा”
अनु -” मेघा सुनो वो नही है वो चला गया है,इस भ्रम में मत रहो ये भ्रम तुम्हें बहुत दुख देगा और तुम्हें दुखी अजय भी नही देखना चाहेगा कभी।इस भ्रम से आजाद हो जाओ और जाने दो अजय को वो चला गया है बहुत दूर।”

मेघा शांत रही और वो थोड़ी देर बाद रोने लगी।
अनु ने उसे रोने दिया और फिर उसे पानी दिया।थोड़ी देर बाद मेघा अपने माता पिता के साथ कार में बैठी थी।और अनु उसके माता पिता से कुछ बात कर रही थी। फिर वो चले गये../
अनु शाम को मार्केट में थी और वो घर का राशन खरीद रही थी,तभी उसे पीछे से किसी ने आ कर बोला “हाय अनु”
वो पीछे पलट कर देखती है तो वो उसका बचपन का दोस्त रोहित था।


नज्म जो की दस साल कि थी और वो दिखने में एक आम सी बच्ची की तरह ही थी,प्यारी सी बड़ी शांत सी।
अनु-“हाय बेटा मेरा नाम अनु है और आपका क्या नाम है?”
नज्म-“मेरा नाम नज्म है”
अनु-“वाहा कितना अच्छा नाम है आपका,आपको पता है मैं और आपके पापा बचपन के बहुत अच्छे दोस्त है तो आप मुझें आंटी बुला सकती हो।”
नज्म बस हाँ में सर हिला देती है।

अनु-“अच्छा आपके दोस्त है?”
नज्म-“हाँ मेरे स्कूल में पहले दोस्त थे और मेरे कॉलोनी में भी दोस्त थे।”
अनु-“दोस्त थे,वो अब दोस्त नहीं है क्या आपके?”
नज्म-“नहीं”
अनु-“क्यों?सबके साथ एक साथ लड़ाई कैसे हो गई?”
नज्म-“क्योंकी उन्होंने कहा मैं झूठी हुँ,जब मैने उन्हें अपने शैतान के बारे में बताया तो।”

अनु-“शैतान?कोई आपके दोस्त में से शैतान है क्या जो काफी शरारती हो इसलिए आपने उसे ऐसा बोला क्या?”
नज्म(थोड़ा अजीब स्वर में) -“नहीं,वो मेरा दोस्त नहीं है वो तो बहुत खतरनाक दिखती है,वो तो सबको परेशान करती है मुझें भी करेगी अगर मैंने कोई गलती कर दी तो।”
अनु उसे अजीब तरह से देख रही थी ये काफी अजीब सी बातें नज्म कर रही थी।
अनु-“कैसे गलती करने पर वो पनिश करेगा ?”
नज्म-“अगर मैं झूठ बोलूँगी तो,अगर मैंने पापा कि बात नहीं मानी तो,अगर मैने समय से प्राथर्ना नहीं की तो,अगर मैं समय पर नहीं सोई तो , खाना पूरा नहीं खाया तो ,दुध खत्म नहीं किया तो।”
अनु-“अच्छा और वो आ कर क्या कहती है?”
नज्म-“वो अपने साथ ले जाने की बात कहती है”

अनु उसे गौर से देखती रहती है और पूछती है-“आप उसे कब से देख रही है?”
नज्म-“अपने जन्मदिन से जब मैने पापा से अपनी दूसरी ड्रेस खरीदने की ज़िद की थी और केक भी खराब कर दिया था और उन्हें बहुत परेशान किया था।तब वो आई थी मुझें पनिश करने क्योंकी अच्छे बच्चे अपने पापा को तंग नहीं करते ना।”
अनु-“अच्छा और उसने क्या किया था?”
नज्म-“उसने मुझें हाथ पर डंडा मारा था और बहुत दर्द हुआ था और फिर एक हजार बार सॉरी लिखने को बोला था।”
अनु -“तो अब आप ऐसा कुछ नहीं करती क्या?”.नज्म-“नहीं,कभी कभी हो जाती है गलती”
अनु-“ठिक है बेटा आप कुछ खाओगे?मैं दूंगी आपको।”
नज्म-“फ्रूट”
अनु-“और चॉकलेट?”
नज्म-“नहीं,गंदी बात होती है खाना”
अनु-“ठिक है,मैं लेकर आती हूं।”
फिर वो बाहर रोहित से बात करती है।
रोहित-“क्या हुआ अनु?”
अनु-“रोहित,कुछ गलत तो है नज्म शैतान कि बात करती है वो उसे पनिश करता है अगर उसने कुछ भी गलत किया तो और वो अपना पूरा बेस्ट देती है एक अच्छी बच्ची बनने में,ये सब जो बातें हम बच्चों को सिखाते हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं ये सब उसके अंदर बहुत ज्यादा बैठ गया है और इतना कि वो उसे कुछ भी गलत करती है तो खुद को पनिश करने के लिए एक शैतान बनाया है उसने अपने मन में।”
रोहित-“हम्म,ये सब तो है उसके साथ।”
अनु-“उसके जन्मदिन वाले दिन क्या हुआ था?”

रोहित-“वैसे तो वो बहुत गुस्सा करती रहती थी पर उस दिन उसने काफी गुस्सा किया जब उसका पसंद का ड्रेस मैने गलती से कोई और ड्रेस ले आया और उसने केक भी नही काटा और सब कुछ खराब कर दिया।फिर वो अपने कमरे में रो रही थी और अचानक उसने अपने हाथ में डंडे मारने शुरु कर दिये,वो तब रुकी जब मैं उसके कमरें में आया और उससे वो डंडा छिन लिया।फिर उसने एक हजार बार सॉरी लिखा जबकि किसी ने उसे ये करने के लिए नहीं बोला था।फिर तो सब से शुरु हो गया ये सब वो एक अच्छी बच्ची बनने की पूरी कोशिश करने लगी और जब वो छोटी सी भी गलती करती है तो वो खुद को काफी चोट पंहुचा लेती है।”
अनु-“रोहित मैं जानती हूँ की तुम एक बहुत अच्छे पिता हो पर फिर भी मैं पूछना चाहती हूँ,ये बातें थोड़ी सी भी उससे किस ने कही ?ऐसे ही प्यार से या कभी कुछ सिखाते हुए या सुलाते हुए कभी तुमने उसे कुछ ऐसा कहा किया की बेटा ऐसा करो तो अच्छी बनो नहीं तो तुम्हें शैतान ले जाएगा?”
रोहित-“अनु मैं उसे अच्छी सीख तो हमेशा देता हूं पर वैसे ही जैसे सब अपने बच्चे को देते है पर मैने कभी उसे शैतान वाली बात नहीं की… पता नहीं ये सब कैसे?”
अनु-“अच्छा तुम ज्यादा परेशान ना हो मैं हुँ न मैं उसे समझा दूंगी,और तुम उसे हर रोज एक घंटे मेरे घर पर छोड़ देना।”
रोहित ऐसा ही करता है,वो नज्म को अनु के पास रोज एक घंटे के लिए छोड़ देता हैं।
ऐसे ही तीन दिन बीत जाते है,अनु पूरी कोशिश करती है नज्म के साथ घुलने मिलने की और उसके मन के अंदर में जाने क्या हो रहा है…।
फिर वो अपने पापा के पास वापिस चली जाती है ..।
एक दिन अचानक से उसे रोहित का फोन आया।
रोहित-“अनु यार तुमसे एक मदद चाहिए थी,मैं जानता हूं तुम्हें काफी तंग कर रहा हूं पर तुम मेरी हमेशा मेरी मदद कर देती तो..”
अनु-“अरे बोलो ना इतना क्या सोच रहे हो!”
रोहित-“वो मैं एक हफ्ते के लिए शहर से बाहर जा रहा हूं और मैं वहाँ नज्म को अपने साथ नहीं ले जा सकता हूं और यहाँ मैं तुम्हारे आलावा नज्म को ले कर और किसी पर भरोसा नहीं कर सकता हूं और नज्म भी तुमसे घुल गई है तो..”
अनु- “हाँ, तुम नज्म को मेरे पास छोड़ कर जा सकते हो इसमें इतना क्या सोचना।”
रोहित-“थैंक यू सो मच यार मैं जानता हूं तुम्हारा भी अपना काम है और फिर नज्म को स्कूल छोड़ने से और तुम्हारा काम बढ़ जाएगा ना।”
अनु-“अरे कोई दिक्क़त नहीं है वैसे भी मैं मुसू का भी तो..”
और फोन पर खामोशी छा गई।
थोड़ी देर बाद रोहित ही कहता है,”ठिक है मैं कल उसे ले कर आऊंगा”
अनु फोन रख देती है और फिर वो अपनी गोद में देखती है तो उसे मुस्कान दिखती है जो सो रही थी और वो उसपर धीरें धीरे थपकी दे रही थी पर असल में उसने एक तकिया ले रखा था अपनी गोद में।
अगले दिन रोहित नज्म को अनु के पास छोड़ देता हैं।

अनु नज्म का अच्छे से ख्याल रखने लगती है।
अनु -“चलो बेटा स्कूल के लिए तैयार हो जाओ आप.. मैने आपका ड्रेस निकाल दिया है।”
नज्म-“पर आपने ये दूसरी ड्रेस भी निकाली है,क्यों?”
अनु-“वो मुसु के लिए”
और थोड़ी देर बाद उसे खुद एहसास हुआ की वो क्या बोल रही है और फिर उसने वो ड्रेस वहाँ से उठा लिया।
नज्म(मुस्कान की तस्वीर की तरफ इशारा करते हुए)-“क्या ये आपकी मुसु है? “
अनु-“हाँ “
नज्म-“वो कहाँ है?”
अनु-“वो अब भगवान के पास है”

अनु उसे स्कूल छोड़ देती है और फिर अपने हॉस्पिटल चली गयी।
रात के समय में अनु खाना लगा रही थी और वो हमेशा की तरह मुसु के लिए भी लगाती है।
नज्म-“आंटी आप तीन प्लेट क्यों लगा रही हो?”
अनु(थोड़ा झेंपते हुय)-“वो गलती से हो गया बेटा,अभी हटा रही हूँ।”
और वो अपने आंसू को रोक कर रखी थी।
नज्म-“क्या हुआ था मुसु को ?वो कैसे चली गयी भगवान के पास?”
अनु अचानक आए इस सवाल के लिए तैयार नही थी,और वो उसे देखने लगी।
अनु-“वो एक हादसा था!”
तभी उसे बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आती है ,वो उस तरफ जाती है और वो देखती ही रह गयी।

अनु को मुसू दिख रही थी जो की एक टब में बैठी थी और शॉवर का पानी उसके ऊपर गिर रहा था,वो पुरी भिंगी हुई थी और पानी उसके सर पर गिर रहा था।
अनु(चिल्लाते हुय)-“मुसु बेटा ये सब” वो रोने लगती है और जल्दी से उसे उस टब से उठाती है और उसे खुद से लगा लेती है और कहती है,”तुम फिर क्यों गयी पानी के पास ?और ये सब क्यों किया ?

उस दिन क्या हुआ था याद नहीं, समर कैंप में मेरे कहने से गयी और मेरी जिद्द की वजह से तुम वहां गयी उस पुल के पास जाने से डूब गयी !पर अब नहीं ,अब मैं तुम्हें फिर से नहीं डूबने दूंगी।
और फिर वो उसे बाहर नही निकल पाई .. वो घर में छुट्टी में बस मोबाइल चलाया करती थी तो मैंने सोचा बहार जाएगी तो मोबाइल की आदत छूट जाएगी ..पर मुझे ये नहीं पता था की मेरी बेटी ही मुझसे रूठ जाएगी …
नज्म-“तो आंटी आपकी मुसु आपके वजह से गई ? आप एक अच्छी मम्मी नहीं हो,आप पनिश होंगी ।”

अनु उसे कुछ नहीं कहती और अंदर अपने कमरें में चली जाती है। पीछे बाथरूम में सब ठिक था,कभी कुछ हुआ ही नहीं था वहां।
रात के दो बज रहें थे,अचानक से उसकी निंद खुल गयी और उसने देखा नज्म जो उसके साथ ही सो रही थी वो वहाँ पर नहीं थी। वो उठी और नज्म को आवाज़ देते हुय वो अपने हॉल में आ गयी,वहाँ नज्म बैठे हुए खुद कुछ बोल रही थी।
अनु(लाइट जलाते हुए)-“नज्म आप यहाँ क्या कर रहे हो?”
नज्म उसके तरफ देखती है और सामने की तरफ इशारा करते हुए कहती है,”ये ही शैतान है,मैं इससे ही बात कर रही ।”
एक बार को अनु भी घबरा गयी और सामने खाली कुर्सी की तरफ देखने लगी पर फिर उसने कहाँ,”और क्या कह रही है वो?”
नज्म-“वो बोल रही है वो आपको पनिश करेगी क्योंकी आपकी गलती की वजह से मुसु गयी ना इसलिए।”

ये सुन कर अनु भी सहम गयी पर फिर उसने कहाँ,-“नज्म रात काफी हो गई है,चलो सोने बेटा।”
नज्म चुपचाप उठ कर कमरें में चली गयी और जब अनु जाने लगी तो उसे एक पल के लिए ये एहसास हुआ की उस कुर्सी पर कोई आकृति बैठी हुई है पर अगले ही पल सब समान्य था।
और जैसे ही वो अपने कमरें कि तरफ बढ़ी उसके सामने भिंगी हुई मुसू थी।
और उसने पूछा मम्मा क्या आपकी वजह से मेरी ये हालत हुई ? क्या आप बैड मम्मी है ?”
अनु ने ना में सर हिलाया और उसे गोद में उठा लिया और अपने कमरें कि तरफ बढ़ गयी।आईने में साफ दिख रहा था कि अनु ने हवा में ही हाथ ले रखा था।

अनु तंग आ कर नीचे सर झुका लेती है और अपने पति को फोन करती है,पर वो उसका फोन नहीं उठाता है। वो अपनी यादों में खो गयी,वो लोग खुश थे अनु अपने पति से बहुत प्यार करती थी और वो भी उससे करता था पर जबसे मुस्कान उनकी जिंदगी से गयी थी तब से उनके रिश्ते में भी दूरियाँ आ गयी थी।वो भी मुस्कान को याद करता था और दुख में एक दिन उसने भी अनु को यह कह दिया था की मुस्कान के जाना अनु की लापरवाही का नतीजा है और ये बात जो अनु के दिल में पहले से थी वो और गहरी हो गयी। हालांकी उसको बाद में ये एहसास हुआ की उसे अनु को ये नहीं कहना चाहिए था पर आयी दुरियों की वजह से वो उससे माफी नहीं मांग पाया।
अनु का ध्यान तब खुलता है जब नज्म उससे आ कर कहती है की उसको ब्रश करना है।
थोड़ी देर बाद वो नज्म के साथ नास्ता कर रही थी पर नज्म खा नहीं रही थी।
अनु-“क्या हुआ बेटा आप अच्छे से खा क्यों नही रहे?”
नज्म-“वो मुझें ये वेज ज्यादा नहीं पसंद”
अनु-“तो मैं कुछ और बना देती हूँ ,नूडल्स खाओगे?”
नज्म-“नहीं , मैगी अच्छी नहीं होती सेहत के लिए और फिर ये सलाद भी तो वेस्ट होगा ना।”
अनु-“अच्छा तो मैं इस सलाद से आपके लिए सैंडविच बना दूँ और ब्रेड भी हेल्थी वाली है।”
नज्म-“ठिक है,थैंक यू”
अनु सैंडविच बना रही थी तभी एक नन्हा सा हाथ उसके सामने आ गया और अनु ने जैसे ही पीछे देखा तो वो चिल्ला उठी।
वो मुसु थी पर जैसे हमेशा वो उसके सामने आती थी वो वैसी नही थी वो भिंगी हुई थी बाल माथे पर चिपके हुय थे और ऑंखे लाल थी,उसके शरीर में काई लगी हुई थी जगह जगह से मैली हो गयी थी और उसे देख कर लग रहा था जैसे पानी से की खतरनाक जीव बाहर आ गयी हो।
उसने कहा “मम्मी आप बुरी हो बहुत बुरी”

अनु ने ना में सर हिलाया और नीचे बैठ कर रोने लगी।
तभी थोड़ी देर बाद सब कुछ शांत सा हो गया उसने ऊपर सिर उठा कर देखा तो नज्म थी वहाँ पर,वो सैंडविच खा रही थी।
रात का समय,नज्म और अनु दोनों खेल रहे थे।
अनु-“बेटा आप ये बात बताओ की आपको ये शैतान और सजा वाली बातें कहाँ से पता चली?”
नज्म-“वो खुद आया और उसने खुद बताया”
अनु-“बेटा आप ना इससे बात मत करो और दोस्त बनाओं और कभी कभी शरारत करना बुरी बात नहीं है कोई कुछ नहीं होगा।”
नज्म-“वो सबको पनिश करेगा जो भी गलत करेगा आपको भी करेगा वो,मुसु भी तो यही कहती है न आपसे।”

अनु चुप हो गयी और नज्म वहाँ से उठ कर कमरें में चली गयी।
रात में फिर अनु को वही बैचेनी और वही सपने आये।
जिससे उसकी निंद खुल गयी और उसे एक पल को लगा की कोई खतरनाक आकृति उसे ही देख रही है।
सुबह वो अपना काम खत्म करके नहा रही थी की तभी उसे मुसु फिर उसे भिंगी हुई दिखती है जिससे वो परेशान हो गयी और बाहर आ गयी।

उसने कहा “मम्मी आप बुरी हो बहुत बुरी”
अनु ने ना में सर हिलाया और नीचे बैठ कर रोने लगी।
तभी थोड़ी देर बाद सब कुछ शांत सा हो गया उसने ऊपर सिर उठा कर देखा तो नज्म थी वहाँ पर,वो सैंडविच खा रही थी।
रात का समय,नज्म और अनु दोनों खेल रहे थे।
अनु-“बेटा आप ये बात बताओ की आपको ये शैतान और सजा वाली बातें कहाँ से पता चली?”
नज्म-“वो खुद आया और उसने खुद बताया”
अनु-“बेटा आप ना इससे बात मत करो और दोस्त बनाओं और कभी कभी शरारत करना बुरी बात नहीं है कोई कुछ नहीं होगा।”
नज्म-“वो सबको पनिश करेगा जो भी गलत करेगा आपको भी करेगा वो,मुसु भी तो यही कहती है न आपसे।”
अनु चुप हो गयी और नज्म वहाँ से उठ कर कमरें में चली गयी।
रात में फिर अनु को वही बैचेनी और वही सपने आये।
जिससे उसकी निंद खुल गयी और उसे एक पल को लगा की कोई खतरनाक आकृति उसे ही देख रही है।
सुबह वो अपना काम खत्म करके नहा रही थी की तभी उसे मुसु फिर उसे भिंगी हुई दिखती है जिससे वो परेशान हो गयी और बाहर आ गयी।
तभी उसे रोहित का फोन आता है,
रोहित-“हैलों,अनु कैसी हो नज्म परेशान तो नहीं कर रही ना?”
अनु-“नहीं,सब ठिक है।”
रोहित-“अच्छा मेरा काम हो गया जल्दी मैं आज शाम को ही उसे लेने आ रहा हुँ।”
अनु-“अच्छा ठिक है”
फिर वो नज्म को स्कूल और खुद हॉस्पिटल चली गयी पर आज उसे लगातार मुसु दिख रही थी और अब उसका दिखना जो पहले उसके लिए सुकून था अब वो डर और बैचेनी में बदल गया था।
रोहित नज्म को ले जाता हैं और उसे नज्म का ध्यान रखने के लिए धन्यवाद करता है।

अनु एक बार फिर अपने पति को फोन करती है,पर नेटवर्क की दिक्क़त आती है,वो एक वॉइस मैसेज भेजती है उसे।
(हाय वंश,कैसे हो? मैं ठिक नहीं हुँ!वंश मेरे साथ गलत हो रहा है मैं परेशान हुँ,मुझें हमारी मुसु की वहम तो पहले से था वो मुझें दिखती थी और ये जानते हुय भी की ये मेरा वहम है मैने इसे नहीं रोका क्योंकी थोड़ी देर के लिए ही सही मुझे उसके होने का एहसास होता था।पर अब मैं उससे डर रही हूँ ,वो कहती है की मैं जिम्मेदार हूँ और मैं जानती हूँ की ये शायद मेरे मन में एक कोना जो कसूरवार महसूस कर रहा है और अकेला है ये उसके वजह से है पर ये अब मुझें सच लगने लगा है धीरें धीरे मेरी कल्पना और सच का फासला मिटने लगा है।जानती हुँ मैं एक psychiatrist हो कर ऐसी बाते कैसे कर सकती हूँ पर मुझें तुम्हारी जरूरत है।प्लीज जल्दी आ जाओ प्लीज!)

और वो अंदर अपने कमरें में चली गयी।
तीन दिन बाद की एक रात,
अनु के घर में बिल्कुल अँधेरा था और काफी शांति भी थी पर तभी उसका फोन बजता है,और वो उसे उठाती है अनु जमीन पर बिल्कुल दुबकी हुई सी बैठी हुई थी और उसके चेहरे पर डर था उसके बाल बिल्कुल बिखरे हुए से थे और वो फोन में लगभग फुससाफुसाते हुए कहती है,”हैलों”
फोन उसके पति वंश का था।
वंश-“हैलों,अनु तुम ठिक हो?मुझें अभी मिला तुम्हारा वॉइस मैसेज,क्या हुआ?”
अनु-“वंश,मैं एक बुरी बहुत बुरी मम्मी हुँ।”
वंश-“अनु नहीं ऐसा मत सोचों,तुम इतना धीरें क्यों बात कर रही हो?”
अनु-“क्योंकी वो मुसु मेरे सामने ही है और वो सो रही है अगर वो उठ गयी तो नहीं नहीं वो फिर शैतान को बुला लेगी।”

वंश-“अनु,मुसु जा चुकि है और कोई शैतान नहीं होता।”
अनु-“वंश मैं अपनी ही बच्ची से डर रही हुँ,मैं कितनी बुरी हुँ।”
और वो रोने लगी।
वंश-“नहीं नहीं अनु,तुम तो मेरी मजबूत अनु हो तुम तो दूसरों का सहारा बनी हो और मेरा तुम्हारे आलावा और है ही कौन?तुमसे ही तो मुझें हिम्मत मिलती है”
अनु सिर्फ रो रही थी और उसने कहा,”वो मुझें पनिश करेगा क्योंकी मैं एक बुरी मम्मा हुँ।”
वंश-“कोई कुछ नहीं करेगा तुम्हें,मैं कल सुबह ही आ रहा हूँ और अभी रास्ते में हूँ और हम अभी पुरी रात बात करेंगे और मैं तुम्हारे साथ हूँ ।”
पर तभी फोन कट जाता हैं।
वंश काफी बार कोशिश करता है पर अनु का फोन नहीं लगता हैं।
वो रोहित को फोन करता है और उसे अनु को देखने को बोलता है।रोहित अनु के घर पहुँचता पर नज्म भी उसके साथ आती है।
वो काफी देर तक उसका गेट बजाता है पर अंदर से कोई आवाज नहीं आती और फिर वो एक चाभी वाले को बुला कर गेट खुलवा देता हैं।

अनु ने अपने हॉल के पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी।और उसके हाथ में एक चिट्ठी थी जिसमें सिर्फ सॉरी लिखा था।और दिवार पर बड़े बड़े शब्दों में लिखा था।
“यू आर नॉट गुड मम्मी”
आसपास के लोग भी आ गए थे साथ में मेघा भी थी जो और लोगों के साथ अस्पताल से आई थी और सभी इस दृश्य को देख कर स्तभ थे।तभी नज्म धीरें से कहती है उन्हें शैतान ने पनिश किया है,कोई उसकी बात नहीं सुनता है और सभी सामने अनु की लाश की तरफ देख रहे थे पर नज्म पंखे के ऊपर की तरफ देख रही थी जैसे की वो कुछ और भी देख पा रही हो।

यह कहानी लेखक ने अपनी कल्पना के आधार पर लिखा है किसी भी पात्र या घटना से मिलना संयोगमात्र है
Written by Shyambhavi Jha
लेखिका तृतीय वर्ष की छात्रा हैं