कटिहार में बारिश ने किया मौसम सुहाना , जितिया व्रत करने वाली महिलाओं को मिली राहत

गर्मी से कटिहार और आस पास के लोग बहुत परेशान थे . बीते चार पांच दिन से कटिहार के लोगों का जीना जैसे मुश्किल सा हो गया था . लोग अपने दैनिक कार्य को भी सही से करने में सक्षम नहीं हो रहे थे .

महिलाएं जितियाँ पर्व जोकि संतान के लिए निराहार किया जाता है इस व्रत में पानी के एक घूंट भी लेने की मनाही होती है . इसलिए बहुत शंकित थी की इस बार ३६ घंटे बिना अन्न जल के इतनी गर्मी में कैसे रहेंगी लेकिन जित्वाहन महाराज ने इन पर कृपा की बारिश में पूरे इलाके को राहत दी है नहीं तो बीते दिनों पक्षी , जानवर और मनुष्य गर्मी से बहुत परेशान थे .
बारिश के ठंढी फुहारों के साथ महिलाएं अपने इस कठिन व्रत को पूरे श्रधा के साथ करेंगी .अपने निर्जला व्रत को समय पर व्रत को तोड़ेंगी .

गौरतलब है की यह व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में होता है इसमें महिलाएं एक दिन पहले नहाय खाय करती हैं और ये एक ऐसा मात्र व्रत है जिस के अंतर्गत अगर आप सिर्फ शाकाहारी नही हो तो आप मछली खा सकते हैं . उसके बाद नूनी साग

, जिमीकंद जिसे बिहार में ओल कहते हैं या बहुत लोग सुरन भी जानते हैं उसकी सब्जी और गेन्हारी का साग फिर मडुआ (रागी) की रोटी ये सब बनता है और फिर पित्र की भी पूजा की जाती है . यह व्रत अन्य व्रतों से बहुत ही अलग और कठिन होता है . रात में औरतें चूल्हों और सियारों दो बहनों की कथा सुनती है और जित्वाहन महारज की एक और कथा कही जाती है .

अधिकतर तो ये व्रत २४ घंटे का ही होता है लेकिन कभी कभी खर जितिया तिथि के घटने बढ़ने के कारण ३६ घंटे का हो जाता है . लेकिन महिलाएं बहुत ही आस्था के साथ इस व्रत को निभाती हैं .
पहले तो यह पुत्र के इए व्रत किया जाता था लेकिन समय के साथ लोगो की सोच बहुत बदली है अब जिनकी केवल बेटियां है वो भी अपनी बेटी के लिए यह व्रत बहुत निष्ठा के साथ करती हैं .
जितिया का महत्व इतना अधिक है की जितिया नाम से गहना भी बनता है अगर किसी महिला के तीन बेटे एक बेटी है तो वो तीन सोने का और एक चांदी का जितिया पहनेगी . और आप देख कर खुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं की इनके कितनी संतान है .
लेखक ने अपने याददास्त के आधार पर यह लेख लिखा है .